नवरात्रि पर निबंध, लेख

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नवरात्रि पर छोटे व बड़े निबंध [Long & Short essay Writing on Navratri Festival in Hindi]

#1. [Long Essay 1000 words] त्यौहार: नवरात्रि पर निबंध- Navaratri par nibandh

नवरात्रि हिन्दू धर्म के लोगो द्वारा मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। यह त्यौहार असत्य पर सत्य की जीत को दर्शाता है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि साल में दो बार मनाया जाता है। हिंदी महीनो के मुताबिक पहला नवरात्रि चैत्र महीने में मनाया जाता है और दूसरी बार अश्विन महीने में मनाया जाता है। अंग्रेजी महीनो के मुताबिक नवरात्रि कई बार मनाया जाता है। पहला नवरात्रि मार्च और अप्रैल महीने में, दूसरा अक्टूबर में मनाया जाता है। नवरात्रि यानी नौ दिनों के पूजा के पश्चात, फिर दसवे दिन को धूम धाम से मनाया जाता है। नवरात्रि नौ दिनों के लिए निरंतर चलता है जिसमे देवी माँ के अलग अलग स्वरूपों की लोग भक्ति और निष्ठा के साथ पूजा करते है। भारत में नवरात्रि अलग अलग राज्यों में विभिन्न तरीको और विधियों के संग मनाई जाती है।

देवी माँ ने महिषासुर राक्षस का वध किया था। इस राक्षस को ब्रह्मा जी का वरदान प्राप्त था जिसकी वजह से उसने उत्पात मचाया हुआ था। महिषासुर को वरदान प्राप्त था कि उसे कोई मार नहीं सकता। लोग उसके अत्याचारों से परेशान थे तब ब्रह्मा, विष्णु और शिव जी ने अपनी शक्ति को मिलान कर देवी दुर्गा की सृष्टि की थी। देवी दुर्गा के दस हाथ थे और सारी शक्तियां भी उन्हें दी गयी थी। देवी दुर्गा ने नौ दिनों तक इस राक्षस का मुकाबला किया और अंत में दसवे दिन में जाकर उसका वध किया। देवी दुर्गा की इस शक्ति को नवरात्रि के इस त्यौहार में धूम धाम से मनाया जाता है।

नवरात्रि के पहले दिन शैलपुत्री माँ की पूजा की जाती है। इनकी आराधना करने से लोगो को एक किस्म की ऊर्जा मिलती है। इस ऊर्जा का उपयोग भक्त अपने मन की अशांति को दूर करने के लिए करते है। नवरात्रि के दूसरे दिन देवी दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरुप की आराधना की जाती है। इसका उद्देश्य है कि हम इस दुनिया में अपना एक मुकाम हासिल कर सके और अपनी पहचान बना सके।

नवरात्रि के तीसरे दिन भक्त देवी दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरुप की पूजा करते है। चंद्रघंटा इसलिए नाम दिया गया है, क्यूंकि माँ का स्वरुप चाँद के जैसे चमकता है। इनकी पूजा करने से मन में उतपन्न सारे नकारात्मक और गलत विचार दूर हो जाते है। ईर्ष्या, घृणा जैसे विचारो से हमे मुकाबला करने की शक्ति मिलती है। नवरात्रि के चौथे दिन लोग दुर्गा माँ के कूष्माण्डा स्वरुप की पूजा करते है। इनकी पूजा करने से हम उन्नति की राह पर चलते है और इनका आशीर्वाद हमारे सोचने समझने की शक्ति को बेहतर तरीके से विकसित करता है। नवरात्रि के पांचवे दिन संकदमाता माता की पूजा की जाती है। उनको कार्तिकेय माता भी कहा गया है। इनके पूजा करने से भक्तो के अंदरूनी व्यवहारिक ज्ञान को विकसित करने के लिए उनका आशीर्वाद मिलता है।

नवरात्रि के छटवे दिन देवी दुर्गा के कात्यायनी स्वरुप की पूजा की जाती है। माँ कात्यायनी की आराधना करने से मनुष्य के अंदर के नकारात्मक विचार दूर हो जाते है। माँ के दिए हुए आर्शीवाद से हम सही मार्ग पर चल सकते है। नवरात्रि के सातवे दिन पर देवी दुर्गा के कालरात्रि के स्वरुप की पूजा करते है। देवी कालरात्रि की पूजा करने से लोगो को अपने जीवन में यश, सम्मान और कीर्ति प्राप्त होता है।

नवरात्रि के आठवे दिन देवी दुर्गा के महागौरी के स्वरुप की आराधना की जाती है। माँ महागौरी को सफ़ेद रंग की देवी के रूप में पूजा जाता है। इनकी आराधना करने से मनुष्य की सारी मन की इच्छा पूरी हो जाती है। नवरात्रि के नौवे दिन देवी दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरुप की आराधना लोगो द्वारा की जाती है। इनकी पूजा करने से हमें ताकत मिलती है कि हम मुश्किल कार्यो को सरलतापूर्वक कर सके। उन अधूरे कार्यो को सफलतापूर्वक पूरा करे।

नवरात्रि जो चैत्र शुक्ल पक्ष में होता है उसमे हिन्दू लोग अपने घरो में कलश की स्थापना करते है। इसके साथ लोग दुर्गापाठ भी करते है। लोग आठ दिनों तक फलो का सेवन करते है। आठवे दिन दुर्गाष्टमी मनाया जाता है और नौवे दिन रामनवमी मनाई जाती है। रामनवमी यानी जब श्रीराम का जन्म हुआ था। नवरात्रि का दूसरा पर्व आश्विन महीने में धूम धाम से मनाया जाता है। यह शरद ऋतू में मनाया जाता है। नवरात्रि गुजरात, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में मनाया जाता है। नवरात्रि के उत्सव में गुजरात राज्य में गरबा नृत्य का आयोजन किया जाता है। नवरात्रि के उत्सव पर कई राज्य मुख्यत गुजरात में डांडिया उत्सव मनाया जाता है। जैसे ही रात होती है, मिटटी के मटको में दिए जला दिए जाते है। देखने में बड़ा सुन्दर और भव्य लगता है। महिलाएं और पुरुष दोनों एक साथ इस प्रकार के नृत्य में शामिल होते है। इन नौ दिनों तक लोग उपवास रखते है और भोजन में फल का सेवन करते है। बंगाल में नवरात्रि के इस पावन उत्सव पर देवी दुर्गा माँ की पूजा आराधना करते है। यह दुर्गा उत्सव पश्चिम बंगाल में जितना बड़े पैमाने पर और भव्य तरीके से मनाया जाता है, शायद ही अन्य राज्य में इसे ऐसे मनाया जाता है।

नवरात्रि के इस उत्सव पर कई प्रकार की पौराणिक कहानियां प्रचलित है। एक कहानी यह भी है जिसमे श्रीराम ने सीता माता को रावण की कैद से छुड़वाने के लिए देवी दुर्गा की आराधना की थी। उन्होंने 108 कमलो की पूजा नौ दिनों तक की थी। जिसके पश्चात देवी दुर्गा उनके इस पूजा से खुश होकर उन्हें विजयी होने का आशीर्वाद दिया था। उसके पश्चात राम ने अंहकारी रावण का वध किया था। इन नौ दिनों तक नवरात्रि के रूप में देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की गयी थी। दसवे दिन रावण के वध के बाद, इस उत्सव को दशहरा के रूप में मनाया जाता है।

नवरात्रि के इस पावन त्यौहार पर देश के उत्तर भारत के कई स्थानों पर कन्या पूजन किया जाता है। इस पूजा में नौ छोटी लड़कियों की पूजा की जाती है। लोग इसलिए उनकी पूजा करते है क्यूंकि उन्हें वे देवी माँ का रूप समझते है। नौ छोटी लड़कियों को हलवा, पूरी, मिटाई इत्यादि खिलाया जाता है।

कोलकाता में छोटे से लेकर बड़े हर प्रकार की दुर्गा मूर्ति की पूजा की जाती है। घरो पर ही नहीं बल्कि प्रत्येक सार्वजनिक जगहों पर अलग अलग थीम के अनुसार पंडाल को सजाया जाता है। बंगाल में उत्साह और उमंग की अलग ही प्रवाह दुर्गा पूजा के वक़्त देखी जा सकती है। छह दिनों तक लगातार यह उत्साव मनाया जाता है। अनगिनत मनोरंजन से भरे कार्यक्रम आयोजित किये जाते है। बंगाल अपने संगीत के लिए जाना जाता है। चारो और संगीत और वाद्य यंत्रो की गूंज और लोगो की पंडाल में देर रात तक चहल पहल लगी रहती है।

कहीं कहीं जगह नवरात्रि के नौं रातों में 3 देवियों महालक्ष्मी, महासरस्वती और दुर्गा के नौं रूपों की पूजा की जाती हैं। जिसे नवदुर्गा के नाम से भी जाना जाता हैं। दुर्गा का तात्पर्य है जीवन के दुखों को हमेशा के लिए अंत करना।

निष्कर्ष

सभी लोग अपने दोस्तों और प्रियजनों से मिलकर दुर्गा पूजा की शुभकामनायें देते है। अष्टमी और नवमी के दिन, हवन किया जाता है। दशमी के दिन दुर्गाजी की बड़ी मूर्तियों को पूरे नियम और कायदे के अनुसार जल में विसर्जित किया जाता है। नवरात्रि का पर्व हमे कोशिश करना सिखाता है। हमे जीवन में परिश्रम करना सिखाता है, ताकि हम अपनी अंदरूनी शक्ति को पहचान कर, जीवन में अपनी राह चुन कर उसे हासिल कर सके। नवरात्रि के इस पावन त्यौहार को लोग पूरी निष्ठा से निभाते है। नवरात्रि त्यौहार का यही मकसद होता है कि समस्त लोगो के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति प्रदान करे।

#2. [500-600 Words] नवरात्रि पर निबंध

प्रस्तावना : नवरात्रि का त्यौहार भारत में बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता है। नवरात्रि 9 दिनों का एक बड़ा त्यौहार है जिसमें देवी दुर्गा की पूजा-अर्चना बहुत ही उत्सव के साथ की जाती है। नवरात्रि एक संस्कृत शब्द है जिसमें ‘नव’ का अर्थ है नौ दिन तथा ‘रात्रि’ अर्थ है रात। नवरात्रि का पवॅ मा अंबा यानी मा दुर्गा के उपासना का त्योहार कहा जाता है । नवरात्रि के दौरान लोग नौ दिन तक अपने घरो में मा अंबा की मूर्ती एवम तांबे, पीतल, या मिट्टी के कलश की स्थापना करते हैं। और उसकी पूजा अर्चना पुरे भक्ति भाव से करते हैं। कुछ लोग इस नौ दिन तक उपवास भी रखते हैं । माता दुर्गा के मुख्य तीन स्वरूप है महालश्रमी, मासरसवती, मा दुर्गा ओर इन सभी को नवदुर्गा के रुप माने जाते है ।

मा दुर्गा के नो रुपों को शैलपुत्री, ब्रह्माचारीणी, चन्द्घघंटा, कुषमांडा, सकंदमाता, कात्यायनी, कालरात्री, महागोरी, सिद्धदात्री। ये सभी नो स्वरूप जीवन के दुख को दुर करके जीवन मे खुशियाँ वाले है। मा दुर्गा हमारे जीवन की बुराइयों को खत्म कर के हमे अछाई के रास्ते पर चलने की प्रेरणा ओर आर्शीवाद प्रदान करे।

पौराणिक कथा : शास्त्रो के अनुसार एक कहानी हे की महिषासुर नाम का एक राक्षस था। जो ब्रह्माजी का बहुत बड़ा भक्त था। उसने अपने तपसे ब्रह्माजी को प्रसन्न करके ऊनसे एक वरदान प्राप्त किया। उसने वरदान मे ब्रह्माजी से मांगा की इस पुरी श्रृष्टि मे कोई भी उसे मार ना सके, ब्रह्माजी से वरदान प्राप्त करते ही वो बहुत निर्दयी हो गया। और तीनो लोक में आतंक मचाने लगा। उसके आतंक से परेशान होकर सभी देवी, देवता भगवान ब्रह्मा विष्णु ओर महेश सहीत सबने मा शक्ती का आहवाहन किया ओर उन सभी देवी देवताओं ओ कि ऊजा की रोशनी से मा अंबा (दुर्गा) प्रकट हुई। और इस पुरी सृष्टि को उस राक्षस के आतंक से मुक्त किया ।

मा अंबा ने नौ रातो तक महिषासुर के साथ भयंकर युद्ध किया और दसवें दिन मा दुर्गा ने महिषासुर का वध कर दिया। इस दीन को अच्छाई पर बुराइ की जीत के रुप मे मनाया जाता है।

दुसरी एक कहानी के अनुसार भगवान श्री राम ओर उनके छोटे भाई श्री लक्षमण जी रावण के वध से पहले समुद्र तट पर नो दिन तक मा दुर्गा की पूजा अर्चना की ओर मा दुर्गा से अपने विजय की कामना की। ओर दसवें दिन रावण की सेना पर चढ़ाई कर रावण का वध कर दिया । ओर इस तरह ईस दिन को दशहरे के तोर पर मनाया जाता है। ओर आज भी भारत के कई हिस्सों में रावण के पुतले का जलाकर अच्छाई की बुराइ पर जीत के रुप में उत्सव के तोर पर मनाया जाता है। पुरे भारत में नवरात्रि का पर्व अलग-अलग रूप से पुरे भक्ति भाव से मनाया जाता है। ख़ासकर गुजरात में लोग पारंपरिक वस्त्र पहन के नौ दीन तक माता की स्तुति, आरती और गरबा का गान करते हैं।

छोटे-छोटे गली महोललो मे भी लोग माता की मूर्ती को स्थापित कर उनकी उपासना करते हैं। वही बंगाल में भी मा दुर्गा की अलग-अलग रूपो में प्रतिमा का निर्माण किया जातां है ओर उन्हे बड़े पंडाल बनाकर स्थापित कर उनकी पूजा अर्चना करते हैं ओर नोवे दिन के बाद ऊन प्रतिमा को पानी मे बहा कर उनका विषॅजन करते हैं, अतर भारत में कई जगहों पर नवरात्रि के दौरान राम लीला का भी आयोजन किया जाता हे। ओर अंत मे रावण के पुतले का दहन करते हैं और पटाखे जलाते हे।

भारत के कई राज्यों में लोग नो दिन के उपवास रखते हे ओर आखिरी दिन छोटी छोटी कन्या को देवी का सवरुप मानकर उनको भोजन ओर भेट इत्यादी देकर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर ते है। नवरात्रि मे नो दिन तक मा के अलग-अलग सवरुप की पूजा आराधना करने से मा के आशीर्वाद सवरुप हमे एक नई ऊजा प्राप्त होती हैं जिससे हम अछाई के मागॅ पर आगे बढ़ सके।

उपसंहार :- हरसाल नो रातो के बाद दसवे दिन दशहरे के तोर पर मिठाई खाकर मनाते हे। नवरात्रि के इस पवॅ को हर साल बड़े उत्साह से मनाया जाता है

नवरात्रि त्यौहार के प्रमुख 10 बिंदु:

  • नवरात्रि के त्यौहार को हम नवरात्रि के अलावा नवराते, नवरात्र आदि नामों से भी पुकार सकते हैं। यह त्यौहार हिंदी महीने के अनुसार प्रतिपदा से नवमी तिथि तक मनाया जाता है।
  • नवरात्रि के नौवें दिन को महा नवमी के नाम से भी जाना जाता है।
  • हमारे देश में नवरात्रि त्यौहार को मनाने के लिए सभी राज्यों में जहग-जगह रामलीला का मंचन होता और दसवें दिन राम एवं रावण के युद्ध का मंचन करके रावण का वध किया जाता है और रावण के वध की ख़ुशी में अच्छाई पर बुराई की जीत के रूप में बहुत धूमधाम से पटाखे इत्यादि फोड़कर उत्सव मनाया जाता है।
  • नवरात्रि के त्यौहार में कुछ लोग व्रत रहते हैं और वे केवल पानी पीकर माँ दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए कड़ी पूजा अर्चना करते हैं, जैसे हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी पुरे नौ दिनों तक केवल पानी पीकर माँ दुर्गा के लिए नवरात्रि के लिए व्रत रखते हैं।
  • नवरात्रि के त्यौहार को बंगाल में एक अलग तरीके से मनाया जाता है। बंगाल के लोग नौ दिनों तक माँ दुर्गा की पूजा आराधना करने के बाद उनकी प्रतिमा या मूर्ति को जल में प्रवाहित करके उत्सव मनाते हैं।
  • गुजरात के लोग माँ दुर्गा का पंडाल सजाकर उसमें माँ दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करते हैं और पुरे नौ दिनों तक भजन कीर्तन का कार्यक्रम आयोजित करते हैं। इसके साथ वे गरबा नृत्य एवं डांडिया का आयोजन करके पुरे नवरात्र उत्सव मनाते हैं।
  • उत्तर भारत में लोग नवरात्रि के अंतिम दिन 9 कन्याओं को देवी के रूप में बुलाकर उनको भोजन कराते हैं एवं उनसे आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
  • नवरात्रि में पूजी जाने वाली सभी देवियों में माँ काली के स्वरूप को सबसे उच्च स्थान प्रदान किया जाता है।
  • नवरात्रि त्यौहार के नौ दिनों तक आपको चमड़े की चीजों जैसे पर्स, बेल्ट, जुते इत्यादि का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
  • नवरात्रि में नौ दिनों तक माँ के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा आराधना करने से माँ के आशीर्वाद स्वरूप हमें एक नई ऊर्जा प्राप्त होती है जिससे हम अच्छाई के मार्ग पर आगे बढ़ सकें।

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