रमज़ान पर निबंध, रमज़ान के दिन पर निबंध ,
ESSAY ON RAMADAN IN HINDI
प्रस्तावना: हमारे देश में विभिन त्यौहार मनाये जाते हैं। इन सभी त्योहारों का अपना – अपना महत्व होता हैं। उसी तरह से रमजान यह इस्लाम धर्म का सबसे प्रसिद्ध त्यौहार हैं। रमज़ान का महीना हर मुस्लमान के लिए पावन और महत्वपूर्ण होता है। मुसलमानों के बारह महीनों में एक महीने का नाम रमजान है। रमजाने का महीना बड़ा ही पवित्र माना जाता है।
इस महीने में हर मुसलमान अपने दिल से रोजे रखते थे। रमज़ान का महीना 30 दिनों का होता है। रमज़ान के महीने को तीन भागो में विभाजित किया गया है। जो प्रथम, द्वितीय और तृतीया भागो को इस्लामिक भाषा में “अशरा” कहा जाता है। पहला अशरा 10 दिन का होता है, दूसरा अशरा 11 -20 में दूसरा अशरा और तीसरे दिन 21-30 में विभाजित किया गया है। रमजान के महीने में 3 अशरे होते है पहला अशरा रहमत का जिसमे अल्लाह की कृपा होती है , दूसरे अशरे में मगफिरत की होती है, जिसमे अल्लाह हर मुस्लमान के गुनाहों को माफ़ करता है। तीसरे अशरे में जहनुम की पीड़ा से खुद को बचा सकते है। रमज़ान के पहले दस दिन अत्यंत ज़रूरी होते है। इन रहमत के दिनों में हर मुस्लमान गरीबो और जरुरतमंदो की सहायता करता है। हर एक इंसान इन दिनों में विनम्रतापूर्वक बातचीत करता है। सभी की इज़्ज़त करता है और सदव्यवहार से सबके मन जीत लेता है।
रमज़ान के दूसरे अशरा माफ़ी का होता है। कहते है इस अशरे में अल्लाह दूसरे दिनों के मुकाबले इस वक़्त अपने बन्दों को जल्द माफ़ कर देता है। इस्लामिक रीति -रिवाज़ के अनुसार यहाँ लोगों को अपने किये हुए पापों से मुक्ति मिल जाती है। तीसरा अशरा जहनुम से खुद को मुक्त करना होता है। यहाँ लोग अल्लाह से इबादत करते है की उन्हें जहनुम से बक्श दे। इस अशरे में 10 दिनों तक लोग एक ही जगह बैठकर अल्लाह को पुकारते है। औरतें घर पर रहकर नमाज़ पढ़ती है।
रमज़ान का महीना हर मुसलमान के लिए दुआओं का और खुशियों का महीना होता है। रमज़ान के पश्चात ईद मनाई जाती है। रमज़ान का महीने हर मुसलमान के लिए अज़ीज़ और बेहद ख़ास होता है। रमजान के बाद हर मुसलमान चाँद को निहारकर अपना उपवास यानी रोज़ा खोलता है। इस त्यौहार को हम ईद-उल-फितर के नाम से जानते है। ईद का त्यौहार रमज़ान के आखिर में मनाया जाता है। रमज़ान इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार नवा महीना होता है। यह पूरा महीना प्राथना, भोजन और एक दूसरे से मिलने का एक पारम्परिक त्यौहार है।
ईद के दिनों में सवेरे पहले नहाना और नए कपड़े पहनकर हर मुसलमान तैयार हो जाता है। मस्जिद जाने से पहले इत्र लगाते है और मस्जिद जाने से पहले खजूर खाते है। पुरुष सफ़ेद रंग के पोशाक पहनते है जिसे हम कुरता पजामा कहते है। फिर सभी पुरुष मिलकर ईदगाह या मस्जिद की और जाते है जहाँ सब एक साथ नमाज़ अदा करते है और अल्लाह से अपने और अपने परिवार की सलामती की दुआ मांगते है। नमाज़ से पहले लोग गरीबो को कुछ आवश्यक चीज़ें दान दक्षिणा में देते है। नमाज़ अदा करने के पश्चात लोग एक दूसरे के गले -मिलते है और खुशियां मानते है। ईद सभी भारतीयों को एक साथ शांतिपूर्वक मिलजुलकर और प्रेम -आस्था के साथ जीवनयापन करना सिखाती है। ईद मुसलमानो का पावन त्यौहार है।
रमजान का महत्व: रमज़ान के महीनों में इंसानों को बहुत कुछ सिखने को मिलता है। लोग अपनी रोज़मर्रा के कामों को करते हुए अल्लाह की इबादत करना भूल जाते हैं, समय नहीं निकाल पाते हैं। रमज़ान का महिना अल्लाह के बंदो को ये याद दिलाता है की ये ज़िन्दगी उस खुदा की नेमत है, कुछ समय उसकी इबादत के लिए भी निकाल लें ताकि खुदा का रहम हम सभी इंसानों पर बना रहे। और हम सब खुशाली जिंदगी जियें।
मुस्लमान रमजान क्यों मनाते हैं: रमजान का सिलसिला सदियों से चला आ रहा है। और रमजान को पुरे विश्व में मानते है। इस्लामिक धर्म के मान्यताओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है की 610 ईस्वी में पैगंबर मुहम्मद साहब के जरिये पवित्र किताब “कुरान शरीफ” जमीन पर आयी। कहते हैं की तभी से दुनियाभर के मुसलमान पहली बार कुरान उतरने की याद में पुरे महीने रोज़े रखें थे। लिहाजा रमजान को कुरान के जश्न का भी मौका माना जाता है। क्योकि पुरे रमजान में मुसलमान कुरान की तिलावत यानि कुरान को पढ़ते है। इस्लाम धर्म में रोजा, अल्लाह का शुक्रिया अदा करने का त्यौहार भी माना जाता है।
रमज़ान के महीने में हर मुसलमान अपने अल्लाह की इबादत यानी प्रार्थना करते है। रोजें के दिन हर मुसलमान पांच दफा नमाज़ अदा करते है। रमज़ान के महीने में प्रातःकाल होने से पूर्व और अज़ान से पहले भोजन ग्रहण करते है। भोजन ग्रहण करने के पश्चात नमाज़ अदा करते है। उसके पश्चात वह सारा दिन उपवास रखते है और ज़्यादातर वक़्त अल्लाह से दुआ मांगते है। शाम होने के बाद अपना रोज़ा खोलते है। रोजा खोलने की विधि को इफ्तार कहा जाता है। इस वक़्त वह जो भी भोजन और पकवान बनाते है उन्हें दूसरे परिवारों और ज़रूरत मंदो को पड़ोसते है।
रमज़ान के दिनों में हर एक सच्चा भक्त खुदा की दुआ में लगा देते है और नेक काम करने में विशवास रखते है। ईद के दिन बच्चे -बूढ़े साथ में ईद मनाते है और बच्चों को ईदी दी जाती है। ईद के दिन स्वादिष्ट सेवइयां बनती है। ईदगाह में नमाज़ अदा करने के बाद खुश होकर अपने घरों के तरफ लौटते है। ईद के बाज़ारो में बड़ी रौनक रहती है। ईद का त्यौहार कई दिनों के लिए जारी रहता है। लोग अपने हर रिश्तेदारों के घरों में जाकर ईद की डेढ़ सारी बधाई और शुभकामनाएँ देते है। ईद के दिन मुस्लिम परिवारों के आलावा अन्य धर्म के लोग भी उनके ईद के त्यौहार में शामिल होते है और ईद की मुबारक बात देते है।
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