दीपावली पर निबंध

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#1. दीपावली पर निबंध, Essay on deepawali in hindi.

दीपावली अर्थात दीपों का त्यौहार रोशनी का त्यौहार, दीपावली शरद ऋतू में हर वर्ष मनाया जाता है, दीपावली हिंदुओं का सबसे पवित्र और सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है दीपावली या दीवाली किसी भी नाम से पुकारे ये त्यौहार आनंद और प्रकाश ही फैलता है।

यह भारतीय संस्कृति का सर्वप्रमुख त्यौहार है यह प्रतिवर्ष कार्तिक अमावस्या को मनाया जाता है ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय ‘अंधेरे से ज्योति अर्थात प्रकाश की ओर जाइये यह अपने उपनिषदों की आज्ञा मानी जाती है अर्थात प्रत्येक मनुष्य अपने जीवन के गम के अंधेरों को खत्म करके उजाले की ओर जाए अपने मन के अंधेरों को भी खत्म करे यही दीपावली का त्यौहार है।

दीपावली कब मनाई जाती है: दीपावली त्यौहार कार्तिक अमावस्या के दिन मनाया जाता है लेकिन यह त्यौहार पांच दिनों का होता है जिनमें (धनतेरस ,नरक चतुर्दशी, अमावस्या ,कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा ,भाई दूज ,)होता है इसलिए यह धनतेरस से शुरू होकर भाई दूज पर खत्म होता है। पर इसको मनाने की खुशी इतनी होती है। इसकी तैयारी महीनो पहले से ही होने लगती है। दीपावली त्यौहार की तारीख तो हिंदू कैलेंडर के अनुसार निर्धारित होती है परंतु ये अक्टूबर, नवंबर, में मनाया जाता है।

दीपावली क्यों मनाई जाती है: दीपावली मनाने की कई कथाएं प्रचलित हैं पर हम सब जानते हैं कि दीपावली के दिन। भगवान् श्री राम सीता मैया और लक्ष्मण के साथ असुरराज रावण को मार कर अयोध्या नगरी वापस आए थे, तब नगर वासियों ने उनके आने की खुशी में अयोध्या को साफ-सुथरा करके दीपों से और फूलो, रंगोली, से पूरीे अयोध्या नगरी को इस तरह सज़ा दिया की मानो जैसे वो एक दुल्हन हो तब से लेकर आज तक यह परम्परा चली आ रही है। कार्तिक अमावस्या के गहन अन्धकार को दूर करने के लिए दीपों को प्रज्वलित किया जाता है और घर आंगन, और हर जगह को जगमगा दिया जाता है।

दीपावली त्यौहार के लाभ

(1) दीवाली त्यौहार से बहुत से लाभ है इस त्यौहार की वजह से छोटे बड़े व्यापारियों की अच्छी खासी कमाई हो जाती है।
(2) इससे सबसे बड़ा लाभ ये होता है कि दीपावली के बहाने ही सही लोग अपने घरों की बहुत साफ-सफाई कर देते हैं.माना जाता है कि जिनका घर आँगन साफ सुथरा होता है माँ लक्ष्मी उन्ही के घर प्रवेश करती है।
(3) इस त्यौहार से छोटे (कुटीर ) उद्योग को भी काफी लाभ होता है मिट्टी का सामान, साज सज्जा का सामान, माँ लक्ष्मी की मूर्तियां यह सब कुटीर उद्योगों द्वारा बनाए जाते हैं जिससे उनकी जीविका चलती है इसलिए त्यौहार उनके जीवन में भी खुशियां लेकर आता है।
(4) इस त्यौहार मैं आपसी प्रेम बढ़ता है इस त्यौहार में सभी अपने संबंधों में मिठास लाने की कोशिश करते हैं इसके लिए घरों में गुजिया पकवान और मिठाइयां इत्यादि बनाए जाते हैं, और एक दूसरे को देकर आपसी संबंधों को और मजबूत करके उनमें मिठास लाते है।

दीपावली के त्यौहार में हानियां

कहते  है दीपावली हिंदुओं का पवित्र त्यौहार है पर हमारी छोटी सोच की वजह से इसके कई नुकसान भी है।
(1) पटाखों की वजह से बहुत नुकसान होता है जो कि स्वास्थ्य पर भी प्रभाव डालता है।
(2) ज्यादातर लोग साफ-सफाई में फिजूल पानी बहा देते हैं।
(3) लाइट की सजावट में विद्युत ऊर्जा की बहुत बर्बादी हो जाती है।
(4) अत्यधिक मिष्ठान के कारण स्वास्थ्य बिगड़ता है।
(5) दिओ को जलाने में बोहोत सा तेल खर्च हो जाता है।
(6) दिखावे के चक्कर में लोग फिजूल खर्च ज्यादा करते हैं।

दीपावली हम हिंदुओं का सबसे बड़ा त्यौहार है इसे हमें समझ बुझ और समझदारी और सावधानी से विचार करके मनाना चाहिए जिस्से ये त्यौहार हमारे लिए और अधिक महत्वपूर्ण और खुशियों से भरा हो जाएगा।

उपसंहार: दीपावली का त्यौहार खुशियों का त्यौहार है यह हमारे जीवन में खुशियां लेकर आता है। हमें जीवन को एक नए तरीके से जीने की सीख देता है अंधेरे से उजाले की ओर बढ़ने की प्रेरणा देता है। कुछ लोग इस त्यौहार को गलत नजरिए से देखते हैं जो समाज के लिए बुरी बात है इसलिए इन बुराइयों से बचना चाहिए, पटाखे सावधानी पूर्वक फोड़ना चाहिए और इस बात का भी ध्यान रखना चाहये की किसी के मन को कोई ठेस ना पहुंचाएं किसी को कोई दुख या परेशानी या हानि, या तकलीफ ना हो इस बात का भी ध्यान रखा जाना चाहिए, हम सब को मिलकर इस त्यौहार को मनाना चाहिए और इस त्यौहार के नाम दीपावली को सार्थक करना चाहिए।

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#2. दीपावली पर निबंध कक्षा 5,6,7,8,9,10.
Diwali essay in hindi for Kids/child

हिन्दू धर्म में यों तो रोजाना कोई न कोई पर्व होता है लेकिन इन पर्वो में मुख्य त्यौहार होली, दशहरा और दीपावली ही हैं। हमारे जीवन में प्रकाश फैलाने वाला दीपावली का त्यौहार कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। इसे ज्योतिपर्व या प्रकाश उत्सव भी कहा जाता है। इस दिन अमावस्या की अंधेरी रात दीपकों व मोमबत्तियों के प्रकाश से जगमगा उठती है। वर्षा ऋतु की समाप्ति के साथ-साथ खेतों में खड़ी धान की फसल भी तैयार हो जाती है।

दीपावली का त्यौहार कार्तिक मास की अमावस्या को आता है। इस पर्व की विशेषता यह है कि जिस सप्ताह में यह त्यौहार आता है उसमें पांच त्यौहार होते हैं। इसी वजह से सप्ताह भर लोगों में उल्लास व उत्साह बना रहता है। दीपावली से पहले धन तेरस पर्व आता है। मान्यता है कि इस दिन कोई-न-कोई नया बर्तन अवश्य खरीदना चाहिए। इस दिन नया बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है। इसके बाद आती है छोटी दीपावली, फिर आती है दीपावली। इसके अगले दिन गोवर्द्धन पूजा तथा अन्त में आता है भैयादूज का त्यौहार।

अन्य त्यौहारों की तरह दीपावली के साथ भी कई धार्मिक तथा ऐतिहासिक घटनाएं जुड़ी हुई हैं। समुद्र-मंथन करने से प्राप्त चौदह रत्नों में से एक लक्ष्मी भी इसी दिन प्रकट हुई थी। इसके अलावा जैन मत के अनुसार तीर्थंकर महावीर का महानिर्वाण भी इसी दिन | हुआ था। भारतीय संस्कृति के आदर्श पुरुष श्री राम लंका नरेश रावण पर विजय प्राप्त कर सीता लक्ष्मण सहित अयोध्या लौटे थे उनके अयोध्या आगमन पर अयोध्यावासियों ने भगवान श्रीराम के स्वागत के लिए घरों को सजाया व रात्रि में दीपमालिका की।

ऐतिहासिक दृष्टि से इस दिन से जुड़ी महत्वपूर्ण घटनाओं में सिक्खों के छठे गुरु हरगोविन्दसिंह मुगल शासक औरंगजेब की कारागार से मुक्त हुए थे। राजा विक्रमादित्य इसी दिन सिंहासन पर बैठे थे। सर्वोदयी नेता आचार्य विनोबा भावे दीपावली के दिन ही स्वर्ग सिधारे थे। आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानन्द तथा प्रसिद्ध वेदान्ती स्वामी रामतीर्थ जैसे महापुरुषों ने इसी दिन मोक्ष प्राप्त किया था।

यह त्यौहार बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोगों द्वारा दीपों व मोमबत्तियाँ जलाने से हुए प्रकाश से कार्तिक मास की अमावस्या की रात पूर्णिमा की रात में बदल जाती है। इस त्यौहार के आगमन की प्रतीक्षा हर किसी को होती है। सामान्यजन जहां इस पर्व के आने से माह भर पहले ही घरों की साफ-सफाई, रंग-पुताई में जुट जाते हैं। वहीं व्यापारी तथा दुकानदार भी अपनी-अपनी दुकानें सजाने लगते हैं। इसी त्यौहार | से व्यापारी लोग अपने बही-खाते शुरू किया करते हैं। इस दिन बाजार में मेले जैसा माहौल होता है। बाजार तोरणद्वारों तथा रंग-बिरंगी पताकाओं से सजाये जाते हैं। मिठाई तथा पटाखों की दुकानें खूब सजी होती हैं। इस दिन खील-बताशों तथा मिठाइयों की खूब बिक्री होती है। बच्चे अपनी इच्छानुसार बम, फुलझड़ियां तथा अन्य आतिशबाजी खरीदते हैं।

इस दिन रात्रि के समय लक्ष्मी पूजन होता है। माना जाता है कि इस दिन रात को लक्ष्मी का आगमन होता है। लोग अपने इष्ट-मित्रों के यहां मिठाई का आदान-प्रदान करके दीपावली की शुभकानाएं लेते देते हैं। वैज्ञानिक दृष्टि से भी इस त्यौहार का अपना एक अलग महत्व है। इस दिन छोड़ी जाने वाली आतिशबाजी व घरों में की जाने वाली सफाई से वातावरण में व्याप्त कीटाणु समाप्त हो जाते हैं। मकान और दुकानों की सफाई करने से जहां वातावरण शुद्ध हो जाता है वहीं वह स्वास्थ्यवर्द्धक भी हो जाता है।

कुछ लोग इस दिन जुआ खेलते हैं व शराब पीते हैं, जोकि मंगलकामना के इस पर्व पर एक तरह का कलंक है। इसके अलावा आतिशबाजी छोड़ने के दौरान हुए हादसों के कारण दुर्घटनाएं हो जाती हैं जिससे धन-जन की हानि होती है। इन बुराइयों पर अंकुश लगाने की आवश्यकता है।

source:- http://hindigrammar.in/Diwali.html


#3. दिवाली पर निबंध 400 शब्दों में।
Hindi Essay on diwali for class 1,2,3,4

दीपावली अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक-पर्व है। यह हिन्दुओं का एक प्रमुख त्यौहार है। इसे प्रतिवर्ष कार्तिक कृष्ण अमावस्या को मनाया जाता है। दीपावली एक ऐसा पर्व है जिसके आगे-पीछे कई पर्व मनाए जाते हैं। धनतेरस से इस पर्व का आरंभ होता है, जिस दिन लोग लक्ष्मी, गणेश, बरतन तथा पूजा की सामग्री खरीदते हैं। धनतेरस को धन्वन्तरि जयन्ती के रूप में भी मनाया जाता है। धन्वन्तरि वैद्यों के शिरोमणि थे। धनतेरस के दूसरे दिन नरक चतुर्दशी होती है। इस दिन व्यापक रूप से सफाई की जाती है तथा भगवती लक्ष्मी के आगमन के लिए घर-बाहर काफी सजावट की जाती है। इसे छोटी दीपावली कहने का भी गौरव प्राप्त है। इस दिन घर में आसपास सरसों के तेल के दीये जलाकर रखे जाते हैं तथा दूसरे दिन भगवती लक्ष्मी के आह्वान के लिए स्तुति व पूजन किया जाता है। धनतेरस, नरक चतुर्दशी के पश्चात् चिर प्रतीक्षित दीपावली का महापर्व आता है।

प्रातःकाल से ही दीपावली के पूजन तथा घरों को सजाने-संवारने का काम शुरू होता है। कुछ लोग दीपावली के दिन रात 12 बजे भी भगवती लक्ष्मी की पूजा करते हैं।
दीपावली के पर्व की शुरुआत कब से हुई इसके विषय में अनेक कथाएं हैं, जिनमें सबसे ज्यादा प्रचलित तथा मानने योग्य कथा यह है कि रावण का वध करने के उपरान्त जब भगवान राम अयोध्या वापस आए थे, तो लोगों ने उनके स्वागत के लिए घर-बाहर सभी जगह दीपक जलाए थे। दीपक जलाने का रिवाज तभी से चला आ रहा है। इस अवसर पर श्रीराम की पूजा करने का विधान होना चाहिए था, लेकिन आजकल लोग लक्ष्मी, गणेश की पूजा करते हैं। हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार लक्ष्मी समृद्धि तथा धन-सम्पत्ति की देवी हैं। भगवान गणेश की भी यही विशेपता है।

दीपावली के त्यौहार में जहां अनेक गुण है, वहीं इस त्यौहार के कुछ दुर्गुण भी हैं। दीपावली खर्चीला त्यौहार है। कुछ लोग कर्ज लेकर भी इस त्यौहार को धूमधाम से मनाते हैं। नए कपड़े पहनते हैं, कार्ड भेजते हैं तथा डटकर मिठाई छानते हैं। नतीजा यह होता है कि यदि त्यौहार महीने के बीच या महीने के शुरू में पड़ता है। तो आम नागरिक को पूरा महीना आर्थिक दिक्कतों से काटना पड़ता है। इस प्रकार यह त्यौहार आम लोगों के लिए सुखकारी होने की जगह दुःख (ऋण) कारी सिद्ध होता है।

दीपावली पर्व के विषय में एक आम धारणा यह भी है कि इस त्यौहार के लिए जुआ खेलने से लक्ष्मीजी प्रसन्न होती हैं तथा वर्ष-भर धन आता रहता है। कितना बड़ा अंधविश्वास लागों के मन में समाया हुआ है। इस अंधविश्वास के कारण लक्ष्मी और गणेश पूजन का यह महापर्व लोगों के आकस्मिक संकट का कारण बन जाता है। कुछ लोग जुए में अपना सर्वस्व एक ही रात में गंवा बैठते हैं।

समय तथा परिस्थितियों के कारण इस पर्व के मनाने में जो तमाम पैसा पटाखों, फुलझड़ियों में बरबाद किया जाता है, वह रोका जाना चाहिए। इससे हमारा पैसा तो आग के सुपुर्द होता ही है, इसके साथ-साथ कभी-कभी ऐसी दुर्घटनाएं भी हो जाती हैं, जो जीवनभर के लिए व्यक्ति को अपंग बना देती हैं।

Source:- https://brainly.in/question/6537867


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