विश्व जनसंख्या दिवस पर निबंध

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जनसंख्या दिवस पर निबंध।
विश्व जनसंख्या दिवस 11 जुलाई।
Hindi Essay on World Population Day

प्रस्तावना : जनसंख्या वृद्धि आज पूरे विश्व के लिए एक चुनौती बन कर खड़ी हो गई हैं। इस चुनौती को विश्व को संभालना हैं, अधिक जनसंख्या अधिक संसाधन मांगती है, और अधिक संसाधन एक विकसित देश तो आसानी से अपनी जनता दे देती है, परंतु विकासशील देश को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता हैं, उसके बाद भी उनकी सभी जरूरतें पूरी नहीं हो पाती, इन बातों को ध्यान में रख कर जागरूकता फैलाने के लिए विश्व जनसंख्या दिवस मनाने की शुरुआत की गई।

विश्व जनसंख्या दिवस की शुरुआत : 1989 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के संचालक परिषद द्वारा हुई थी, दरअसल 11 जुलाई 1987 तक वैश्विक जनसंख्या का आंकड़ा 5 अरब के भी पार हो चुका था, जिसे देखते हुए वैश्विक हितों को ध्यान में रखते हुए इस दिवस को मनाने और जारी रखने का निर्णय लिया गया। प्रतिवर्ष 11 जुलाई को पूरे विश्व में जनसंख्या दिवस मनाया जाता है, देश और विश्व में लगातार बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए विश्व जनसंख्या दिवस पर इसकी जागरूकता फैलाने के साथ ही इसके दुष्परिणामों पर भी प्रकाश डाला जाता हैं।

आंकड़े- 19 को संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक मामले द्वारा विश्व जनसंख्या संभवत पुनरीक्षण 2019 रिपोर्ट जारी की गई थी। इस रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2019 में चीन 1.43 बिलियन एवं भारत 1.37 बिलियन की जनसंख्या विश्व की कुल जनसंख्या का क्रमश 19% एवं 18% है।

क्या वर्ष 2019 में बढ़कर 7.7 बिलीयन हो गई यह 10% बढ़कर वर्ष 2030 तक 8 पॉइंट 5 बिलियन हो जाएगी इसके अनुसार विश्व जनसंख्या वर्ष 2015 तक 26% बढ़कर 9.71 वर्षों तक बढ़कर 10 पॉइंट 9 बिलियन होने की संभावना है। यह आंकड़े जितने अधिक होंगे लोगों की स्थिति उतनी दयनीय होती चली जाएगी।

हम दो हमारे दो

हम दो हमारे दो का नारा आज हो या कल सबको अच्छे तरह से याद हैं, अस्पताल हो या सार्वजनिक केंद्र आज यह नारा हर जगह लिखा हुआ मिलता हैं यह नारा परिवार नियोजन के लिए जनसंख्या पर रोक के लिए एक अलग काम किया है। इसके रचना कार सुप्रसिद्ध कवि बालकवि बैरागी हैं। यह नारा केवल नारा ही नहीं थी बल्कि लोगो को एक सीख दी गई हैं, और समझाया गया हैं, की इस बारे के तहत वो अपना परिवार अच्छे से चला सकते हैं।

विश्व जनसंख्या दिवस के फ़ायदे

विश्व जनसंख्या दिवस मनाने का सबसे पहली पहल लोगो के अंदर जनसंख्या वृद्धि को लेकर जागरूकता फैलाना था यह बदलाव तुरंत तो दिखाई नहीं पड़ा परंतु जैसे जैसे समय में बदलाव आया पीढ़ी बदली और लोगो को जागरूक किया गया उसके बाद आज की पीढ़ी में कई बदलाव दिखते है, आज की पीढ़ी तो अपना परिवार नियोजन काफी सोच समझ कर करते हैं, कुछ परिवार तो सिर्फ़ एक बच्चा ही चाहते है।

जनसंख्या दिवस के बाद लोगों में इतनी जागरूकता आयी की आज हर कोई खुल के इन विषयों पर बातें करते है, भाषण और जागरूकता फैलाने के लिए रैली रखवाते हैं और जागरूकता केवल बड़े लोगो में ही नहीं बल्कि स्कूल के बच्चों में भी फैलाई का रहीं है, जिनसे उनके अंदर बचपन से ही यह बात घर कर जाए की अधिक जनसंख्या अर्थात् अधिक संसाधन जो विकाशील व्यक्ति और देश दोनों के लिए एक चुनौती है।

जनसंख्या वृद्धि अभिशाप या वरदान

किसी देश में युवा तथा कार्यशील जनसंख्या की अधिकता तथा उससे होने वाले आर्थिक लाभ को जनसंख्या के लाभ के रूप में देखा जाता है। भारत में मौजूदा समय में विश्व में सर्वाधिक जनसंख्या युवाओं की है, यदि इस आबादी का उपयोग भारत की अर्थव्यवस्था को गति देने में किया जाए तो यह भारत को लाभ प्रदान करेगा। किंतु यदि शिक्षा गुणवत्ता परक न हो, रोज़गार के अवसर सीमित हों, स्वास्थ्य एवं आर्थिक सुरक्षा के साधन उपलब्ध न हों तो बड़ी कार्यशील आबादी एक अभिशाप का रूप धारण कर सकती है। अतः विभिन्न देश अपने संसाधनों के अनुपात में ही जनसंख्या वृद्धि पर बल देते हैं। भारत में वर्तमान स्थिति में युवा एवं कार्यशील जनसंख्या अत्यधिक है किंतु उसके लिये रोज़गार के सीमित अवसर ही उपलब्ध हैं। ऐसे में यदि जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित न किया गया तो स्थिति भयावह हो सकती है। इसी संदर्भ में हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री ने जनसंख्या नियंत्रण की बात कही है।

उपसंहार

जनसंख्या वृद्धि एक नयी चुनौती बनकर हमारे सामने आई और आज भी इस पर काबू पाने में सरकार को कठिनाई हो रही है। जनसंख्या वृद्धि के दुष्परिणाम देश को भोगने पड़ रहे हैं। अधिक जनसंख्या के कारण बेरोजगारी की विकराल समस्या उत्पन्न हो गयी है। लोगों के आवास के लिए कृषि योग्य भूमि और जंगलों को उजाड़ा जा रहा है। यदि जनसँख्या विस्फोट यूँ ही होता रहा तो लोगों के समक्ष रोटी कपड़ा और मकान की विकराल स्थिति उत्पन्न हो जाएगी। इससे बचने का एक मात्र उपाय यही है की हम येन केन प्रकारेण बढ़ती आबादी को रोकें। अन्यथा विकास का स्थान विनाश को लेते अधिक देर नहीं लगेगी। सरकार को इस विशेष अवसर पर सबकी सहमति से जनसंख्या नियंत्रण पर कानून का निर्धारण कर देना चाहिए।

Author post Details:
Name: Prerna Mishra (writer of https://knowledgeocean.in/)

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