बीता हुआ समय कभी नहीं लौटता निबंध

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समय किसी का इंतजार नहीं करता निबंध
बीता हुआ समय कभी वापस नहीं आता 
समय कीमती है निबंध। 

बीता हुआ समय कभी नहीं लौटता निबंध, लेख।

ज़िन्दगी की सबसे कीमती चीज़ “समय” है। समय का चक्र निरंतर चलता रहता है। समय किसी के लिए कभी रुकता नहीं है। समय रेत जैसा होता है। एक बार हाथ से फिसल जाए तो फिर वापस उसे अपनी मुट्ठी में नहीं रख सकते है। उदाहरणस्वरूप अगर कोई व्यक्ति वक़्त पर इंटरव्यू ना दे पाए, तो वह बेहतरीन मौक़ा किसी और का हो जाता है। समय की एहमियत बड़े- बड़ो से नहीं छुपी है। समय पर किसी का ज़ोर नहीं चलता चाहे वह महाराजा हो या बड़े से बड़ा सम्पन्न व्यक्ति। समय के आगे सब मज़बूर है। अक्सर व्यक्ति गंभीर समस्या में कहता है, अच्छा होता मैं बचपन में वापस लौट जाता और मेरी कोई समस्या ना रहती। लेकिन वापस आयु को कम करके हम उस समय में नहीं पहुँच सकते है।

आयु का वह भाग जिसमे हम अपनी जिन्दगी में पीछे लौट नहीं सकते, उसे समय कहा जाता है। एक बार जो वक़्त बीत गया वह वापस नहीं आ सकता।

आज मनुष्य ने विज्ञान के क्षेत्र में काफी उन्नति की है। विज्ञान के विभिन्न प्रकार के आविष्कारों के कारण, हम अपना जीवन सुख और आराम से जी रहे है। जीवन को आरामदायक और सुखी बनाने के लिए हम सभी प्रकार की कोशिशे कर रहे है और हम उसमे सफल भी हुए है। हर चीज़ इंसान के हाथों में है। लेकिन सिर्फ समय को छोड़कर मनुष्य का हर किसी पर बस चलता है।

अगर समय पर मनुष्य का नियंत्रण रहता तो, हम महंगाई और गरीबी जैसे समस्यात्मक युगों को पीछे छोड़कर वापस उस युग में चले जाते, जब देश सम्पन्न था और समृद्ध था। परन्तु समय के आगे मनुष्य विवश है। एक वक़्त था, जब भारत में दूध जैसे खाद्य सामग्री की कमी नहीं थी, लेकिन आज बच्चो से लेकर वयस्कों के लिए दूध की कमी हो गयी है।

मनुष्य चाहकर भी देश को मुरली मनोहर श्रीकृष्ण के उस पावन युग में नहीं ले जा सकता है। उस समय में नहीं लौट सकता है जहां शान्ति, सुख चैन वाले जीवन हुया करते थे। आज सिर्फ मनुष्य उसकी कल्पना मात्र कर सकते है। बीते हुए समय पर किसी का ज़ोर नहीं चलता है। समय को इसलिए अमूल्य धन कहा गया है। 

समय को नष्ट करना यानी अपने जीवन के कीमती पलों को बर्बाद कर देना। भगवन एक बार एक ही क्षण देता है और दूसरा पल देने से पूर्व उसे छीन लेता है। समय एक ऐसा चीज़ है जिसे खोकर पुनः प्राप्त नहीं किया जा सकता है। अंग्रेजी में कहा गया है समय धन है। मगर समय तो धन से भी अधिक महत्वपूर्ण है। धन तो हम मेहनत करके कभी भी कमा सकते है। वक़्त रहते समय का सदुपयोग करके, हम अपने जीवन को बदल सकते है। हमे बाद में इसके लिए अफ़सोस नहीं करना पड़ता है।

केवट ने भी श्रीराम के चरण छूने का अवसर नहीं गवाया। भगवतगीता कथा में श्रीराम नदी किनारे पहुँचते है तो केवट अहिल्या का उदाहरण देकर भगवान् श्री राम के चरण धोने की बात करता है।

श्रीराम उनके मन की बात को भांप लेते है की केवट उनके चरण छूना चाहता है। श्रीराम अपने चरणों को आगे बढ़ा देते है। केवट उनके चरणों का आशीर्वाद लेकर प्रसन्न हो जाता है। इससे यह साबित होता है, हर इंसान को केवट की तरह समय का सदुपयोग करना चाहिए। गया हुआ वक़्त वापस नहीं आता है।

समय बहते हुए जल की तरह होता है। समय के अपने कुछ कायदे कानून है। एक बार हाथ से फिसला हुया समय फिर कभी वापस नहीं लौटता है। गलती से मुंह से निकली बात को मनुष्य वापस ठीक नहीं कर सकता, शरीर से निकली आत्मा वापस शरीर में दाखिल नहीं हो पाती है। गुजरा हुया बचपन और किशोरावस्था कभी वापस नहीं आता। जो गुजरा हुआ वक़्त है, उसे हम चाहे जो कुछ कर ले, वापस नहीं ला सकते है। इसलिए सही समय पर सही कार्य मनुष्य को करना चाहिए ताकि उसे बाद में पछताना ना पड़े।

समय रूपी अमृत को निरंतर बहते नहीं देना चाहिए। ज़रूरी नहीं इंसान को इससे प्यास बुझाने का मौका हमेशा मिले। समय रहते ही मनुष्य को समय रूपी अमृत से प्यास बुझा लेना चाहिए। समय किसी का दोस्त नहीं है। हम दिन रात प्रार्थना करके ईश्वर को भी माना सकते है, मगर समय को नहीं। समय किसी के आदेश से नहीं चलता है। समय का कोई मालिक नहीं है। समय को काबू में नहीं किया जा सकता है।

समय मनुष्य को अपनी जिंदगी में सफल होने का अवश्य मौका देती है। अगर उस सुवसर को पहचानकर मनुष्य सफलता के मार्ग पर आगे बढ़ता है, तो निश्चित रूप से वह कामयाब होता है। अगर वह इस मौके को ना पहचानकर समय का सदुपयोग ना कर पाया, तो जीवन भर उसे पछताना पड़ता है।

सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर युग और कलयुग, यह चार प्रकार के युग होते है, जिसके अनुसार यह पृथ्वी चल रहा है। यह सभी युग समय के अनुसार चलते रहते है। कलियुग में कर्म का महत्व होता है। सही समय में सही कर्म करके, हम अपने जीवन को सफल बना सकते है।

अगर समय पर बारिश ना हो तो फसलें बर्बाद हो जाती है। अगर समय पर आप परीक्षा देने नहीं जाते है, तो वह मौका चला जाता है। ज़रूरी कार्यो को वक़्त रहते पूरा कर लेने में ही समझदारी है, अन्यथा इंसान हाथ मलते हुए रह जाते है।

निष्कर्ष

जीवन के बहुमूल्य पलो को ऐसे ही नष्ट नहीं करना चाहिए, अन्यथा यह मनुष्य पर हावी हो जाएगा। गुजरे हुए पलों पर अफ़सोस करने से भी इंसान को कुछ प्राप्त नहीं होता है, सिर्फ सबक मात्र रह जाता है। गाँधी जी ने भी कहा था की हमारा एक मिनट भी ज़रूरी होता है इसलिए समय को गंवाना बेवकूफी होती है। समय को अगर आप नियंत्रित करना चाहते है, तो समय की गति से आपको दौड़ना पड़ेगा जो कि असंभव है। अगर समय को पहचानकर अच्छा कर्म मनुष्य करता है, तो निश्चित तौर पर वह अपने सुनहरे भविष्य का निर्माण करता है। जिन्होंने समय की कद्र नहीं की, बाद में चलकर जब उन्हें एहसास होता है, तब बहुत देर हो चुकी होती है।

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