ग्रामीण जीवन व नगरीय जीवन पर निबंध

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ग्रामीण जीवन व नगरीय जीवन पर निबंध,
शहरी जीवन और ग्रामीण जीवन पर निबंध,
Essay On City Life Vs Village Life In Hindi

प्रस्तावना: भारत एक विशाल देश है। प्राचीन काल में केवल गांवों का देश था। गांव का प्रधान ही ग्राम संगठन का विधान बनाता था। हमारे देश की जनसंख्या के बढ़ने के साथ-साथ जैसे हमारी आवश्यकता बढ़ती गई। उनकी पूर्ति के लिए हम नए -नए उधोगो की खोज में निकलते गए। परिणाम स्वरूप देश में नगरों का विकास प्रारंभ हुआ। हमारे पूर्वज ग्राम जीवन को ही अच्छा समझते थे। इसलिए उनका अधिक समय ग्रामों में ही बीता। नगरों की और उनका ध्यान तनिक भी नहीं गया। इसी कारण आज भी भारत में नगरों की अपेक्षा ग्रामों की संख्या अधिक है। संपूर्ण देश में आज भी लगभग साढे पांच लाख ग्राम है। डेज़ह की लगभग 80 प्रतिशत जनसंख्या गांव से जुड़ी हुई है। आधुनिक युग में कुछ विशेष कारणों से ही नगरों को महत्ता मिली है। इनकी संख्या गाँवो से आज भी कम है।

ग्रामीण जीवन: ग्रामों में प्रकृति का प्रभुत्व है। वहां की धरती हरित परिधान धारण किए दिखलाई पड़ती है। पक्षियों का कलरव सबका मन मोह लेता है। बागों में मयूर नृत्य करते दिखलाई पड़ते हैं। कोयल का मधुर गान सबके ह्रदय को छू लेता है। प्रकृति का कण-कण मानव जीवन को उम्मीद से भर देता है। ग्रामीणों की विशेषता है कि वह स्वभाव के सरल होते हैं। उनका रहन-सहन सादा होता है। उनकी ग्रहणी सच्चरित्र की मूर्ति होती हैं। वे अतिथि का बहुत सम्मान करते हैं। वे एक दूसरे की सहायता के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। उनमे छल कपट नाम को भी नहीं होता। शिक्षित ना होने पर भी उनमें एक दूसरे के लिए अपार श्रद्धा होती है। यदि ग्रामो में नगरों की भी सुविधाएं जैसे शिक्षा, प्रकाश ,स्वच्छता ,चिकित्सा व मनोरंजन आदि का प्रबंध हो जाए तो ग्राम जीवन में निसंदेश धर्म ओर स्वर्ग का आनंद दे सकता है।

नगरीय जीवन: इसके विपरीत नगरों में उन्नति के सभी साधनों सुविधा उपलब्ध होती है। इसी कारण नगरवासी सभ्य , शिक्षित, चतुर, ओर गुणी होते हैं। यहां उद्योग और व्यापार तेजी से पनपता है। इसलिए यहां के लोग धनवान होते हैं। यहां के निवासी भौतिकवादी वह अवसरवादी हो जाते हैं। इसमें स्वार्थपरता की भावना अधिक हो जाती है। उनके व्यवहार में कृतिमता अधिक तथा वास्तविकता कम होती है। अधिकतर बुराइयों को नगरों में ही आश्रय मिलता है। यहां के मिलो तथा वाहनों की अधिकता के कारण प्रदूषण भी प्रचुर मात्रा में पनपता है। यहां अनेक प्रकार के घोर अपराध जन्म लेते हैं, तथा पनपते रहते हैं।

उपसंहार: संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि दोनों एक-दूसरे से अटूट संबंध है। नगरों में व्यवसाय होता है। तो गांवों में कृषि की जाती है। यदि नगर गाँवो की दूसरी जीवन-उपयोगी वस्तु की पूर्ति करते हैं। तो गांव नगरों को फल – फूल, सब्जी, दूध और अन्न प्रदान करते हैं। अतः दोनों के सहयोग से ही राष्ट्र की उन्नति संभव है। अतः दोनों की अपनी-अपनी जगह महत्ता रहता है।

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