गरीबी और बेरोजगारी पर निबंध

गरीबी और बेरोजगारी पर निबंध-garibi aur berojgari par nibandh

प्रस्तावना: गरीबी एक अभिशाप से कम नहीं है। गरीबी और बेरोजगारी कहीं ना कहीं एक दूसरे से जुड़े हुए है। गरीबी के कारण लोगो को जीवन में दुःख और असम्मान झेलना पड़ता है। अशिक्षा के कारण गरीबी अधिक जन्म लेती है।  हालांकि देश में साक्षरता दर की वृद्धि हुयी है। फिर भी एक हिस्सा फिर भी गरीबी और गरीबी रेखा से नीचे गुजारा कर रहे है। गरीब लोग जैसे तैसे गुजारा करने को मज़बूर है। दो वक़्त की रोटी के लिए उन्हें ठोकरे खानी पड़ती है।  उनका दर्द असहनीय है। अगर लोग शिक्षित नहीं होंगे तो काम नहीं मिलेगा , अगर रोजगार नहीं होगा तो पैसे नहीं आएंगे। गरीब लोगो के पास रोजगार के कुछ ख़ास माध्यम नहीं होते है। कई दिनों तक बिना भोजन उन्हें रहना पड़ता है जिसके कारण उनका  शारीरिक भरण पोषण नहीं हो पाता है।

देश में जनसंख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती चली  जा रही है। जिसके कारण सब को नौकरी और रोजगार नहीं मिल पा रहा है। गाँव में अक्सर लोग गरीबी से परेशान रहते है।  पर्याप्त रोजगार ना मिलने के कारण वह गाँव से शहरों की ओर पलायन करते है। गाँव में किसानो को भी गरीबी से जूझना पड़ता है जब कृषि करने के लिए पर्याप्त साधन नहीं होते है। जब किसानो के किसी वर्ष फसल बर्बाद हो जाते है तो उन्हें भी भुखमरी से गुजरना पड़ता है। शिक्षित होना अत्यंत ज़रूरी है।  लोगो को व्यवहारिक और रोजगार संबंधित शिक्षा प्रदान करना बेहद आवश्यक है।

गरीबी से तंग आकर लोग शहरों में रोजगार के अवसर तलाश करते है। वह नगरों की सुख सुविधाओं को देखकर आकर्षित हो जाते है।  वहाँ छोटी मोटी नौकरी करते है और शहरों की महंगाई के कारण झुग्गियों में रहने को विवश है। गरीब लोगो को  शहरों में उन्हें  कुछ ख़ास अवसर प्राप्त नहीं होते है।  उन्हें जैसे तैसे गुजारा करना पड़ता है।

बेरोजगारी के कारण लोगो को जीवन में कठिनाईओं का सामना करना पड़ता है।  गरीब लोगो को  बेरोजगार होने के कारण  रहने और खाने पीने की   चीज़ें नहीं मिल पाती है। गरीब महिलाओं को शहरों में कुछ लोग नौकरी का झांसा देकर शहर लेकर आते है।  उनके साथ दुर्व्यवहार किया जाता है।  इसी तरह गरीब महिलाएं शोषण का शिकार बनती है।

अशिक्षा के कारण गरीब लोगो को मज़दूरी करनी पड़ती है और वहाँ भी उनका शोषण किया जाता है। गरीब लोगो को अच्छे बुरे का इतना ज्ञान नहीं होता है।  वह दो वक़्त के भोजन के लिए कोई भी काम करने को तैयार हो जाते है।  गरीबी उन्हें विवश कर देती है और उनका जीवन बेहद दर्दनाक बन जाता है।

कई जगहों पर शिक्षित गाँव वालो को भी अच्छी नौकरी नहीं मिलती है।  सरकार ने गरीब और ज़रूरतमंदो के लिए कोई ख़ास नौकरी के अवसर देने की योजना नहीं बनाई है। कुछ लोग जो गरीबी रेखा के नीचे आते है , उनकी हालत अत्यंत खराब होती है। उनके पास रहने के लिए एक छत तक नहीं होती है।  वह खुले स्थानों पर रहने के लिए विवश होते है।

गरीबी और बेरोजगारी से परेशान होकर कुछ लोग अपराधों के दल दल में फंस जाते है।  वह कुछ रुपयों के लिए गलत कार्य करने को मज़बूर हो जाते है। देश के सरकार के जन गणना के मुताबिक साल 1991 से साल 2001  तक करोड़ो लोगो ने गाँव से शहरों की ओर पलायन कर चुके थे। उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों से पलायन करने वाले लोगो की संख्या थोड़ी ज़्यादा है।गाँव में लोगो को मज़दूरी के कार्य भी नहीं मिल पाते है।  यही वजह है कि वह शहरों की ओर पलायन करते है।

सरकार ने गरीबी एवंग बेरोजगारी को रोकने और नियंत्रित करने के लिए कई कदम उठाये लेकिन वह इतने पर्याप्त नहीं है।  कई जगहों पर भ्रष्टाचार इतना ज़्यादा है कि गरीबो को सहायता नहीं मिल पा रही है।गरीबी के कारण लोगो को अच्छा जीवन , संतुलित भोजन , शिक्षा नहीं मिल पाती है।  इन्ही के कारण वह बेरोजगारी जैसे समस्या से जूझते रहते है। लघु  कुटीर उद्योगों को अधिक प्रोत्साहन मिलना चाहिए ताकि बेरोजगारी को कम किया जा सके।

निष्कर्ष

देश की आबादी पर नियंत्रण करना अत्यंत ज़रूरी है।  गाँव में सुख सुविधाओं का भरपूर विकास होना चाहिए।  सरकार को और अधिक ठोस कदम उठाने होंगे। गाँव में   शिक्षा और रोजगार  व्यवस्था का विकास करना चाहिए ताकि लोगो को शहरों की ओर पलायन ना करना पड़े। देश सम्पूर्ण रूप से तभी उन्नति कर पायेगा जब वह गरीबी और बेरोजगारी को जड़ से मिटा पायेगा।

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