जीवन में शिक्षा का महत्व पर निबंध

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हमारे जीवन में शिक्षा का महत्व पर निबंध- Jeevan me siksha ka mahatv par nibandh.

ज़िन्दगी में अगर हमे कुछ बनना है या आत्मनिर्भर होना है तो हमे शिक्षित होने की आवश्यकता है। शिक्षा एक रोशनी की तरह है जो जिन्दगी के अज्ञानता भरे अन्धकार को दूर कर देती है। शिक्षा प्राप्त करने से एक व्यक्ति ही केवल शिक्षित नहीं होता बल्कि उसका सुप्रभाव परिवार पर भी पड़ता है। प्राचीन काल में ऋषि मुनियो द्वारा शिक्षा आश्रम में दिया जाता था। कई तरह के वेद पुराणों की शिक्षा दी जाती थी। उसके कई दशकों के बाद अंग्रेज़ो के आगमन के पश्चात स्कूलों का निर्माण हुआ। बच्चों ने स्कूल जाकर ज्ञान अर्जन किया। शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार सभी को है। ज्ञान बाटने से ज्ञान बढ़ता है।

साक्षर का मतलब है कि उस इंसान को लिखना -पढ़ना आता है। लेकिन क्या सिर्फ साक्षर होना काफी है? नहीं अगर आपको ज़िन्दगी में किसी पर निर्भर नहीं होना है तो आपको शिक्षित होने की आवश्यकता है। शिक्षित होने का तात्पर्य है अपनी ज़िन्दगी में विद्या का सही उपयोग करना और साथ ही परिवार और समाज के लिए काबिल बनना। शिक्षा का उपयोग ज़िन्दगी के हर क्षेत्र के लिए लाभदायक है। अगर आप शिक्षित है तो आप एक सुखमय जीवन व्यतीत कर सकते है। आपको अच्छे, बुरे, सही गलत का ज्ञान होता है। आप ज़िन्दगी में कोई भी कार्य आत्मविश्वास के साथ कर सकते है।

हम शिक्षित है तो हम अपनी सुविधानुसार कहीं पर भी नौकरी कर सकते है। समाज में आपकी इज़्ज़त रहती है। अगर कोई भी व्यक्ति अशिक्षित है तो उसे ज़िन्दगी में हर वक़्त कठिनाईओं का सामना करना पड़ सकता है। उन्हें पैसो की गिनती से लेकर अखबार पढ़ने तक हर क्षेत्र में असुविधा का सामना करना पड़ेगा।

उन्हें अशिक्षित होने का घुटन महसूस होने लगेगा। सिखने की कोई विशेष उम्र नहीं होती है। अगर मनुष्य किसी कारणवश अपनी शिक्षा पूरी नहीं कर पाया है तो उसे घबराने की ज़रूरत नहीं है। वह शिक्षा संस्थानों से संपर्क कर प्रवेश पा सकता है। शिक्षा की लौह पूरी मनुष्य की ज़िन्दगी में रोशनी भर देती है। शिक्षित व्यक्ति परिश्रम करके अपना रोजगार चला सकता है। उसका करियर भी अच्छे से स्थापित हो जाता है।

शिक्षा पर सभी धर्म, जाति लिंग का अधिकार है। शिक्षा ग्रहण करना  सभी का मौलिक अधिकार है। इस पर किसी प्रकार का भेदभाव निंदनीय है। अगर व्यक्ति शिक्षित है तो वह अपने ज्ञान से हर मुश्किल आसान कर देता है।

मनुष्य शिक्षित होने पर अपने परिवार की भली -भाँती देखभाल कर पता है। ज़िन्दगी के कठिन फैसले वह खुद लेने में सक्षम रहता है। शिक्षित व्यक्ति अपने जीवन में अपनी हर चाह को पूरी कर सकता है और मेहनत कर सफलता के मार्ग पर अग्रसर होता है। शिक्षित व्यक्ति अपने देश के प्रति हर ज़िम्मेदारियों को बखूभी निभाता है। उसे नैतिक और कानूनी अधिकारों के बारे में सब पता होता है। वह सरकार द्वारा हर आदेश का पालन करता है और गलत रास्ते नहीं जाता है। वहां अशिक्षित व्यक्ति शिक्षा के अभाव में ज़िन्दगी में गलत मार्ग का अनुकरण करता है।

अशिक्षित व्यक्ति को अच्छी नौकरी नहीं मिल पाती है जिसके चलते वह ज़िन्दगी में गलत मार्ग और शार्ट कट चीज़ें अपनाते है। यहाँ उनकी ज़िन्दगी बर्बाद हो जाती है। शिक्षित व्यक्ति की इज़्ज़त समाज करता है और उस व्यक्ति से राय लेता है। वहीं अशिक्षित व्यक्ति को समाज झुटला देता है। अशिक्षित व्यक्ति की बातों पर कोई भी ध्यान नहीं देता है। शिक्षित व्यक्ति को हर छोटी बड़ी बातों का ज्ञान होता है। वह रोज़ ज़िन्दगी में नविन तत्यों को सिखता है और पुस्तकों का अध्धयन भी करता है। जिस वजह से कोई भी साधारण व्यक्ति उसे मुर्ख नहीं बना सकता है।

शिक्षित व्यक्ति हर महत्वपूर्ण चीज़ों की जांच करता है और सोच-समझ कर फैसले करता है। किसी भी अनजान व्यक्ति की बातों में नहीं आता है।  वह हर पहलु का तोल -मोल करके ही अपना फैसला लेता है। किसी भी कागज़ को बिना पढ़े हस्ताक्षर नहीं करता है। समाज और देश की प्रगति के लिए हर व्यक्ति का शिक्षित होना अनिवार्य है।

लेकिन कुछ वजहों से समाज में हर व्यक्ति को शिक्षा नहीं मिल पा रही है। इसका मूल कारण जनसंख्या वृद्धि है। देश में जनसंख्या बढ़ती चली जा रही है जिसकी वजह से प्रत्येक कोने में स्कूल नहीं खुल पा रहे है।

देश में गरीबी एक प्रमुख समस्या है। मजदूर और गरीबवर्ग के लोग जो दैनिक आय पर जीते है। रोज़ खाने के लिए ही पैसा जुट पाता है।वह शिक्षा अपने बच्चो को दिलाने में असमर्थ है। गांव में कई किलोमीटर उन्हें पढ़ने हेतु जाना पड़ता है। वहां कुछ बच्चे जाने में असमर्थ है। पैसो की तंगी के कारण उन्हें बाल मजदूरी के दल दल में धकेल दिया जाता है।

आजकल विद्यालय खासकर अंग्रेजी medium स्कूल्ज में बच्चे को पढ़ाना मतलब पानी की तरह पैसा बहाना होता है। शिक्षा अत्यंत महंगी हो गयी है कि सिर्फ गिने -चुने वर्ग के लोग यह महंगी शिक्षा बर्दास्त कर पाते है। जो लोग धनी है उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है। जिन परिवारों में आर्थिक समस्याएं है वह इतनी महंगी शिक्षा अपने बच्चे को प्रदान करवाने में असमर्थ है।

समाज की सोच कई जगहों पर बहुत पिछड़ी हुई है। कई गाँव में बेटियों को अभी भी पढ़ाया नहीं जाता है और उनसे घर के काम करवाए जाते है। इसलिए लड़कियाँ बहुत से हिस्सों में शिक्षा प्राप्त नहीं कर पा रही है।

लेकिन आज दुनिया में बहुत परिवर्तन आया है। भारत सरकार ने शिक्षा को एहमियत देते हुए कई नियम बनाये है ताकि शिक्षा प्राप्त करने कि सुविधा हर इंसान को नसीब हो। मुफ्त शिक्षा के स्कूल गाँव और कस्बो में खोले गए है। बहुत सारे सरकारी स्कूलों में फीस बहुत कम है ताकि परिवारों को तकलीफ न हो और निश्चिंत होकर आपने बच्चे को शिक्षा प्राप्त करने के लिए भेज सके। बेटी पढ़ाओ और बेटी बचाओ जैसे मुहीम आरम्भ किये गए है ताकि लड़कियों को शिक्षा मिल सके। शिक्षा पर लड़के -लड़की का बराबर हक़ होता है।

उपसंहार

शिक्षा सभी का जन्मसिद्ध अधिकार है। भारत सरकार अपनी तरफ से पूरी चेष्टा कर रही है ताकि सभी को बराबर शिक्षा मिल सके।  शिक्षा मनुष्य को सकारात्मक सोच की और ले जाती है। अशिक्षा बुराई और नकारात्मक सोच को जन्म देती है। हम इस नकारात्मक सोच को शिक्षा रूपी मोमबत्ती की लौह से प्रकाश कर ज्ञान का उजाला भर देंगे।

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