गरीबी एक अभिशाप पर निबंध,लेख

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#1. निबंध: गरीबी एक अभिशाप पर निबंध
Hindi Nibandh Garibi Ek Abhishaap

भारत की सबसे गंभीर समस्याओं में से एक गरीबी है। भारत की दिन प्रतिदिन आर्थिक स्थिति ख़राब होती जा रही है। देश में लिप्त भ्रष्टाचार अपने चरम सीमा पर है। गरीबो को हर ख़राब परिस्थिति की मार झेलनी पड़ती है। गरीबो को दो वक़्त मज़दूरी करने के बाद भी भरपेट खाना मुश्किल से नसीब हो पाता है। गरीबो को शारीरिक तौर पर उचित पालन पोषण नहीं मिलता है। गरीबो को ज़्यादातर जगहों पर तिरस्कार किया जाता है। गरीब लोग अशिक्षित होने के कारण सही-गलत और अच्छाई -बुराई में फर्क नहीं कर पाते है। गरीब मज़दूरों से बड़े व्यापारी अधिक मज़दूरी कराते है लेकिन पैसे बहुत कम मिलते है। गरीब आदमी अपने बच्चो को अच्छी शिक्षा देने के लिए अच्छे स्कूल में दाखिला कराने में असमर्थ है। अच्छी शिक्षा प्राप्त करना, उनके लिए सपने जैसा है।

गरीबो के बच्चो का कोई ख़ास भविष्य नहीं बन पाता है जिसकी वजह से बच्चे भी अपने परिवार के लिए कुछ नहीं कर पाते है। देश में इस प्रकार के अमीर और गरीब होने की असमानता को दूर करना अनिवार्य है। देश में इस तरह के असमानता के कारण अमीर लोग अत्यधिक धन कमा रहे है और गरीबो को कुछ नहीं मिल पा रहा है। गरीब लोगो की हालत दयनीय हो गयी है। गरीब माता पिता अपने बेटियों की शादी कम उम्र में कर देते है जिसके कारण वह दहेज प्रथा जैसी कुरीतियों का सामना करते है। गरीबी एक ऐसी भयंकर समस्या है जो इंसान की सारी जिंदगी को दुखो और तकलीफो से भर देती है। अच्छा और व्यवस्थित जीवन उन्हें कभी मिलता ही नहीं है।

गरीबी बढ़ने का मुख्य कारण है, जनसंख्या वृद्धि। जिस प्रकार जनसंख्या बढ़ रही है, रोजगार के अवसर प्राप्त नहीं हो रहे है। जिस प्रकार से देश में जनसंख्या बढ़ रहा है, प्रतिस्पर्धा का माहौल पनप रहा है। गरीब लोग अशिक्षित होकर देश के इस माहौल में पीछे चले जा रहे है। गरीबी को जड़ से दूर करने के लिए जनसंख्या पर नियंत्रण करना आवश्यक है।

भारत एक कृषि प्रधान देश है। हालांकि विज्ञान ने भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। लोगो को लगता है कि सिर्फ कृषि करने से वह आगे नहीं बढ़ पा रहे है। प्राकृतिक आपदाओं जैसे अकाल इत्यादि के कारण भी गरीब  किसानो को बहुत कुछ झेलना पड़ रहा है। देश की सरकार को ज़रूरत है कि वह कृषि जैसे क्षेत्रों में अधिक उन्नति करे और किसानो को विश्वास दिलाये कि इसमें वे काफी उन्नति कर सकते है। गरीब लोग गाँव छोड़कर शहरों की ओर भाग कर रहे है ताकि वे थोड़े अधिक पैसे कमा सके। इस शहरी चकाचौंध के कारण उनकी अवस्था और अधिक बुरी हो जाती है।

भारत की ज़्यादातर जनता गरीबी की रेखा के नीचे रहकर पशुओं की भाँती ज़िन्दगी जीने को मज़बूर है। देश के कई लोग जंगलो में दयनीय अवस्था में नरक जैसी ज़िन्दगी जी रहे है। लाखो लोग गरीबी की वजह से फुटपाथ पर रहने के लिए विवश है। करोड़ो लोग निम्न स्तर की जिन्दगी जी रहे है और कम भोजन खाकर कष्टपूर्ण जीवन जीने के लिए विवश है।

विडंबना तो यह है कि देश में एक ओर टाटा, बिरला और अम्बानी इत्यादि है जिनके पास इतना पैसा और शौहरत है। दूसरी ओर गरीब लोग है जिन्हे दो वक़्त का खाना भी मुश्किल से नसीब होता है। देश के विकास में गरीबी बहुत बड़ी बाधा है। गरीब आदमी सारी ज़िन्दगी अपने भूख को मिटाने में जुटा रहता है। जीवन के बाकी सुखों का एक क्षण भी नहीं मिल पाता है। आजादी और इज़्ज़त की जिंदगी की अनुभूति नहीं कर पाता है। कुछ लोग गरीब लोगो से अत्यधिक कम करवाते है और बुरा बर्ताव भी करते है। हमारे देश में बेरोजगारी भी बहुत गंभीर मसला है जो कई वर्षो से बनी हुयी है। लोग बेरोजगार अधिक हो रहे है, इससे देश में गरीबी अधिक बढ़ रही है।

देश में गरीबी को दूर करने के लिए उन्हें  शिक्षित करना ज़रूरी है। लोगो को सही दिशा में प्रशिक्षित करना चाहिए ताकि उन्हें रोजगार के अवसर मिले। देश की कभी ना ख़त्म होने वाली महंगाई भी गरीबी का कारण है। सरकारें आयी और गयी मगर महंगाई वहीं खड़ी है। प्रति वर्ष डीजल, पेट्रोल के दाम बढ़ रहे है और सभी छोटे बड़े चीज़ों के दाम निरंतर बढ़ रहे है। सरकार इस पर नियंत्रण नहीं कर पा रही है। यह भी गरीबी का एक कारण है। गरीब मज़दूरों और किसानो के पास इतनी आमदनी नहीं होती कि वह इस महंगाई की मार को सहन कर सके।

हमारे देश में ज़्यादातर लोग व्यापार को महत्व नहीं देते है। उन्हें नौकरी करना सरल लगता है। अगर लोग व्यापार को महत्व देते तो कई गरीब लोगो को रोजगार मिल पाता मगर ऐसा हुआ ही नहीं। देश से गरीबी को मिटाने के लिए, लोगो को सही टैक्स भरना ज़रूरी है। सरकार अगर सही दिशा में टैक्स का इस्तेमाल करे तो देश से गरीबी मिट सकती है।

आज भी देश में सरकारों ने गरीबी को दूर करने के लिए कई अनगिनत वादें किये, मगर उसको पूरा करने में असमर्थ रहे है। आजकल के भ्रष्ट राजनेता सिर्फ अपना स्वार्थ देखते है और गरीबो का नुकसान करते है। गरीबी सच में एक अभिशाप और बुरी बद दुआ है।

गरीबो को अपना शरीर ढकने के लिए भी अच्छे कपड़े नसीब नहीं होते है। गरीब मज़दूरों के बच्चे भी आगे चलकर पीढ़ीगत मज़दूरी को आगे बढ़ाते है। बाल मज़दूरी भी इसी का परिणाम है। गरीबी के कारण माता पिता परिवार का भरण पोषण नहीं कर पाते है। यही वजह है कि वह अपने बच्चो को बाल मज़दूरी की तरफ धकेल देते है। बच्चो को बचपन से अच्छी शिक्षा नहीं मिलती और सारी ज़िन्दगी उन्हें ऐसे ही मज़दूरी करनी पड़ती है।

जब गरीबो को बीमारियां होती है, तब वह अपना इलाज़ तक नहीं करा पाते है। अगर गंभीर बीमारी ना हो तो मुफ्त चिकित्सा केंद्र से उन्हें दवाईयां मिल जाती है। अगर गंभीर बीमारी हो तो वह बिना इलाज़ के किसी कोने में अपना दम तोड़ देते है। उनके पास इतने पैसे नहीं होते है और वह महंगे डॉक्टर से अपना इलाज नहीं करवा पाते है।

गरीबी की मार से लोगो को जब रोजगार प्राप्त नहीं होता है, तो वह गैर कानूनी कार्यो में लिप्त हो जाते है। गैर कानूनी कार्य जैसे डैकेती, लूटपाट, हत्या और अपहरण जैसे जुर्म करते है। कुछ लोग नशीले चीज़ों को सेवन करते है जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते है।

निष्कर्ष

गरीबो को हर जगह दर दर की ठोकरे खानी पड़ती है। गरीबी एक ऐसी भयंकर समस्या है जिसे कोई भी महसूस नहीं करना चाहेगा। गरीबी हटाओ का नारा अक्सर लोग लगाते है और राज्य सरकार भी गरीबो के उत्थान के लिए बहुत कसमे खाती है। लेकिन प्रत्यक्ष रूप से ऐसा कोई बदलाव देश में आया नहीं है। शिक्षा गरीबो तक पहुंचनी ज़रूरी है ताकि वह अपने व्यक्तित्व को पहचान सके। ऐसी कोशिशें करनी चाहिए कि गरीब अपने आत्मविश्वास और शिक्षा के दम पर कुछ कर सके, तभी देश से गरीबी को मिटाया जा सकता है।

-:धन्यवाद:-


#2. निबंध, लेख : गरीबी एक अभिशाप पर लेख
Paragraph on poverty a curse

प्रस्तावना:- सुप्रसिद्ध नाटककार श्री मोहन राकेश ने अपने सुप्रसिद्ध नाटक ‘आषाढ़ का एक दिन’ में गरीबी का सही और मर्मस्पर्शी चित्र खिंचते हुए कहा है।

दारिद्र्य वह कलंक है, जो छिपाए नहीं छिपता,… केवल छिपता ही नही, लाख-लाख गुणों को ढक देता है।” 

इस तरह दरिद्रता अर्थात गरीबी वास्तव में अत्यंत कष्टकारी और दुखकारी होती है। इसे गोस्वामी तुलसीदास ने अत्यंत गम्भीरता पूर्वक अपनी महाकाव्यकृति “रामचरितमानस” में यो कहा है।

“नहीं दरिद्र सम दुख जग माही।
संत मिलन सम सुख कछु नहीं।“

गरीबी के प्रभाव:- गरीबी को प्रायः सभी महामानवों ने न केवल गंभीरता पूर्वक समझा और समझाने का प्रयास किया है। अपितु इसे बहुत बड़ा पाप और अपराध भी कहा है। ऐसा इसलिए कि इससे अनेक प्रकार के कष्ट, दुःख और अभाव आ घेरते है। उनसे जीवन-विकास की गति ही धीमी नही पड़ती है, अपितु सामान्य और छोटी-छोटी आवश्यकताए धक्के खा-खाकर घिस-पिट जाती है। फलतः जीवन असहाय और सर्वथा उपेक्षित और घृणा का पात्र बनकर अलग-थलग पड़ जाता है। इस प्रकार गरीब व्यक्ति अपनी सभी प्रकार की आवश्यकतओ की पूर्ति करने की बात सोचने की हिम्मत नहीं जुटा पाता है। यह इसलिय की वह अपनी सामान्य शारिरिक आवश्यकताओ को पूरा करने के लिए निरंतर  जी तोड़ कोशिश करने के सिवाय और किसी आवश्यकता के लिए वह स्वम् को सक्षम और योग्य नहीँ  सिद्ध कर पाता है। इस प्रकार वह अपने विकास की पहली मंजिल पर चढ़ने में असमर्थ होकर रह जाता है। इस तरह वह अपने जीवन का न सच्चा आनंद ले पाता और ना इसके लिए योग्य बन पाता है। इस आधार पर कहा जा सकता है कि गरीबी का प्रभाव बड़ा ही भयानक और ह्रदयविदारक होता है। इससे स्वाभिमान, स्वाधिकार, प्रेम, सदभाव, साहचर्य, साहस, आशा, विशवास आदि मानवीय गुणों का न विकास होता है। कॉर्बन इसकी कोई कहि सम्भावना ही रह जाती है।

गरीबी के प्रभाव को प्रयोगवादी कवि श्री केदारनाथ अग्रवाल ने “पैतृक सम्पति” नामक कविता में बड़े ही ह्रदयस्पर्शी रूप में किया है।

जब बाप मरा तब यह पाया, भूखे किसान के बेटे ने
घर का मलवा, टूटी खटिया, कुछ हाथ भूमि-वह भी परती
बस यही नहीं, जो भूख मिली, सौ गुनी बाप से अधिक मिली।
अब पेट खिलाये फिरता है। चोडॉ मुँह बाए फिरता है
वह क्या जाने आज़ादी क्या? आजाद देश की बाते क्या?

इस तरह गरीबी प्रभाव बहुत ही भयंकर और असहाय होता है। इससे न केवल शारिरिक कष्ट ही प्राप्त होते है। अपितु इससे मानसिक और हार्दिक भी अपार कष्ट होते है। उनमें सभी प्रकार की श्रेष्ठ भावनाएं नैतिकता, सरलता, सरसता, सत्यता आदि कुंठित होकर समाप्त हो जाती है। वे सभी पेट की आग में भस्म हो जाती है।

गरीबी के स्वरूप:- गरीबी के प्रभाव बड़े ही दुख और कष्टदायक होने के कारण इसके स्वरूप भी बहुत विद्रूप और अशोभनीय होते है। इससे घृणा, घिनोनेपन और अश्पृश्यता के स्वरूप और भाव स्पष्ठ रूप से प्रकट होते है। फलतः गरीबी व्यक्ति एक बहुत बड़ी अभिशायमयी जिंदगी जीने के लिए विवश हो जाता है।

गरीबी का सबसे बड़ा स्वरूप है:- असन्तोष गरीबी के पास आत्म-सुख और आत्म कल्याण के लिए जब कुछ शेष नहीं रह जाता है। तो वह अत्यंत उत्तेजीत ओर अस्यामित हो उठता है। फिर वह अपना पूरा विवेक खो डालता है। उसे दूसरों की सम्पति सुख सुविधा आदि छीनने या अपनाने के सिवाय और कोई चारा दिखाई नही देता है। इस प्रयास में यह अत्यंत अनैतिक और अशोभनीय कार्यो को करने लगता है। उसके सभी कार्य दुष्कर्मपूर्ण होते है। इनसे उसका स्वरूप बड़ा ही धुंधला, मेला और कलंकित दिखाई पड़ता है। फलतः वह कहि भी किसी प्रकार से समाहित और ग्रहा न होकर बड़ा उपेक्षित और त्याज्य बन जाता है। इस आधार पर यह कहा जा सकता है। कि गरीबी के स्वरूप बड़े ही अमानवीय और अनापेक्षित स्वरुप है। जो मानवता के लिए घोर कलंकित सिद्ध होते है।

गरीबी के कारण:- गरीबी के कारण एक नही अनेक है। भाग्यवादी होना गरीबी का एक प्रमुख कारण है। इससे व्यक्ति निठल्ला और अकर्मण्य बनकर भाग्य पर ही कवक भरोसा करता है। फलतः वह कोई भी कार्य करना उसके लिए बहुत दूर की बात है। किसी काम की शुरुआत भी नही कर पाता है। इस तरह कोई कार्य नही होगा, तो उसका फल भी कुछ नही होंगा। इस तरह कहि से भी कुछ भी प्राप्त होने की कोई गुंजाइश नहीँ होती है।

गरीबी का दूसरा प्रमुख कारण है: अंध-विशवास। इसे हमारे देश मे बड़ा महत्व दिया गया है। संतो ने स्पष्ट रूप से अर्कमण्यता और अंध-विशवास की सराहना करते हुए कहा है।

“अजगर करे ना चाकरी, पँछी करें न काम।
दास मलूका कह के गए,सबके दाता राम।।”

उपयुर्क्त सूक्ति पर अंध-विशवास करके हमारे देश के अधिकांश लोग भाग्यवादी और अंध-विशवासी है। फलतः वे आजीवन अपने बल और विवेक को प्रयोग में न लाकर गरीबी के दास बनने में ही अपनी बुद्धिमानी समझते है। गरीबी का तीसरा प्रमुख कारण है। आर्थिक-विषमता, हमारे देश मे आर्थिक विषमता इतनी ऊँची है कि एक ओर टाटा, बिरला, अम्बानी, मोदी आदि महान उधोगपति है। तो दुसरी और भूख से बिलबिलाते बच्चे और कुत्तो से भी गिरे हुए कंगालों की दुनिया है। इस तरह गरीबी के कारण एक नही अनेक है। ये सभी विकट ओर असाध्य है।

उपसंहार:- सचमुच में गरीबी मानवता का घोर कलंक है। यह मानवता को पशुता की और ले जाने वाली बहुत बड़ी अदृश्य शक्ति है। इसे दूर करने के उपाय समाज और शासन-सरकार दोनों को ही करना चाहिए। यह तभी सम्भव है। जब गरीबी अपनी पुरानी मान्यताओं  धारणाओं की खोल से बाहर निकले उसके लिए सरकार के सहयोग की बहुत बड़ी आवश्यकता है। गरीबो के लिए सहायतार्थ योजना के द्वारा धन सुविधा देकर सरकार को कदम बढ़ाना चाहिए।

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