राष्ट्रीय पक्षी मोर पर निबंध

भारत का राष्ट्रीय पक्षी मोर निबंध हिंदी में
rashtriya pakshi mor nibandh

मोर एक असाधारण खूबसूरत पक्षी है। मोर की गर्दन सुन्दर और आकर्षक होता है। इसके अद्भुत और सुन्दर नीले पंख है। मोर को अपने पूंछ पर  बहुत अंहकार है। मोर जब ही आसमान में घने बादलो को देखता है , उसकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहता है। आसमान में छाए हुए बादलो को देखकर वह नाच उठता है। मोर फल , बीज , अनाज , कीड़े और साँप खाता है। कुछ लोग मोर को अपने घरो में पालते है। मोर की गर्दन लम्बी होती है। 

मोर के लम्बे फैले सुन्दर पंख है।  लम्बे पंखो के कारण मोर काफी लंबा प्रतीत होता है।  सभी पाए जाने वाले पक्षियों में सबसे सुन्दर पक्षी मोर है।  मोर की  लंबाई  तक़रीबन 195 से 225 सेमी है।  मोर का औसत वजन 5 किलो है।  मोर का सिर, गर्दन और बिलकुल इंद्रधनुष के  नीले रंग की तरह होते हैं।  मोर के आंखों के आसपास एक सफेद रंग के पैच भी हैं।

मोर के सिर के ठीक  ऊपर पंखों का एक  अद्भुत समूह होता है। मयूर की सबसे उल्लेखनीय और जानी मानी  विशेषता  है उसका असाधारण सुंदर पूंछ है। इस पूंछ को ट्रेन कहा जाता है।   4 साल की हैचिंग के पश्चात  मोर की   यह  पूंछ पूरी तरह से विकसित हो जाती है। मोर के  पीछे के पंख भूरे रंग के होते हैं। मोर की लम्बी और नुकीली चोंच होती है।  मोर पुल्लिंग शब्द है।  मोर जितना अधिक खूबसूरत होता है , मोरनी नहीं होती है।  मोर के पैर इतने सुन्दर नहीं होते है , इसका बात का दुःख उसे अवश्य रहता है। मोर के पैरो से संबंधित कई किस्से कहानियाँ मशहूर है।  मोर के पंखो में जैसे इंद्रधनुषी रंगो का जैसे समावेश होता है , जिससे एक अद्भुत सुन्दर दृश्य उत्पन्न होता है।

भारत में मोर को पावन पक्षी के रूप में माना जाता है। भगवान् श्रीकृष्ण अलौकिक सौंदर्य को मोर पंख और अधिक बढ़ा देता है। मोर पंख को बहुत घरो पर शुभ चिन्ह के रूप में माना जाता है। बहुत से धार्मिक स्थलों और मंदिरो में मोर पंख रखे जाते है। दुर्गा माँ के पुत्र कार्तिक का वाहन भी मोर है। विद्या देवी सरस्वती जी को भी मोर से अधिक लगाव है। बच्चो को बुरी नज़र से  बचाने के लिए  भी मोर पंख का इस्तेमाल किया जाता है। कई उत्सव में सजावट के लिए मोर पंखो का उपयोग किया जाता है।

 मोर अपने पतले टांगो की वजह से उड़ नहीं सकते है।  मोर काफी तेज़ी से दौड़ सकते है। मोर की सुंदरता हमे मंत्रमुग्ध कर देती है। मोर  निश्चित तौर पर  एक आकर्षक और  रंगीन पक्षी है जो सदियों से भारत का गौरव रहा है। मोर के अद्भुत सौंदर्य की वजह से  वे कलाकारों के लिए प्रेरणा स्रोत रहे हैं। इस पक्षी की एक झलक  को पाने कर प्रयटकों  दूर – दूर से आते है और इसकी झलक पाकर उनके  मन में संतोष प्राप्त होता है। बादलो को गरजते देख , मोर नाच उठता है।

 मोर एक सर्वाहारी  प्रजाति  है , यानी अनाज और सांप दोनों तरह के चीज़ें खा सकते है। मोर को छोटे- छोटे समूह में रहना अच्छा लगता है।  प्रत्येक समूह में एक पुरुष और तीन से पांच महिलाएँ होती है।  मोर को ज़्यादातर पेड़ो के ऊँचे शाखाओ पर रहना सुरक्षित लगता है ,ताकि वह शिकार करने वाले से बच सके। मोर को अपने आस पास  ख़तरा महसूस होने पर , वे  दौड़ना  ज़्यादा  पसंद करते हैं। क्यूंकि मोर के पैर चुस्त होते है। मोर ज़्यादातर असम , मिज़ोरम  और मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में पाया जाता है। मोरनी के खुद के  पंख नहीं होते है।

मोर जंगल , उद्यान और पहाड़ो  में रहते है। मोर घोसला बनाने में सक्षम नहीं है।   दो प्रकार के मोर पाए जाते है , इंडियन मोर और ग्रीन पीकॉक यानी मोर।  ग्रीन मोर भारतीय मोर के मुकाबले ज़्यादा सुन्दर और आकर्षक होता है। ग्रीन पीकॉक इंडोनेशिया देश में पाए जाते है। वर्षा ऋतू के दौरान आसमान में जैसे ही काले बादल छा जाते है , अक्सर मोर उत्साहित और प्रसन्न हो जाते है। वर्षा ऋतू मोर के मन में आनंद भर देते है। इस वक़्त मोर आपने सम्पूर्ण पंखो को एक फैन की तरह खोलकर , खूबसूरती से नृत्य करता है। मोर को बाघ और शेर से बड़ा डर लगता है। मोर का भी आजकल शिकार हो रहा है , जो कि एक निंदनीय अपराध है।

निष्कर्ष

भारत सरकार ने सन 1963  में मोर को राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया था। हिन्दू समाज में जैसे गाय की पूजा की  जाती है , उतना ही मोर को भी सम्मान किया जाता है। गर्दन के सुन्दर नीलिमा की वजह से , मोर को नीलकण्ड भी कहा गया है। मोर मदमस्त होकर जब बादलो को निहार कर नाचता है ,  तब अक्सर वह बेसुध हो जाता है। तब अगर कोई भी व्यक्ति उसके समक्ष आ जाए तब वह डरकर झाड़ियों के पीछे छिप जाता है। मुग़ल सम्राट शाहजहाँ भी मोर की  सुंदरता से  मोहित होकर ,  मयूर आसान बनवाया था। मोर पंखो से बड़े और विशाल  पंखे भी बनाये जाते है। मोर का संरक्षण भी उतना ही आवश्यक है क्यूंकि यह हमारे देश के गौरव को दर्शाता है । मोर की  सुरक्षा  करना वन विभाग और हमारी ज़िम्मेदारी है।

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