विद्यालय में मेरा पहला दिन पर निबंध।
Hindi Essay on My first day at school
कभी-कभी ऐसा होता है। जब कहीं पर किसी विशेष अवसर पर प्रवेश करना पड़ता है। इस प्रकार अनुभव कभी-कभी बहुत मीठा होता है। तो कभी बहुत खट्टा ओर कभी कड़वा होता है। फिर भी ये सभी अनुभव हमारे जीवन पर एक गहरी छाप छोड़ जाते है। इस प्रकार ये अनुभव जीवन मे सजीव हो जाते है। यू तो ओर के जैसे मुझे भी कुछ अनुभव प्राप्त है। जिन्हें हम भुलाएं नही भूलते है। इस प्रकार के अनुभव में एक अनुभव मेरे विद्यालय में पहला दिन था।
विद्यालय में मेरा पहले दिन का अनुभव उस समय का है जब मेंने आठवीं कक्षा पास कर ली थी। मेरा रिजेल्ट बहुत ही अच्छा था मैंने प्रथम श्रेणी में पास कर लिया था। इसलिए मुझे शहर के एक अच्छे विद्यालय में प्रवेश लेने का अवसर प्राप्त हुआ। मेरे परिवार सहित सभी पास पड़ोस ओर रिश्तेदारों ने अपनी-अपनी सलाह ओर सुझाव प्रदान किये। सबके सुझाव सुनकर मेरे पापा ने मुझे एक अच्छे विद्यालय में मेरा प्रवेश करवा दिया। विद्यालय में प्रवेश के बाद मेरा प्रवेश पत्र भरकर जमा करवा दिया। कुछ दिनों बाद प्रवेश-सूची निकाली गई। और पहली सूची में ही मेरा नाम आ गया था। ये देखकर में बहुत खुश हुई। शुल्क, आदि जमा करने के बाद में अपने पठन-पाठन के लिए निश्चित समय पर विद्यालय के लिए घर से चल पड़ा।
स्कूल में पहला दिन:- में समय से पाँच मिनट पहले ही स्कूल पहुँच गया था। मुझे मेरी कक्षा को ढूढने में ज्यादा टाइम नही लगा। और जल्दी ही मुझे मेरी सीट भी मिल गयी। में कक्षा को ध्यान से देख ही रहा था। तभी प्रार्थना की घण्टी बज गई। में अन्य छात्रों के साथ प्राथना के लिए कक्षाओं के सामने विद्यालय के बीचोबीच बहुत बड़े मैदान में पहुँच गया। पाँच मिनट बाद सबके साथ मेने भी प्राथना की। इसके बाद पी.टी.टीचर ने सावधान कराते हुए कुछ हल्के से व्ययाम करवा कर सबको पंक्तिबद्ध होते हुए अपनी-अपनी कक्षा में आकर बैठ गया। चूंकि में उस विद्यालय का नया छात्र था। इसलिय में स्वम् को कुछ अजनबी-सा अनुभव कर रहा था। उधर दुसरे छात्र भी मुझे कुछ अजीब ढंग से देख रहे थे। इसके बाद घण्टी बजी। घण्टी बजते ही सभी छात्र अपने-अपने स्थान पर शांतिपूर्वक बैठ गए।
थोड़ी देर बाद टीचर ने अटेंडेंस ली।उन्होंने मुझे बड़े ध्यान से देखा।देखते ही मुझ पर प्रशनो की बौछार कर दी। एक -एक करके उन्होंने प्रशन करना शुरू कर दिया।क्या नाम है? पिता का क्या नाम है?किस स्कूल से आये हो।कहा रहते हो? आदि।मेने एक-एक करके उनके सभी प्रश्नों के उत्तर दिया।इससे वो मुझसे बहुत खुश हुए।उनके चले जाने के बाद कक्षा आरम्भ की घण्टी बजी।पहला पीरियड शुरू हुआ।जो कि गणित का था।उन्होंने एक सवाल समझाया उसके आधार पर उन्होंने दूसरा प्रशन हल करने को कहा।मेने जल्दी से हल कर दिया।सभी छात्रों सहित अध्यापक महोदय भी मेरा मुँह देखने लगे।उन्होंने मेरा नाम,पिता का नाम,पहले स्कूल का नाम,परीक्षा परिणाम आदि विषय के बारे में पूछा।मेने सभी प्रश्नों का ऊतर दिया इससे वो बहुत प्रसन्न हुए।उन्होंने मुझे शाबासी दी।में तो निहाल हो गया।उन्होंने मुझे बैठने को कहा ओर फिर में नर कार्य करने लगा।फिर गणित का पीरियड समाप्त हो गया।
इसके बाद दूसरे पीरियड की घण्टी बजी। यह पीरियड इंग्लिश का था। टीचर ने आते ही ग्रामर के विषय मे कुछ खास-खास बातें बतलाई।इसके बाद उन्होंने डायरेक्ट इनडायरेक्ट पढ़ाना शुरू किया। पढ़ाते समझाते हुए उन्होंने प्रश्न किया। पर्सन किसे कहते है? यह कितने प्रकार का होता है। इसे सुनकर सारी कक्षा चुप भो गयी। सभी एक दूसरे का मुँह देखने लगे। तभी मेने तपाक से उत्तर देने केवलिये हाथ ऊपर उठाया । उस अध्यापक के अनुमति से मैने सटीक उत्तर दिया। उन्होंने मुझ से आगे पूछा प्रतेक पर्सन के शब्द कौन-कौन होते है? बतलाओगे ,मैने हा करते हुए सभी परसनो के शब्दों को बतला दिया। वे मेरे उत्तर से बहुत सन्तुष्ट हुए। कक्षा के सभी छात्र फिर एक बार मुझे चकित होकर देखते रह गए।
इसके बाद घण्टी बजी। अब संस्कृत का पीरियड आरम्भ हुआ। कक्षा में भारतीय संस्कृति सभ्यता के प्रतीक संस्कृत अध्यापक आये । उन्होंने बड़े ध्यान से सबको देखा। फिर संस्कृत के श्लोकों को पढ़ाया सभी छात्र मंत्रमुग्ध होकर अपना ध्यान लगाएं। इसके बाद विज्ञान का पीरियड लगा। विज्ञान अध्यापक ने बड़ी गम्भीरता ओर तल्लीनता से प्रकाश और ध्वनि नामक विज्ञान का अध्याय पढ़ाया। उन्होंने बोर्ड पर अपेक्षित रूप से इस विषय को समझाया । सभी छात्रों ने बड़ी सावधानी के साथ इस ओर ध्यान देकर अपना काम किया। इसके बाद यह पीरियड भी समाप्त हो गया। अब लंच की घण्टी बजी सभी ने लंच किया । मेने भी अपना लांच बॉक्स खोला। अपने पास बैठे हुए छात्रों को भी मेने अपने साथ लंच करने के लिए कहा। उन्होंने भी मेरा साथ दिया। और हमने मिलकर लंच किया। इस प्रकार हमने मिलजुलकर लंच किया और हम दोस्त बन गए।
लंच समाप्त की घण्टी बजने के बाद हिंदी का पीरियड लगा। क्लास में हिंदी के सर आये वे बहुत ही सभ्य, सुशील ओर आकर्षक व्यक्तित्व के थे। उन्हें देखकर में गदगद हो गया। उन्होंने दुभद्रा कुमारी चौहान की कविता झाँसी की रानी पढ़ाई ओर फिर उसपे एक प्रशन किया। और कल सुभद्रा कुमारी चौहान का जीवन परिचय याद करके आने के लिए कहा। सभी से उन्होंने पूछा कि सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म कहा हुआ था। मेने उत्तर देने के लिए हाथ ऊपर उठाया , उन्होंने ऊतर देने के लिए स्वीकृति दे दी। स्वीकृति पाकर मैने उत्तर दिया। सुभद्रा कुमारी का जन्म उत्तर प्रदेश के निहालपुर गाँव मे सन 1904 ई.में हुआ था। उन्होंने मेरी प्रशंसा करते हुए कहा। देखा केवल एक ही छात्र याद करके आया है। इसे सुनकर सभी छात्रों ने कहा सर हम भी कल से याद करके आएंगे। उन्होंने मुझे शाबासी दी। इससे छात्र प्रभावित हो गए। मैंने वह दिन आज भी याद कर्जे खुश हो जाता हूँ। इसके बाद साइंस के प्रैक्टिकल की घण्टी बजी हम सब लोग गए। वहां काफी देर तक विभिन्न प्रकार के वैज्ञानिक उपकरणों को देखे-समझे । इसके बाद एक-एक करके सभी पीरियड समाप्त हो गए। में कुछ अपने नए-नए मित्रो के साथ कक्षा से बाहर निकलकर घर लौट आया।
यो तो इस विद्यालय में पढ़ते हुए मुझे दो वर्ष हो गए। किंतु इस विद्यालय में मेरा पहला दीन एक अमिट यादगार बन गया है। सचमुच में मेरा यह पहला दीन मेरे लिए बड़ा ही अदभुत ओर रोचक अनुभवों का रहा।
निबंध लेखक – कविता यादव
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