सत्येंद्र नाथ बोस पर निबंध

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भारतीय रसायन शास्त्र वैज्ञानिक सत्येंद्र नाथ बोस ने भारत के लिए कई महत्वपूर्ण योगदान किए हैं। सत्येंद्र नाथ बोस को एसएन बोस के नाम से भी जाना जाता है। आज हम आपको सत्येंद्र नाथ बोस की जीवनी पर निबंध प्रस्तुत करने जा रहे हैं। आपको इस निबंध के जरिए सत्येंद्र नाथ बोस के करियर, उनका संघर्ष और उनके योगदान के विषय में महत्वपूर्ण जानकारी अवश्य प्राप्त होगी।

तो चलिए जानते हैं, सत्येंद्र नाथ बोस की जीवनी पर निबंध……

प्रस्तावना

मेटल (पदार्थ) की पांचवीं अवस्था B.E.C. को बताने वाले सत्येन्द्र नाथ बोस भारतीय रसायन शास्त्र वैज्ञानिक थे। बोस के नाम पर विज्ञान के दो अणुओं बोसॉन और फर्मियान का नाम रखा गया है। कॉलेज के समय में ही उनकी प्रतिभा को उनकी प्रिंसिपल द्वारा पहचान लिया गया था। वह अपनी सभी परीक्षा में सर्वाधिक अंक पाते रहें और हमेशा प्रथम श्रेणी में परीक्षाएं पास करते रहे। उनकी प्रतिभा को देखकर लोग कहा करते थे कि यह एक दिन पियरे साइमन, लेप्लास और आगस्टीन जैसे महान गणितज्ञ बनेंगे।

सत्येंद्र नाथ बोस का जीवन परिचय

सत्येंद्र नाथ बोस का जन्म 1 जनवरी 1894 को कोलकाता में हुआ था। इनके पिता का नाम सुरेंद्र नाथ बोस था और माता का नाम अमोदिनी देवी के घर हुआ था। इनके पिता ब्रिटिश सरकार में रेलवे के इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट में कार्यरत थे। सत्येंद्र नाथ बोस अपने सभी भाई बहनों में सबसे बड़े थे। इन्होंने अपनी प्रारंभिक परीक्षा अपने गांव की ही एक साधारण सरकारी विद्यालय में ही की थी। उच्च शिक्षा के लिए सत्येंद्र नाथ बोस का दाखिला न्यू इंडियन स्कूल और उसके बाद हिंदू कॉलेज में हुआ। अपनी आगे की पढ़ाई के लिए इन्होंने कोलकाता के विख्यात प्रेसिडेंसी कॉलेज में दाखिला ले लिया।

सत्येंद्र नाथ बोस का करियर

सत्येंद्र नाथ बोस गणित और विज्ञान के विषय में बेहद प्रतिभा रखते थे। उनकी यह प्रतिभा प्रेसिडेंसी कॉलेज के आशुतोष मुखर्जी ने पहचानी थी। सत्येंद्र नाथ बोस ने 1915 में एमएससी में टॉप किया। उनकी प्रतिभा से प्रभावित होकर आशुतोष मुखर्जी ने सत्येंद्र नाथ बोस को अपने कॉलेज में ही भौतिक विज्ञान के शिक्षक के रूप में नियुक्त कर लिया।
उस समय विज्ञान के क्षेत्र में नई-नई खोज हो रही थी। महान वैज्ञानिक नए नियमों का प्रतिपादन कर रहे थे। इसी बीच सत्येंद्र नाथ बोस और आइंस्टाइन ने मिलकर Bose Einstein statistics की खोज की।

सत्येंद्र नाथ बोस का योगदान

सत्येंद्र नाथ बोस का बांग्ला भाषा में विज्ञानचर्चा के क्षेत्र में अमूल्य योगदान रहा है। 1947 ई में उनके नेतृत्व में कलकता में बंगीय बिज्ञान परिषद गठित हुई थी। इस परिषद का मुखपत्र ‘ज्ञान ओ विज्ञान’ (ज्ञान और विज्ञान) नामक पत्रिका थी। 1963 में इस पत्रिका में “राजशेखर-बसु संख्या” नामक एकमात्र मूलभूत अनुसन्धान विषयक लेख प्रकाशित किया। जिसके माध्यम से उन्होंने यह संभव कर दिखाया कि बांग्ला भाषा में बिज्ञान के मूल लेख लिखना सम्भव है। ऐसे में सत्येंद्र नाथ बोस ने विज्ञान चर्चा को बांग्ला भाषा में प्रस्तुत किया।

उपसंहार

सत्येंद्र नाथ बोस ने एक पत्र लिखा था जिसका नाम था, “प्लॉकस लॉ एंड लाइट क्वांटम”लेकिन इस पत्र को भारत में किसी ने भी नहीं छापा। जिसके बाद सत्येंद्र नाथ बोस ने स्वयं इसका जर्मन में अनुवाद कर प्रकाशित करा दिया। इसके बाद सत्येंद्र नाथ बोस को काफी प्रसिद्धि मिली। उन्हें यूरोप में आइंस्टाइन से मिलने का मौका भी मिला। सत्येंद्र नाथ बोस का निधन 4 फरबरी 1974 में हुआ। निसंदेह सत्येंद्र नाथ बोस अपने वैज्ञानिक योगदान के लिए सदा याद किए जाएंगे।

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