चिड़ियाघर की सैर पर निबंध
Essay for Kids on Zoo in Hindi
जब कभी हमे अपने व्यस्त जीवन से कुछ पल मिल जाते है तब हम अपने परिवार के साथ भ्रमण करना चाहते है। इसी वजह से मैं कोलकाता के अलीपुर चिड़ियाघर गयी थी। यह कोलकाता में आये पर्यटक यहाँ आना नहीं भूलते है। यह चिड़ियाघर 1876 में शुरू हुआ था। हर रोज़ यहाँ लोगों की भीड़ इकठ्ठा होती है। मैं वहां जीव-जंतुओं को देखने के लिए उत्सुक थी। मैंने कई तरह के सांपो को देखा। यह देखकर मेरे रोंगटे खड़े हो गए। मैं सांप गृह में जाकर यह अनुभव किया।
मेरे पिताजी ने कई तरह के फोटोग्राफ्स यानी छवि ली। यहाँ विभिन्न प्रकार सांप जैसे की कोबरा, पाइथन के प्रजातियों को देखा। उसके पश्चात हमने शेर के घेरे के ओर रुख किया। फिर अपने रॉयल बंगाल टाइगर देखा। यह घेरा अन्य पशुओ के घेरे से अलग था। घेरे की ऊंचाई लगभग 15-16 फ़ीट थी ताकि शेर छलांग लगा के बहार न आ पाए। घेरे के अंदर 5 X 5 फुट की एक खाई थी जिसबे पानी भरा हुआ था। खाई में पानी इसलिए भरा गया था ताकि शेर इससे पानी पे सके और गर्मी के मौसम में इस खाई के पानी से अपने आप को गर्मी से बचा सके। घेरे में शेर के आराम करने के लिए गुफा बना हुआ था। यहाँ कुछ देर बाद हमने रॉयल बंगाल टाइगर को गुफा से निकल कर घेरे में घुमते देखा। शेर को देख कर चिड़िया घर में घूमने आये सभी पर्यटक उत्तेजित हो गए और शोर मचाने लगे। सबसे ज्यादा उत्सुकता और उत्तजेना स्वाभाविक रूप से बच्चो में थी। पर्यटकों के इस शोर शराबे से ऐसे प्रतीत हुआ के शेर विचलित हो गए थे और कुछ देर के बाद वापस अपने गुफा में चले गए।
इसके बाद हम हाथी के घेरे के और चल दिए। यहाँ पे 5-6 हाथियों का एक झुण्ड था और इस झुण्ड में 2 छोटे शावक हाथी भी था। यह शावक हाथी एक दूसरे के साथ खेलने में व्यस्त थे और वही बाकी के सारे हठी शांतिपूर्वक अपने भोजन करने में जुटे थे। हाथियों के शावकों की मासूमीयत को देख कर हम सभी मंत्रमुग्ध हो गए और उनके हरकतों का आनंद उठाने लगे।
अलीपुर चिड़ियाघर में बड़े बड़े पिंजरों के अंदर ऑस्ट्रिच, तोता और मोर देखे, पिंजरे में बंद पक्षियों को देखना मुझे दुखदायी लगता है। आजादी हर किसी को प्रिय है। पक्षियों के पिंजरों के पास ही तरह तरह की बन्दर व लंगूरो का घेरा था। यह बन्दर और लंगूर एक दूसरे के साथ लड़ते झगड़ते काफी शोर मचा रहे थे। कुछ बन्दर घेरे के अंदर लगे सूखे पेड़ की शाखाओं से लटकते हुए तरह तरह के करतब करते नजर आये। पर्यटकों में जो बच्चे थे वह बंदरो के हरकतों को देख कर प्रफुल्लित हो गए, कुछ शरारती बच्चो ने बंदरो को चिढ़ाने की कोरिश की जिससे बन्दर उत्तेजित होने लगे पर तभी चिड़िया घर के कर्मचारी ने बच्चो के अभिभावकों से बच्चो को इस तरह के हरकत करने से परहेज़ करने को कहा क्योकि चिड़ियाघर में जानवरो को छेड़ना उचित नहीं है। चिड़िया घर की सैर करते हुआ हम थोड़ा थक सा गए थे और भूख भी लगने लगी थी। हमने सैर पर थोड़ा विराम लगाने का निर्णय किया और भोजन के लिए चिड़ियाघर में ही भोजनालय के तरफ चलने लगे। भोजनालय में पहले से लोगो की काफी भीड़ थी और कुछ देर इंतज़ार के पश्चात हमने अपना मनपसंद भोजन की खरीदारी की और भोजन किया।
भोजन के पश्चात हम चिड़ियाघर के दूसरे हिस्से ही ओर चल पड़े। कुछ दूर चलते ही हमे हिरणों का घेरा के सामने जा पहुंचे। यह बहुत सारे हिरण एक साथ झुंड में एकत्रित थे और साथ मिलकर घास और पत्तियों का सेवन कर रहे थे। हिरन बहुत की सुन्दर और शांत स्वभाव के जानवर होते है। हिरणों के बड़े बड़े आंखों से उनकी मासूमियत झलकती है। कुछ हिरण के बच्चे अपने माँ के इर्द -गिर्द घूम रहे थे और अचानक कभी कभी फुर्ती से इधर उधर भागने लगते थे जो उनका क्रीड़ा था। कुछ पल हिरणों के घेरे के पास व्यतीत करने के बाद हम आगे बढ़े और मगरमछ के घेरे के पास जा पहुंचे। इस घेरे के अंदर एक बड़ा सा तलाव बना हुआ था। कुछ मगरमछ तालाब में तैर रहे थे तो कुछ तलाव के किनारे धूप सैकने के मिए चुप चाप पड़े थे। कहा जाता है मगरमछ इस तरह से घंटो तक पड़े रह सकते है। आगे बढ़ते हुआ हमने सियार, जंगली कुत्तो , हायना के घेरो को भी देखा। हम एक घेरे के अंदर भी गए जिसमे रंग बिरंगी मछलियां एक्वेरियम में तैर रही थी। एक्वेरियम में देश विदेश के तरह तरह की मछलियों की संग्रह थी। कुछ मछलियां बेहद ही रंगीली और खूबसूरत लग रही थी। हर मछली का नाम, पाए जाने वाले जगह और उनके बारे में कुछ ज़रूरी तथ्य विवरण के तोर पर एक्वेरियम के नीचे लगी थी ताकि लोगो को इनके बारे में जानकारी मिल सके।
चिड़ियाघर काफी विशालकाय वर्ग में फैला हुआ है और सैर करते करते लगभग शाम होने लगी थी। कुछ देर और वक्त बिताने के बाद अंततः हमने घर वापस लौटने का निर्णय किया। चिड़ियाघर का सैर का हमने भरपूर आनंद उठाया था और विभिन्न पशु और पक्षियों के बारे में हमने काफी ज्ञान प्राप्त किया है।
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