पिकनिक सैर की यात्रा पर निबंध
(picnic tour Short Essay)
निरंतर पढ़ाई में व्यस्त रहने से मस्तिष्क थक जाता है और मन चाहता है कि पढ़ाई लिखाई को क्षण-भर के लिए छोड़कर कहीं जीवन से पलायन कर लिया जाए, जहाँ केवल आनंद का राज्य हो, वृक्षों की सुखद-शीतल छाया हो, प्रकृति की गोद में बैठकर सभी चिंताओं को भूलकर एक ऐसे आनंदलोक में पहुँच जाएँ जहाँ जीवन में केवल उल्लास हो और मन का उल्लास सारी थकान को समाप्त कर दे।
अंग्रेजी की एक प्रसिद्ध कहावत है-‘ऑल वर्क एंड नो प्ले, मेक्स जैक ए डल बॉय’, अर्थात् निरंतर काम करते रहने और खेल-क्रीड़ा न होने से मन ऊब जाता है, पूर्णतया सत्य है। यह ठीक है कि काम जीवन में बहुत आवश्यक है, परंतु मनोरंजन भी उतना ही आवश्यक है। यदि हम हर समय काम ही करते रहेंगे तो जीवन आलस्यमय और दूभर हो जाएगा। हमें अपने मन को फिर से सजीव और सरस करने के लिए आराम और मनोरंजन की आवश्यकता पड़ती है। पिकनिक तथा आनंद-विहार इस मनोरंजन का एक महान् साधन है।
दिसंबर की परीक्षाओं के पश्चात् हमने ओखला जाकर पिकनिक मनाने का निर्णय किया। हमारे कक्षा अध्यापक भी हमारे साथ गए। पिकनिक की सारी व्यवस्था और प्रबंध का उत्तरदायित्व मुझपर और मेरे मित्रों पर था। हमें बड़ी सतर्कता और सावधानी से पूरी पिकनिक का प्रबंध करना पड़ा। हम सब विद्यार्थी और हमारे अध्यापक रविवार को प्रात:काल स्कूल भवन में एकत्र हुए और नौ बजे स्कूल बस द्वारा ओखला की ओर चले। हम लगभग दस बजे ओखला पहुंच गए।
हम प्रकृति की गोद में पहुँचकर बहुत प्रसन्न हुए। हमने वृक्षों की छाया तले दरियाँ बिछा ली। हम चालीस विद्यार्थी थे। कुछ विद्यार्थियों ने कैरम बोर्ड खेलना शुरू कर दिया और कुछ अन्य विद्यार्थी ताश खेलने में जुट गए। कुछ विद्यार्थी नौका-विहार करने लगे। मैं अपने चार मित्रों के साथ धीरे-धीरे फिल्मी गाने गुनगुनाता रहा। फिर सब विद्यार्थी मिलकर बैठ गए और कुछ मनोविनोद करने लगे। मेरे एक मित्र ने अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह के अनुभव सुनाए। कुछ समय के पश्चात् दोपहर के खाने की व्यवस्था की गई। सब विद्यार्थी घूम-फिरकर हलके हो चुके थे। उन्होंने भरपेट भोजन किया।
भोजन के पश्चात् सबने विश्राम किया। कुछ विद्यार्थी पतंगें उड़ाने में लग गए और कुछ ताश में जुट गए। विद्यार्थियों की एक टोली क्रीड़ा-उद्यान की ओर चली गई। वहाँ वे झूले का आनंद लेने लगे। मैं अपने मित्रों के साथ टेपरिकॉर्डर से गानों का आनंद ले रहा था। हमने अपने मन और शरीर में एक नई स्फूर्ति और चेतना का अनुभव किया। कुछ समय के लिए हमने अध्यापकों के साथ नौका-विहार का आनंद लिया। तत्पश्चात् सभी विद्यार्थी वॉलीबाल की टीमों में बँट गए। हम लगभग एक घंटा खेलते रहे। चाय का समय हो चुका था। हम अपने साथ स्टोव ले गए थे। हमने चाय और पकौड़े तैयार किए। आज भोज्य पदार्थों में कुछ और ही मजा था। इसके पश्चात् फिर अर्धवृत्त में बैठ गए और हमारे स्कूल के रफी अर्थात् महेश ने कुछ फिल्मी गाने सुनाए।
अँधेरा हो रहा था। हमने घर जाने का निर्णय किया। हम बसों में बैठे और आठ बजे तक घर पहुँच गए। हमें बहुत मजा आया, बहुत आनंद आया। मैंने इस जैसा पिकनिक का कभी आनंद नहीं पाया। यह सच्चे अर्थों में एक आनंद-विहार था। इसकी याद हमेशा मेरे स्मृतिपटल पर रहती है। यह मेरे जीवन का एक बहुत रोचक दिन था। मैं इसे कभी विस्मरण नहीं कर सकता।
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