बालिका शिक्षा पर निबंध

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प्रस्तावना: शिक्षा से बढ़कर कोई ताकत नहीं होती है।  शिक्षा मनुष्य को शिक्षित और सभ्य इंसान बनाता है।  शिक्षा मनुष्य के व्यक्तित्व में सकारात्मक परिवर्तन लाता है। शिक्षित व्यक्ति जिम्मेदार बनता है और परिवार के लिए रोजगार कर सकता है। लड़का और लड़की एक बराबर  है। ऐसी कोई चीज़ नहीं जो लड़कियाँ  नहीं कर सकती है।  कई जगहों और क्षेत्रों में लड़कियों ने लड़को की तुलना में अपने आपको बेहतर साबित किया है। देश की सम्पूर्ण उन्नति के लिए जितना लड़को का शिक्षित होना आवश्यक है , उतना लड़कियों का शिक्षित होना ज़रूरी है। अगर पहले सदी से ही लड़कियों को भी उतनी सुविधाएं और सुअवसर दिए जाते , तो लड़को की तरह , हर एक लड़की आज शिक्षित होती।

लड़कियां आजकल शिक्षित हो रही है।  पढ़  लिखकर डॉक्टर , टीचर , इंजीनियर , बड़े पद के अफसर , पुलिस अफसर और यहाँ तक की हवाई जहाज  भी चला सकती है। लड़कियां कई सफल पद पर बड़े आत्मविश्वास और लगन के साथ काम कर रही है।  कामकाजी महिलाएं दफ्तरों में काम कर रही है और घर भी संभाल रही है।  लड़कियों से उनके पढ़ने का हक़ छीनना सरासर गलत है।  कुछ परिवार लड़को को कुल का दीपक समझते है , मगर घर की रोशनी तो लड़कियों से भी होती है।

आज की लड़कियां पढ़ लिखकर विज्ञान क्षेत्रों में काम कर रही है।  लड़कियां शिक्षित होकर अपने परिवार का नाम रोशन कर रही है। लड़कियां शिक्षित होगी तो बेहतर समाज का निर्माण होगा।  शिक्षित महिलाएं परिवार में सही फैसले लेती है  और रोजगार भी कर रही है ।  पुरुषो के साथ कदम से कदम मिलाकर लड़कियां चल रही है। शिक्षित महिलाएं घर चला रही है और घर खर्च में योगदान दे रही है। आत्मसम्मान के साथ जी रही है।

कुछ गलत सोच रखने वाले लोग लड़कियों को पढ़ने नहीं देते है। परिवार में कुछ लोग लड़कियों को पढ़ाना पैसो का बेफिज़ूल खर्च कराना सोचते है। ऐसी सोच बिलकुल गलत है जो लड़कियों के पैरो में बेड़ियाँ डाल दे। वे सोचते है लड़कियां पढ़ लिखकर क्या करेगी , वह सिर्फ घर संभाले।  यह सोच बिलकुल छोटी है। वह सोचते है लड़कियां घर के काम करने के लिए बनी है।  कुछ परिवार वाले  लड़कियों की जल्दी शादी करा देते  है। वह लड़कियों को बोझ समझते है।  एकमात्र शादी को ही लड़की का भविष्य समझते है।

उन लोगो का मानना है , लड़कियों को केवल भोजन बनाने और घरेलू काम करने चाहिए। लड़कियों का बाहर नौकरी करना उन्हें शोभा नहीं देता है। इसी गलत सोच के कारण लड़कियों का शोषण होता है।  उन्हें कम उम्र में शादी जैसे रिश्तों  में बाँध दिया जाता है।  उन पर अत्याचार होते है।  लड़कियों को पढ़ने  और कुछ बनने के सपने से जबरदस्ती वंचित रखा जाता है। ऐसी सोच अनपढ़ लोगो की होती है। ऐसे परिवारों में लड़कियों को सम्मान नहीं मिलता है। इसका दोष सम्पूर्ण समाज को जाता है।  पहले के समय में लोगो की ऐसी सोच हुआ करती थी।  अब समाज में बहुत परिवर्तन आ गया है।  अभी परिवारों में बेटियों को उतना प्यार और सम्मान दिया जाता है , जितना बेटो को। आज भी कुछ गाँवों और शहरों में ऐसे कुछ लोग है जो लड़कियों के साथ यह अत्याचार कर रहे है। इसका कारण है , भारत में विवाह को अधिक महत्व दिया जाता है। 

लड़कियों का भाग्य और उसका जीवन , सिर्फ पति के घर तक ही सीमित हो जाता है।  सोच में बदलाव आया है , आज देश की सरकार और ज़्यादातर परिवार लड़कियों को अच्छी शिक्षा प्रदान कर रहे है। आज भी कन्या भ्रूण हत्याएं जैसे निंदनीय अपराध हो रहे है।  ऐसे परिवार लड़कियों की अहमियत समझते नहीं है। उन्हें सिर्फ घर का वारिस लड़का चाहिए। इसी सोच के कारण कई लड़कियों की जिंदगी तबाह हो गयी है । एक  ही घर पर रहकर लड़के लड़कियों में भेदभाव किया जाता है , जो निश्चित रूप से गलत है। समाज सुधारक राजा राम मोहन राय ने ब्रिटिश शासनकाल में महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों का विरोध किया था। उन्होंने नारी शिक्षा और उनके विकास के लिए कई कार्य किये थे।

आजकल सरकार ने बेटी पढ़ाओ और बेटी बचाओ जैसे अभियान  की शुरुआत कर दी है।  लोगो को जागरूक करने की आवश्यकता है। लड़कियों को लड़को की तरह की बड़ा करना चाहिए।  लड़कियों को अपने अंदर छिपे प्रतिभा को बाहर निकालने का हर मौका दिया जाना चाहिए। लड़कियों को शिक्षा से महरूम रखना यानी समाज का पिछड़ जाना होता है।

लड़के  और  लड़कियाँ दोनों एक समान है। देश की प्रगति के लिए जितनी आवश्यकता लड़को की है , उतनी लड़कियों की भी है। किसी एक के बिना समाज की उन्नति अधूरी है। लड़कियाँ देश की जनसंख्या का आधा हिस्सा है। लड़कियों की अवहेलना करना बेवकूफी होगी। शिक्षित लड़की में बेहतरीन आत्मविश्वास होता है जिसके दम पर वह घर और दफ्तर दोनों अच्छे से से चलाती है। शिक्षित महिलाएं अपने बच्चो की देख रेख अच्छी तरीके से करती है। शिक्षित महिलाएं प्रत्येक क्षेत्र में सफलता पा सकती है।  वह अपनी मंज़िल पहचानती  है।  वह घर भी चला सकती है और देश सेवा करने की ताकत भी रखती है।

निष्कर्ष

शिक्षा पर सभी का जन्मसिद्ध अधिकार है। आज समाज जानता है , कि लड़कियों की उन्नति के बिना समाज की प्रगति भी असंभव है। शिक्षा व्यक्ति   को जीवन के सभी पहलुओं  से रूबरू करवाता है। शिक्षा व्यक्ति को कौशल शक्ति प्रदान करता है। सही गलत  अच्छे -बुरे में फर्क करने की ताकत हमे शिक्षा प्रदान करता है। शिक्षा लड़कियों के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना लड़को के लिए । शिक्षित महिलाएं खुद अपने पाँव पर खड़ी होती है। शिक्षित महिलाएं घर के सदस्यों और अपने बच्चो का पालन पोषण अशिक्षित महिलाओं की तुलना में अच्छी तरह से करती है।  शिक्षित महिलाएं नौकरी करके , पुरुषो की जिम्मेदारियों को आधा बाँट लेती है। देशवासियों को यह प्रण लेना चाहिए कि देश के प्रत्येक परिवार में हर एक लड़की शिक्षित होगी। 

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