एक आउटडोर तथा ओलंपिक खेल के रूप में भाला फेंक का प्राचीन काल से व्यापक अस्तित्व मौजूद रहा है। पहले लोग शिकार आदि के लिए इस तकनीक का इस्तेमाल किया करते हैं। लेकिन इसकी लोकप्रियता ने इसे एक बेहतरीन अन्तर्राष्ट्रीय खेल के रूप में परिवर्तित कर दिया। जिससे आज विभिन्न देशों द्वारा भाला फेंक खेल को जेवलिन थ्रो के नाम से जाना जाता है।
आज हम आपके लिए इस लेख के माध्यम से भाला फ़ेंक अथवा जेवलिन थ्रो खेल पर निबंध लेकर प्रस्तुत हुए हैं। इस निबंध के माध्यम से आपको भाला फेंक खेल की महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त होंगी।
“भाला फेंक खेल पर निबंध”
प्रस्तावना: भाला फेंक एक ओलंपिक खेल है। जिसमें एक भाला उपकरण का प्रयोग किया जाता है। भाला लकड़ी का बना होता है और इसके आगे का हिस्सा नुकीला होता है। इसे हल्की धातु से बनाया जाता है ताकि खेल के दौरान इसे अधिक दूर तक फेंका जा सके। इसके साथ ही भाला फेंक एक ट्रैक इवेंट अथवा आयोजन के रूप में भी। जिसमें दौड़ना, कूदना तथा फेंकना जैसे एथलीट शामिल किए जाते हैं। भाला फेंक पुरुष इवेंट को डिकैथलॉन कहा जाता है तथा वहीं भाला फेंक महिला इवेंट को हेप्टाथलॉन का नाम दिया जाता है।
भाला फेंक खेल का इतिहास: प्राचीन ग्रीस में भाला फेंक की तकनीक व्यापक रूप से प्रचलित रही है। धीरे धीरे यह तकनीक सामान्य गतिविधि से आगे बढ़कर खेल के रूप में परिवर्तित हो गई। 708 ईसापूर्व में इस खेल को पेंटाथलॉन हिस्से के रूप में ओलंपिक खेलों में शामिल किया गया। जिसमें पुरुषों तथा महिलाओं दोनों घटकों को सम्मिलित किया गया।
पुरुषों के लिए 1908 से भाला फेंक खेल की शुरुआत की गई। जिसमें 1986 में संशोधित करके गुरुत्वाकर्षण के क्षेत्र को चार सेमी आगे स्थांतरित कर दिया गया। 1932 में भाला फेंक महिलाओं के लिए शुरू किया है। कुछ समय पश्चात् 1999 में महिलाओं के भाला फेंक खेल के लिए संशोधन किया गया था। इतिहास में चेक एथलीट जॉन जेलेजनी को सबसे बड़ा पुरुष भाला फेंकने वाला माना जाता है। उन्होंने 98.90 मीटर का विश्व रिकॉर्ड बनाया था। इसके अतिरिक्त बाराबोरा स्पॉटकोवा, को इतिहास की बेहतरीन भाला फेंकने वाली स्त्रियों में से एक माना जाता है। उन्होंने 72.28 मीटर के साथ सर्वश्रेष्ठ भाला फेंकने वाली महिला का विश्व रिकॉर्ड बनाया।
भाला फेंक के नियम:-
• भाला फेंक के खेल नियम IAAF द्वारा तय किए जाते है। इसके अन्तर्गत भाले का वजन, आकर, और गुरुत्वाकर्षण का केंद्र IAAF नियमों द्वारा परिभाषित किया जाता है।
• भाला फेंक खेल में खिलाड़ी को भाला फेंक की दिशा की ओर पीठ करने से मना किया जाता है।
• भाला फेंक खेल में भाला पकड़ से पकड़ना चाहिए। इसे खिलाड़ी की ऊपरी बांह के कंधे पर फेकना चाहिए।
• भाला फेंक खेल को तभी वैधता प्राप्त होती है जब निश्चित खेल क्षेत्र के भीतर भाला फेंका जाता है।
• खेल के दौरान स्क्रैच लाइन यानि कि गलत रेखा को पार नहीं करना चाहिए।
• किसी प्रतियोगिता के दौरान तीन से छह बार तक भाला फेंकने का नियम बनाया जाता है।
• इस खेल के ऑल राउंड में सबसे लंबा सिंगल लीगल थ्रो वाला खिलाड़ी विजेता माना जाता है।
• नियमों के मुताबिक, पुरुषों के लिए भाले का वजन 800 ग्राम तथा महिलाओं के लिए 600 ग्राम तय किया गया है।
• इसके अतिरिक्त भाले की लंबाई पुरुषों के लिए 2.6 व 2.7 मीटर तथा महिलाओं के लिए भाले की लंबाई 2.2 व 2.3 मीटर निर्धारित की गई है।
भाला फेंक के मशहूर खिलाड़ी: भाला फेंक खेल में एथलीट्स ने अपनी मेहनत तथा सफल प्रयास से अपने अपने स्तर पर सफल रिकॉर्ड बनाए। जिनमें से जोहासिन वेटर, शिवपाल सिंह, अरशद नदीम, जूलियस येगो, जैन जेलेजनी, एंडरसन पीटर्स, गोटिक्स चेक्स तथा केशोर्न वाल्कॉट आदि।
हाल ही में ओलंपिक खेलों में आयोजित जेवलिन थ्रो खेल में भारत के नीरज चोपड़ा ने गोल्ड मेडल प्राप्त किया। जिससे भारत देश के भाला फेंक खेल के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया।
निष्कर्ष: देश के युवा एथलीट खेलों में अधिक रुचि रखने के साथ साथ सफल प्रयास कर अपना लक्ष्य प्राप्त भी करते हैं। भाला फेंक अथवा जेवलिन थ्रो जैसे खेल ऐसे खेल हैं जो खिलाड़ी के करियर को स्पष्ट रूप से निखार सकते हैं। इसका बेहतरीन उदाहरण जेवलिन थ्रो गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा हैं।