विद्यालय का महत्व पर निबंध-पाठशाला का महत्व पर निबंध

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विद्यालय (पाठशाला ) एक ऐसा स्थान है जो विद्या के प्रतीक के रूप में काम करता है, अर्थात् यह वह स्थान होता है जहाँ ज्ञान(विधा) की प्राप्ति होती है। हमारे संस्कृति में विद्या को देवी के रूप में माना जाता है और विद्यालय को ‘मंदिर’ के समान महत्वपूर्ण माना गया है।

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पाठशाला विद्यालय का महत्व पर निबंध

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जीवन को सफल बनाने के लिए पाठशाला, एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता  है। हम विद्यालय से ज्ञान अर्जन करते है। पाठशाला ज्ञान का मंदिर है।  यहाँ सभी बच्चो के अभिभावक उन्हें पढ़ने के लिए  भेजते है। विद्यालय में बच्चो का शारीरिक और मानसिक विकास होता है। वहां शिक्षक उन्हें जीवन के आगे के संघर्षो के लिए  तैयार करते है। विद्यालय में विद्यार्थी मित्र बनाना सीखते है। विद्यार्थी सीखते है कि सभी के साथ घुल मिलकर कैसे रहना है।  विद्यालय में अनुशासन के मार्ग पर चलना सीखते है। बिना अनुशासन के जीवन कठिनाईयों भरा होता है। शिष्टाचार , सच्चाई का साथ देना ऐसे कई गुण बच्चो को विद्यालय से प्राप्त होते है। अगर विद्यालय ना होता , तो शिक्षा ना होती और हम एक शिक्षित और सभ्य नागरिक नहीं बन पाते ।

विद्यालय अर्थात पाठशाला विद्यार्थियों को  संस्कारी और सुशिक्षित बनाते है। विद्यालय से मनुष्य जो शिक्षा प्राप्त करते है , उससे वह  आगे चलकर एक सफल नागरिक बनते है। शिक्षा मनुष्य को विभिन्न क्षेत्र में रोजगार प्रदान करता है। कोई डॉक्टर बनता , कोई शिक्षक , कोई इंजीनियर इत्यादि बनकर अपना और अपने विद्यालय का नाम रोशन करता है। शिक्षा और रोजगार दोनों एक दूसरे से जुड़ा हुआ है। अशिक्षित व्यक्ति को अच्छा काम नहीं मिल पाता है। शिक्षा में बहुत ताकत होती है। यह शक्ति मनुष्य को सिर्फ विद्यालय देती है।

विद्यालय में विभिन्न तरह के पुस्तकों को पढ़ने के लिए पुस्तकालय होती है। विद्यालय में हर प्रकार के क्षेत्रों को  सीखने के लिए अच्छी व्यवस्था होती है। संगीत, कला  और नृत्य के भी अलग शिक्षक होते है और अलग कक्षाएं होती है।  पढ़ाई के साथ विद्यार्थियों का सम्पूर्ण विकास पर ध्यान दिया जाता है। विद्यार्थी की जिन्दगी का निर्माण विद्यालय करता है।  विद्यार्थियों के जीवन में विद्यालय का बहुत बड़ा महत्व होता  है। विद्यार्थी जीवन में कई दोस्त बनते है , जो सारी उम्र हमें याद रहते है।  विद्यार्थी जीवन के दिन, सभी के लिए कीमती यादगार पल होते है।

आजकल विद्यालय में विशेष तकनीकों का उपयोग करके बच्चो को पढ़ाते है। शिक्षक आजकल बच्चो को काफी अधिक समझते है। कुछ शिक्षक अपने खाली समय में बच्चो को पढ़ाई के अलावा विभिन्न तरह के कार्यक्रम जैसे योग ,खेल कूद इत्यादि करवाते है।

आजकल शिक्षक बच्चो को सरल और रोचक तरीके से पढ़ाना चाहते है।  इसके लिए वह कक्षा में बड़ी स्क्रीन और प्रोजेक्टर के माध्यम से भी अध्याय को पढ़ाते है। शिक्षक आजकल विषय को असल जिन्दगी से जोड़कर पढ़ाते है , ताकि बच्चो को पाठ आसानी से समझ आये।

शिक्षा पर सभी का अधिकार है। चाहे वह अमीर हो या गरीब , शिक्षा पर सभी का सामान रूप से अधिकार है। आज प्रत्येक गाँव और शहर में पाठशाला खोले जा रहे है क्यों कि सरकार को भी शिक्षा की अहमियत का पता है। सभी बच्चो को शिक्षित करना , सरकार का दायित्व है। जितने लोग शिक्षित होंगे , साक्षरता दर में वृद्धि होगी। विद्यालय में जाकर बच्चे  बोलना , पढ़ना , लिखना , बड़ो को सम्मान देना और सभी के साथ मिलकर रहना सीखते है। पाठशाला अधिक नहीं होंगे तो देश की उन्नति में पूर्णविराम लग जाएगा।  अगर कोई व्यक्ति अशिक्षित है , तो उसे जीवन के हर मोड़ पर कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है।

शिक्षा ग्रहण करना सिर्फ अंक यानी नंबर बढ़ाना नहीं होता है। शिक्षा से मनुष्य के व्यक्तित्व को बदला जा सकता है। विद्यालय से शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात विद्यार्थी जानते है , कि उनके लिए क्या अच्छा है क्या बुरा। सही -गलत को पहचानने की शक्ति विद्या प्राप्त करने के पश्चात आता है। देश के आने वाले भविष्य के लिए विद्यालय बच्चो को तैयार करता है।  इसके लिए विद्यालय हर संभव कोशिशें कर रही है। विद्यालय का उद्देश्य यह भी है कि बच्चे आगे चलकर अच्छा नाम कमा सके , अच्छा काम करे , रोजगार करे और अपना नाम रोशन करे।

बच्चो में नैतिक मूल्यों का संचार विद्यालय करता है। बच्चो की प्रथम पाठशाला उनका परिवार होता है।  उसके पश्चात , विद्यालय की जिम्मेदारी होती है।  विद्यार्थियों का सम्पूर्ण विकास के पीछे  पाठशाला का हाथ होता है।  विद्यार्थियों के गुणों को विकसित करने के लिए अनगिनत प्रतियोगिताओ का आयोजन किया जाता है।  विद्यार्थियों को पढ़ाई के साथ साथ , हर कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए शिक्षक उन्हें प्रोत्साहित करते है।

कई बच्चे है , है जो अब भी गरीबी के कारण शिक्षा प्राप्त नहीं कर पा रहे है।  परिवार की ज़रूरतों के कारण कम उम्र से उन्हें रोजगार करना पड़ता है।  बाल मज़दूरी गंभीर समस्याओं में से एक है। इसको दूर करने के लिए बच्चो को शिक्षित करना अनिवार्य है।  सरकार ने इसलिए निशुल्क शिक्षा और ज़रूरतमंद छात्रों को छात्रवृति जैसी सुविद्याएँ प्राप्त करवाई है। लेकिन सरकार को इस प्रकार के अनगिनत प्रयत्न करने होंगे , ताकि देश का हर एक बच्चा शिक्षित हो। हर एक बच्चे को विद्यालय जाने का अवसर मिले , यह सरकार को सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। विद्यालय नियमित रूप से जाकर बच्चे काफी समझदार हो जाते है। वह अपनी पढ़ाई को गंभीरता से लेते है।  उन्हें यह समझ आ जाता है कि यदि कुछ बनना है तो शिक्षित होना ज़रूरी है। माता -पिता को भी अपने बच्चो की तरफ उतना ही ध्यान देना चाहिए जितना विद्यालय और वहां के पढ़ाने वाले शिक्षक रखते है।  विद्यालय के शिक्षक उन्हें उचित शिक्षा देते है जिससे बच्चो की  नीव मज़बूत हो जाती है।

निष्कर्ष

विद्यालय जाकर , विद्यार्थी अपने कर्तव्यों को समझता है। विद्यार्थियों को पुस्तकों के ज्ञान के साथ जीवन के कई पहलुओं का ज्ञान भी पाठशाला से प्राप्त होता है। एक अच्छा , सफल और सुलझा हुआ नागरिक बनने का सफर स्कूल से आरम्भ होता है। विद्यालय बच्चो को एक अच्छा जीवन और जीवन शैली प्रदान करता है। बच्चे स्कूल जाकर जीवन के नए बुलंदियों को छूते है।  यहाँ से शिक्षा प्राप्त कर वह अपने ज़िन्दगी के सपनो को पूरा करते है।

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