दौड़ पर निबंध

दौड़ एक ऐसी क्रिया है, जो कि गांव – कस्बों से शुरू होकर आज व्यापक स्तर पर निखर चुकी है। आज ओलंपिक खेलों में दौड़ के नए रुप में मैराथन जैसी विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती है। जिनमें प्रतिभाग करने वाले एथलेटिक अपने कौशल को प्रदर्शित करते हैं। आज हम आपके इस लेख के माध्यम से दौड़ खेल विषय पर निबंध प्रस्तुत कर रहे हैं। इस लेख के माध्यम से आपको दौड़ खेल की महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की जा रही है।

प्रस्तावना: सामान्य बोलचाल की भाषा में दौड़ एक ऐसे रूप में परिभाषित किया जाता है। जो कि चलने के विपरीत है। दौड़ के अन्तर्गत सभी एक ही बिंदु से अपने पैर उठाते हुए एक दिशा में भागते हैं। दौड़ का आयोजन विभिन्न डिफेंस भर्तियों में भी किया जाता है। जिसमें दौड़ की परीक्षा के अंकों का विशेष महत्व रहता है। इसी क्रम में आगे बढ़ते हुए दौड़ को एक अन्तर्राष्ट्रीय खेल के रूप में एथेलेटिक्स खेलों में शामिल किया गया है। जिसमें इस खेल के अलग अलग स्वरूपों को भी सम्मिलित किया गया है।

दौड़ खेल का इतिहास: प्राचीन काल में लोग कम समय में एक दूसरे जगह सूचना पहुंचाना हेतु, जंगलों में शिकार हेतु, पैदल दूत के रूप में इत्यादि तरीके से दौड़ का प्रयोग किया जाता रहा था। धीरे धीरे दौड़ की गतिविधि को खेल का अस्तित्व दिया गया। 1924 में पेरिस में, फ़्लाइंग फिन के नाम से विख्यात पावो नूरमी ने उस समय पहली बार 5000 मीटर दूरी की दौड़ में ओलंपिक स्वर्ण पदक जीता था। छोटी दौड़ों को राज्य तथा जिला स्तर की प्रतिस्पर्धाओं तक सीमित रखा गया। इसके अतिरिक्त बड़ी तथा लंबी दौड़ो को एथेलेटिक्स खेलों में समूहिकृत किया गया। दौड़ खेल के आधुनिक रूप ने मैराथन दौड़ का रूप ले लिया। आज विभिन्न स्थायी नियमों के साथ ओलंपिक में मैराथन दौड़, पैंटाथलॉन, ट्रायथलॉन जैसी प्रतियोगिताएं शामिल होती हैं।

दौड़ के प्रकार: खेल जगत में दौड़ को मुख्यता चार भागों में विभाजित किया जाता है। जोकि निम्न प्रकार हैं –

स्प्रिंट या लघु दूरी की दौड़- यह दौड़ प्राचीन ओलंपिक खेलों में दर्ज होने वाली सबसे पुरानी दौड़ है। यह कम दूरी की दौड़ है। 100 मीटर, 200 मीटर तथा 400 मीटर स्प्रिंट को आउटडोर विश्व चैंपिनशिप तथा ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों में शामिल किया जाता है।

मध्य दूरी की दौड़- स्प्रिंट के बाद दौड़ को मध्य दूरी की दौड़ के रूप में आगे बढ़ाया गया। इसके अन्तर्गत 600 मीटर से लेकर 3000 मीटर तक को दौड़ का आयोजन होता है।

लंबी दूरी की दौड़- एथेलेटिक्स की भाषा में लंबी दूरी की दौड़ को 3 किमी से अधिक की दौड़ के रूप में परिभाषित किया जाता है। इसके तीन सबसे आम प्रकार हैं ट्रैक रनिंग , रोड रनिंग और क्रॉस कंट्री रनिंग। साथ ही सबसे लंबी दूरी की दौड़ में मैराथन दौड़ प्रमुख है।

बाधा दौड़ और रिले दौड़- बाधा दौड़ विभिन्न मीटर में आयोजित कराई जाती है। इस दौड़ का मुख्य उद्देश्य दौड़ खेल में ट्रैक पर समान दूरी पर समान स्तर पर बाधा का निर्माण कर दौड़ कराना है। इसके अतिरिक्त रिले दौड़ एथेलेटिक्स में आयोजित होने वाला एक ऐसा इवेंट है जिसे सांसे रोक देने वाली रोमांचक रेस माना जाता है। इसके अन्तर्गत टीम का उचित समन्वय भी देखने का अवसर मिलता है।

दौड़ के नियम:

• दौड़ एक ऐसी क्रिया है जोकि प्राणियों के अस्तित्व के साथ से ही उत्पन्न हो गई थी। ऐसे में नियमों का उल्लेख तो मुख्य रूप से खेल जगत में ही शामिल किया जा सकता है।
• दौड़ने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है आपकी क्षमता तथा शक्ति। चूंकि दौड़ का प्रभाव मस्तिष्क तथा हृदय के साथ साथ संपूर्ण शरीर पर पड़ता है। इसलिए यह आवश्यक है कि दौड़ हेतु आपका शरीर मजबूत हो।
• इसके साथ ही खेल में जब आप दौड़ प्रतिभागी के रूप में शामिल होते हैं तो तीन चरण आपके ध्यान में अवश्य होने चाहिए – प्रस्थान, चल रहे कदम तथा विजय रेखा।
• प्रस्थान रेखा से अपनी अंगुली को 1 से 2 सेमी पीछे रखना चाहिए। हाथों का पूर्ण भार जमीन पर हो तथा गर्दन व आंखों की स्थिति सहज होनी चाहिए।
• इस प्रकार दौड़ते समय आपका ध्यान विजय रेखा पर होते हुए अपने बढ़ते क़दमों पर भी होना चाहिए। पैरों का लड़खड़ाना आपके लिए शारीरिक आघात की स्थिति उत्पन्न कर सकता है।

निष्कर्ष: हालांकि दौड़ का सामान्य प्रयोग किसी भी स्तर पर किया जा सकता है। लेकिन मुख्य दौड़ खेल की भुमिका सर्वजगत में उजागर है। दौड़ खेल में स्वयं को आगे बढ़ाकर तथा मैराथन जैसी लंबी दौड़ प्रतियोगिताओं में सफल होकर विभिन्न एथेलेटिक्स ने अपने भविष्य को साकार किया है। जिनमें निम्नलिखित भारतीय दौड़ खिलाड़ी शामिल हैं – मिल्खा सिंह, हीमा दास तथा पीटी उषा आदि।

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