पर्यावरण हमारे जीवन के लिए बेहद आवश्यक है। विभिन्न रूपों से पर्यावरण हमारे जीवन से संबंध रखती है। ऐसे में पर्यावरण की रक्षा करना हमारा कर्तव्य बनता है। जब हम पर्यावरण को स्वच्छ व स्वस्थ रखने की ठान लेंगे तो, पर्यावरण में संतुलन सरलता से हो जाएगा। अतः आज हम इस लेख के माध्यम से पर्यावरण संतुलन विषय पर निबंध लेकर प्रस्तुत हुए हैं।
प्रस्तावना: जन्म से लेकर मृत्यु तक पर्यावरण तत्व प्रत्येक जीव जंतु तथा मनुष्य को प्रभावित करते हैं। इस प्रकार प्राणियों पर पर्यावरण का सकारात्मक प्रभाव पड़ने के साथ ही नकरात्मक प्रभाव पड़ना भी स्वाभाविक है। पर्यावरण संतुलन बना रहने से पेड़ पौधों से लेकर हर व्यक्ति स्वस्थ नजर आएगा। पर्यावरण संतुलन का बिगड़ना प्रत्येक जीवित प्राणी के लिए हानिकारक है।
पर्यावरण संतुलन से अभिप्राय: जब पर्यावरण की स्थिति स्थिर होती है तथा धरती के प्रत्येक प्रजाति तथा पर्यावरण का आपसी तालमेल संतुलित रहता है, पर्यावरण की वह स्थिति पर्यावरण संतुलन कहलाती है. पर्यावरण संतुलन को बिगाड़ने में पर्यावरण प्रदूषण कारक मुख्य है. पर्यावरण संतुलन के असंतुलन की स्थिति में पहुंचने पर प्रकृति, जीव जंतु तथा प्रत्येक जीवित प्राणी का जीवन असंतुलित हो जाता है।
पर्यावरण संतुलन का महत्व: पृथ्वी को चारों ओर से घेरा हुआ वातावरण पर्यावरण कहलाता है। जिसमें पेड़ पौधे, नदियां, पहाड़, समुद्र, तालाब, हवा आदि शामिल हैं। पृथ्वी पर पर्यावरण का संतुलित आवरण एक सुरक्षा कवच के समान है। हम सभी भली भांति जानते हैं कि पेड़ हमारे जीवन के लिए एक अहम योगदान देते हैं। क्योंकि पेड़ो से ही हमें शुद्ध ऑक्सीजन प्राप्त होती है। वनों में मौजूद जड़ी बूटियों के जरिए तमाम रोगों के उपचार हेतु आयुर्वेदिक दवाएं बनाई जाती हैं। पर्वत और नदियां प्राकृतिक बरसात में सहायक है। इस प्रकार पेड़ों की मौजूदगी, नदियों का साफ होना तथा पर्यावरण की अन्य कृतियों का संतुलित होना प्रत्येक जीव के लिए महत्वपूर्ण है।
पर्यावरण संतुलन को हानि पहुंचाने वाले तत्व: वर्तमान समय में मनुष्य अपने स्वार्थ में लिप्त हो चुका है। यही कारण है कि आज पर्यावरण को बनाए रखने का प्रयास असफल होता जा रहा है। औद्यौगिक विकास तथा अनेक फैक्टरियों का निर्माण किया जाने लगा है, जिससे वायु प्रदूषित हो चुकी है। प्राणवायु के अशुद्ध होने पर स्वस्थ जीवन की कल्पना करना ही व्यर्थ है। जल जिसके जीवन अधूरा है, आज जल के उन्हीं स्त्रोतों को कल कारखानों के आविष्ट पदार्थो द्वारा गंदा किया जा रहा है। वातावरण में अंधाधुंध पेड़ों की कटाई पर्यावरण संतुलन को असंतुलन बनाने में अहम भूमिका अदा करती हैं। कृषि क्षेत्र में कीटनाशक दवाओं तथा रासायनिक उर्वरक का कार्य चल रहा है जो कि लघु समय के लिए यह लाभदायक होते हैं। पर्यावरण के लिए इस प्रकार के रसायनों का प्रयोग हानिकारक रहता है।
पर्यावरण संतुलन की आवश्यकता: औद्योगिक विकास की होड़ में लगे सभी राष्ट्र स्वयं को विकसित बनाने के उद्देश्य में पर्यावरण को आग में झोंक देते हैं। हम यह भूल जाते हैं कि देश को विकासात्मक बनाने में पर्यावरण की भी अहम भूमिका होती है। वातावरण के साथ उन्नति करना ही हमारी प्राचीन सभ्यता है। हथियार, भोजन, वस्त्र इत्यादि मूलभूत वस्तुएं हमें पर्यावरण के माध्यम से ही प्राप्त होती हैं। आज के समय में हर व्यक्ति किसी ना किसी बीमारी का शिकार बना हुआ है जिसका अहम कारण है पर्यावरण असंतुलन। पर्यावरण के संतुलन से ही मानव जीवन संतुलित बनेगा।
निष्कर्ष: प्रकृति ईश्वर की बेहद खूबसूरत सौंदर्य का चित्रण है। यहां हर एक फूल, पक्षी, पेड़, पहाड़ किसी ना किसी प्रकार से हमें लाभ प्रदान करते हैं। हमारा यह कर्तव्य है कि अपने चारों ओर मौजूद अपने पर्यावरण को स्वच्छ रखने का संकल्प लें। हमें अपने घर के आसपास के पर्यावरण को सुरक्षित रखना चाहिए। पेड़ पौधों को लगाना चाहिए। प्राकृतिक नहरों तथा तालाबों को साफ रखना चाहिए। जगह जगह कूड़ा करकट भी नहीं फैलना चाहिए। इस प्रकार यदि हर व्यक्ति अपने स्तर पर पर्यावरण की रक्षा के लिए तत्पर रहेगा, तो पर्यावरण असंतुलन की स्थिति कभी पैदा नहीं हो पाएगी।