बाल विवाह पर निबंध

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हमारे देश में सदियों से चली आ रही कुप्रथा बाल विवाह के विषय में आज हम आपके निबंध लेकर आए हैं। “बाल विवाह” विषय पर निबंध आपकी परीक्षाओं में भी सहायता करेगा। इसके अलावा इस निबंध से आपको बाल विवाह के संबंध नहीं तो कुछ जानकारियां भी प्राप्त होंगी। आइए जानते हैं “बाल विवाह” पर निबंध….

प्रस्तावना: बाल विवाह एक ऐसी कुरीति है, जो भारत देश में सदियों से चली आ रही है। भारत में ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व में बाल विवाह होते आएं हैं। लेकिन समूचे विश्व में बाल विवाह के लिए भारत दूसरे स्थान पर आता है। बाल विवाह – बाल का अर्थ है बालक (बच्चे) तथा विवाह का अर्थ है शादी। यानि बाल विवाह का स्पष्ट अर्थ है, बच्चों का विवाह। विवाह एक बेहद पवित्र रिश्ता होता है लेकिन बाल विवाह कुरीति के अन्तर्गत दो अपरिपक्व बालक- बालिका को आजीवन विवाह के रिश्ते में बांध दिया जाता है।

बाल विवाह का इतिहास: बाल विवाह की रीति का प्रारंभ आर्यों के आने के बाद से माना जाता है। भारत में बाल विवाह का आरंभ मुसलमानों के शासन के दौरान किया गया। मुस्लिम शासकों द्वारा हिंदू धर्म की लड़कियों का बलात्कार किया जाता था जिस कारण उस समय बाल विवाह को हथियार को हथियार के रूप में अपनाया गया। इसके बाद अंग्रेजों के शासन में भारत की लड़कियों का अपहरण तथा बलात्कार किया जाता है।

जिस कारण उस समय की पीढ़ी अपनी लड़कियों को अंग्रेजी शासकों से बचाने के लिए बाल विवाह जैसी कुरीति को अपना लिया। इसके अलावा कई लोग यह भी मानते हैं कि 19वीं शताब्दी से पहले बाल विवाह होना आम था। क्योंकि पहले के समय में लड़की से परिपक्व हो जाने पर ही विवाह कर दिया जाता था तथा आयु सीमा का निर्धारण नहीं किया गया था।

1929 में बाल विवाह को भारतीय कानून के तहत गैर कानूनी घोषित कर दिया गया। लड़कियों को स्वतंत्रता देने के लिए बाल विवाह के लिए विरोध में आवाजें उठने लगी। जिसके बाद साल 1978 में विवाह करने के लिए महिलाओं की उम्र 18 और पुरुषों की उम्र 21 वर्ष सुनिश्चित कर दी गई।

बाल विवाह का दुष्प्रभाव: बाल विवाह का भारतीय समाज में बेहद नकारात्मक प्रभाव नजर आता है-


• बाल विवाह के कारण लड़कियों की मृत्यु दर में वृद्धि होने लगी। जिसका कारण यह रहा कि 14 से 18 वर्ष तक की लड़कियों का विवाह होने पर, उनकी गर्भावस्था में ही मृत्यु हो जाती थी।
• इसके साथ ही 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों का विवाह होने पर,उनके द्वारा जन्म लेने वाले शिशु का पोषण भी उचित रूप से नहीं होता। बल्कि अधिक संख्या में कम उम्र की लड़कियों जन्में शिशु की मृत्यु हो जाती है।
• इसकी साथ ही international institute for population sciences के मुताबिक कम उम्र में विवाह होने पर प्रजनन क्षमता उच्च तथा प्रजनन नियंत्रण कम पाया जाता है।
• भारत में अधिक संख्या में देखा गया है कि कम उम्र में होने वाली शादियों में घरेलू हिंसा का प्रभाव अधिक रहता है। मानसिक परिपक्वता ना होने के कारण कम उम्र में शादी होने वाले लड़का लड़की आपस में घरेलू हिंसा का शिकार बनते हैं।

बाल विवाह को रोकने के प्रयास: बाल विवाह को रोकने के सार्थक प्रयासों की बात करें तो, भारत में बाल विवाह जैसी कुरीति को रोकने के लिए विभिन्न प्रकार के महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। बाल विवाह की कुप्रथा को रोकने के लिए भारत के राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र और हिमाचल प्रदेश राज्यों में कानून पारित किए गए जो जो प्रत्येक विवाह को वैध बनाने के लिए पंजीकरण मांगते हैं।

इसके साथ ही भारत में बाल विवाह रोकने के लिए सबसे महत्वपूर्ण कदम बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 कानून जारी किया गया। इस कानून के अनुसार बाल विवाह करवाने वाली माता पिता, सगे संबंधियों, शादी में मौजूद होने वाले बराती तथा पुरोहितों पर भी कार्रवाई की जा सकती है। इसके साथ ही यदि बाल विवाह के बाद लड़की विवाह को स्वीकार नहीं करती है, तो वह बालिग होने के बाद विवाह को शून्य घोषित करने के लिए आवेदन भी कर सकती है।

निष्कर्ष: इस प्रकार, हमें यह जानकारी होनी चाहिए कि भारत में विवाह करने की वैध आयु निश्चित की गई है। कानून के अनुसार, 18 वर्ष की लड़कियों तथा 21 वर्ष के लड़के विवाह करने के योग्य होंगे। इससे कम उम्र में शादी करने पर विवाह अवैध माना जाता है। हालांकि आजकल शिक्षा व कानूनों के तहत बाल विवाह पर काफी सीमा तक रोक लगाई जा चुकी है। लेकिन इसके बावजूद भी भारत के कई अशिक्षित तथा गरीब कस्बों में अभी भी बाल विवाह की कुरीति को अपनाया जाता है। भारत में पूरी तरीके से बाल विवाह को रोकने के लिए युवा पीढ़ी को अपने अधिकारों के प्रति सजग रहना होगा।

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