उत्सव और पर्व कई प्रकार के होते हैं। कुछ उत्सव राष्ट्रीय स्तर पर मनाए जाते हैं और कुछ सामाजिक स्तर पर। सामूहिक रूप से सभी उत्सव राष्ट्रीय और सामाजिक होते हैं। इसके अतिरिक्त शिक्षण संस्थाओं के अपने कुछ विशेष उत्सव और समारोह होते हैं। ये उत्सव स्कूल, कॉलेज या विश्वविद्यालय में मनाए जाते हैं। इन उत्सवों की एक ओर तो शैक्षणिक उपादेयता होती है और दूसरी ओर सामाजिक और सांस्कृतिक महत्त्व।
किसी भी विद्यालय में वार्षिक पारितोषिक वितरण उत्सव उसकी प्रगति का एक प्रतीक माना जाता है। विद्यालय के जीवन में इस उत्सव का विशेष स्थान होता है। इसका दोहरा उद्देश्य होता है। एक ओर तो विद्यार्थियों को पारितोषिक दिए जाते हैं, दूसरी ओर इस उत्सव से विद्यालय के जीवन में एक नई स्फूर्ति और चेतना का संचार होता है। इसके साथ ही, इस उत्सव में जन-सामान्य तथा विद्यार्थियों के अभिभावकों को विद्यालय की गतिविधियाँ देखने का अवसर प्राप्त होता है।
हमारे विद्यालय में प्रतिवर्ष यह उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। कई सप्ताह पहले इस उत्सव की तैयारियाँ शुरू हो जाती हैं। कुछ अध्यापक और विद्यार्थी सांस्कृतिक कार्यक्रम की तैयारी करते हैं, कुछ विद्यालय की साज-सज्जा की। कुछ विद्यार्थी और अध्यापक अतिथिगणों को आमंत्रित करने के लिए निमंत्रण-पत्र वितरित करने तथा अन्य विविध तैयारियों में लगे होते हैं।
हमारे विद्यालय में यह उत्सव वसंत पंचमी के शुभ अवसर पर मनाया जाता है। इस वर्ष भी यह उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया गया। विद्यालय को इस प्रकार से सजाया गया कि चारों ओर एक जागृति और चेतना दिखाई देती थी। हॉल के बाहर रंगमंच बनाया गया। समारोह आरंभ होने से पहले सभी आमंत्रित अतिथिगण पधार चुके थे। शिक्षा निदेशक मुख्य अतिथि थे।
ठीक पाँच बजे शिक्षा निदेशक महोदय पधारे। प्रधानाचार्य महोदय और प्रबंधक समिति के प्रधान ने फूलमालाओं द्वारा उनका स्वागत किया। स्कूल के स्कॉउट विद्यार्थियों ने हर्षपूर्ण जय के गगनभेदी नारों से मान्य अतिथि का स्वागत किया। मुख्य अतिथि महोदय रंगमंच पर पधारे तो सारे जनसमूह और विद्यार्थियों ने हर्ष और उल्लास की तालियों से उनका स्वागत किया।
उनके सभापति का आसन ग्रहण करते ही समारोह का कार्यक्रम आरंभ हुआ। प्रधानाचार्य महोदय ने अपने एक संक्षिप्त भाषण में शिक्षा निदेशक महोदय का स्वागत किया। तत्पश्चात् स्कूल के विद्यार्थियों ने एक रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किया। इसके पश्चात् उत्सव का मुख्य कार्यक्रम संपन्न हुआ। योग्य विद्यार्थियों को पारितोषिक प्रदान किए गए। करतल ध्वनि से समस्त सभामंडप बार-बार गूंज उठा। पारितोषिक प्राप्त करनेवाले विद्यार्थी सभापति महोदय का अभिवादन करते और फिर उनके कर-कमलों द्वारा पुरस्कार प्राप्त करते रहे। इसके पश्चात् सभापति महोदय ने विद्यार्थियों को अपना संदेश और आशीर्वाद दिया।
राष्ट्रीय गीत की धुन बजाई गई और उत्सव का समापन हुआ। इसके पश्चात् स्कूल के हॉल में पारितोषिक प्राप्त करनेवाले विद्यार्थियों के साथ निदेशक महोदय का एक ग्रुप फोटो लिया गया तथा जलपान हुआ।
मुझे इस उत्सव में चार पुरस्कार प्राप्त हुए। यह मेरे लिए एक गौरव की बात थी। मेरे माता-पिता मेरी सफलता पर बहुत प्रसन्न हुए। यह मेरे लिए एक गौरव का दिन था। यह मेरे विद्यार्थी जीवन का सर्वोत्तम दिवस था।
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