उद्योगों पर कोरोना का कहर निबंध-लेख

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उद्योगों पर कोरोना वायरस का कहर पर निबंध

कोरोना वायरस के कारण पूरे  विश्व की अर्थव्यवस्था  बुरी  तरीके से प्रभावित हुयी  है। भारत भी इससे अछूता नहीं रहा है। भारत की अर्थव्यवस्था पर कोरोना वायरस के संकटकाल ने कड़ा प्रहार किया है। लॉकडाउन के महीनो में सभी छोटे बड़े उद्योग बंद पर गए है। औद्योगिक संगठनो ने बताया कि अगर केंद्र सरकार ने लघु और मध्यम उद्योगों  की रक्षा ना की तो निश्चित तौर पर देश की अर्थव्यवस्था पर गंभीर असर पड़ेगा। देश में  नोटबंदी के कारण , लोगो ने कई परेशानियां झेली।  हालांकि नोटबंदी देश में हो रही कालाबाज़ारी को रोकने के लिए किया गया था। कोरोना वायरस के चलते देश में कई  महीनो के लॉकडाउन के कारण , लघु और मध्यम उद्योगों को लगातार नुकसान झेलना पड़ रहा है।

मार्च के रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना संकटकाल के दौरान , भारतीय व्यापार क्षेत्र को प्रारम्भ में पेंतीस करोड़ अमरीकी डॉलर का नुकसान हो गया है। यह कोरोना काल लंबा खींचने के कारण , उद्योगों का नुकसान कई गुना बढ़ गया है। इससे करोड़ो लोगो की नौकरियां प्रभावित हुयी है।

लघु और मध्यम कारखाने सब से ज़्यादा नौकरियां लोगो को प्रदान करते है।  अगर उद्योग बंद हो गए तो उन लोगो का क्या होगा। औद्योगिक संगठनों के मुताबिक केंद्र सरकार को तत्काल इस मामले में हस्तक्षेप करना ज़रूरी है। वरना इसके गंभीर परिणाम झेलने पड़ेंगे और देखा जाए तो देश की जीडीपी भयावह तरीके से गिर रही है।

2020-21 में तुलनात्मक आधार पर अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर में भारी गिरावट आएगी |   रिपोर्ट के मुताबिक  यह महामारी ऐसे वक्त में आई है जबकि वित्तीय क्षेत्र पर दबाव के कारण पहले से ही भारतीय इकोनॉमी   सुस्ती की मार झेल रही थी |  कोरोना वायरस के कारण यह  दवाब  और अधिक  बढ़ा है।  

कोरोना वायरस की कारण उद्योग और नौकरियां खतरे में है और ऐसे में कई लोगो को नौकरी से निकाला जा रहा है। कोरोना की सर्वप्रथम मार तिहाड़ी मज़दूरों ने झेली।  सिर्फ मुंबई में तकरीबन पच्चीस लाख मज़दूरों ने अपना रोज़गार गवाया। सरकार को निश्चित तौर पर मज़बूत कदम उठाने होंगे , ताकि मज़दूरों को ऐसी तकलीफें ना झेलनी पड़े।

औद्योगिक संगठनों ने सरकार से गुजारिश कि ,देश के उद्योगों को बचाने हेतु , क़र्ज़ को वापस करने के लिए उद्योगों को वक़्त दिया जाए। इसके साथ ही जीएसटी और टैक्स देने के वक़्त को बढ़ाया जाए। इससे उद्योगों को इस कहर से झूझने का मौका  मिल जाएगा।

कोरोना वायरस के चलते निर्यात कुछ महीनो तक बंद  पड़ गयी है।  फ़रवरी से लेकर अप्रैल तक , सारे उद्योगों के आर्डर स्थगित हो गए और दस हज़ार करोड़ रुपयों का नुकसान झेलना पड़ा है।

मोदी जी ने उद्योगों से कहा कि इस मुश्किल वक़्त में उद्योग अपने कर्मचारियों को नौकरी से बाहर ना निकाले और ना ही उनके वेतन में कोई कटौती करे। बहुत से औद्योगिक संगठनों का कहना है , अगर इसी तरह की परिस्थितियां चलती रही , तो नुकसान झेलना नामुमकिन हो जाएगा।

लघु यद्योग जैसे सिलाई , कढ़ाई , बुनाई और विभिन्न प्रकार के हस्तशिल्पो के छोटे छोटे दुकानों को भी नुकसान और मुसीबतो का सामना करना पड़ रहा है। रीटेल कंपनियों की आमदनी में तीस से चालीस फीसदी तक गिरावट आयी है। त्योहारों के अवसर पर विभिन्न प्रकार की चीज़ें बनाने वाली कंपनियों के ऑर्डर्स में कमी आ गयी है। चीन की कंपनियों के बंद होने के कारण , इलेक्ट्रॉनिक्स ,और छोटे बड़े गहनों के दुकानों को भी भारी मात्रा में नुकसान पहुंचा है। निर्यात में गिरावट की वजह से सिर्फ मछली पालन उद्योग को चौदह सौ  करोड़ का नुकसान हुआ है।

वायरस का प्रकोप वित्तीय बाज़ारो पर पड़ा है और ख़तरा बनकर मंडरा रहा है। भारत में छह करोड़ से अधिक MSME यानी छोटे , लघु और मध्यम उद्योग मंत्रालय है । संसार भर में चौदह करोड़ से ज़्यादा लोग छोटे व्यापार , फेसबुक ऐप का इस्तेमाल कर रहे है। लघु  और  मध्यम उद्योगों  को इस कठिन समय से निकालने के लिए , फेसबुक ने बिज़नेस रिसोर्सेज हब की तैयारी की है। इससे वे ग्राहकों और व्यवसायियों की मदद कर रहे है।

फेसबुक ऑनलाइन ग्राहकों के साथ संपर्क साधता है।  ईमेल और किसी भी वेबसाइट पर व्यवसाय को आजकल बढ़ाया जा सकता है।  विभिन्न तरह के ऑनलाइन टूल्स जैसे फेसबुक , इंस्टाग्राम , पर लाइव सेशंस करवाते है। इससे छोटे व्यापारी ग्राहकों से ऑनलाइन जुड़े रहते है। ग्राहक क्या चाहते है और उत्पादों पर उनकी प्रतिक्रिया जानने के लिए मुफ्त ऑनलाइन चैट सेवाओं का उपयोग कर सकते है।  इससे उद्योगों को  अपने ग्राहकों को समझने का भरपूर मौका मिलेगा।

MSME के मुताबिक जून के बीच में तीन करोड़ से ज़्यादा मज़दूरों की नौकरी चली गयी है। इन कुछ महीनो में हालत बिगड़ने के कारण लघु उद्योगों ने नए लोगो को नौकरी देने में असमर्थ रही है। अगस्त के आखिर तक भी कई लोगो ने अपनी नौकरी गंवाई है। लगभग पच्चीस प्रतिशत लोगो का रोजगार छीना गया।  देश की आर्थिक स्थिति संकटपूर्ण है।  लॉकडाउन के कारण , उद्योगों का प्रोडक्शन नहीं हो पाया है।

उत्पादों के वितरण और ट्रांसपोर्टेशन में परेशानी आ रही है।  दो महीने के लगातार  लॉकडाउन के कारण।  उद्योगों की सप्लाई चैन टूट गयी। अब अनलॉक प्रक्रिया के मुताबिक , फ़ैक्टरियाँ धीरे -धीरे खुल रही है। पहले जहां उद्योगों में  मज़दूरों को पंद्रह हज़ार रूपए मिलते थे , अभी वहां मुश्किल से आठ हज़ार रूपए मिलते है। कोरोना स्थिति से निकलने में थोड़ा वक़्त लगेगा। बाजार में चीज़ो की मांग कम हुयी है। छोटे और लघु उद्योगों के पेमेंट्स काफी देर से हो रही है।

बैंक क़र्ज़ नहीं दे रहा है , जिसकी वजह से परेशानी बहुत बढ़ रही है। सप्लाई चैन बेहद कमज़ोर हुयी है। इसमें msme  के निवेश भी फंसे हुए है। कोरोना वायरस के कारण 60  प्रतिशत तक उत्पादन नीचे गिर गया है। फैक्ट्रियों को चलने के लिए कच्चा माल रोज़ चाहिए। कच्चे माल को खरीदने के लिए पैसा चाहिए और क्लाइंट भाड़ धीमे गति से भुगतान कर रहे है। मज़दूरों के काम ठप हो गए है जिसके कारण वह अपने गाँव जाकर छोटे मोटे रोजगार कर रहे है।

उत्तराखंड के कुछ उद्योग अपने कच्चे माल के लिए चीन पर निर्भर है।  वहां तीन गुना अधिक दामों पर कच्चे माल बिक रहे है। उद्योगपतियों का कहना है , अगर कच्चेमाल की कीमतों में वृद्धि होगी तो उत्पादों की कीमत भी बढ़ जायेगी। कोरोना वायरस के कारण मोबाइल की GST भी बढ़ सकती है। 

खिलौने, विद्युत उपकरण, किचन का सामान, सजावटी वस्तुएं, मोटर वाहनों के प्लास्टिक पार्ट्स,  आदि भी चीन से आती थी। उत्तराखंड के कई उद्योग अभी बंद पड़ गए है और सीमा विवाद के कारण , अब चीन के साथ अधिकतर व्यापार बंद पड़ गए है।

पर्यटन ,हस्तशिल्प , उत्पाद और केमिकल फैक्ट्रियों में मंडी के भयानक और गंभीर असर दिखेंगे। उत्तराखंड के उद्योगों पर भी कोरोना का भीषण असर पड़ा है। लॉकडाउन जब शुरू हुआ था, देश की सीमाओं को बंद कर दिया गया जिसके कारण आयत -निर्यात पर बुरा प्रभाव पड़ा।  पड़ोसी देशो से कच्चे माल की आपूर्ति सम्पूर्ण रूप से बंद हो गयी।  इसके साथ ही उत्पादों का निर्यात भी बंद हो गया। हालांकि उम्मीद है वित् मंत्रालय और भारतीय रिज़र्व बैंक , उद्योगों को संकटकालीन परिस्थिति से निकालने के लिए कर्ज़ा थोड़ा सस्ता करेगी।

लॉकडाउन के बाद मशीने कुछ ज़्यादा चल रही है और मज़दूरों की संख्या ज़्यादा थी , लेकिन स्थिति जुलाई में सामान्य नहीं हो पायी है। देश के हर राज्य की स्थिति अलग है , कहीं लॉकडाउन रिस्ट्रिक्टेड है , कहीं उद्योग खुल रहे है। अगर प्रोडक्ट का एक पार्ट भी नहीं मिला तो सप्लाई चैन अधूरा रहता है।  इससे प्रोडक्शन पर असर पड़ रहा है। पेमेंट भी नहीं मिल रहा है , जिससे लघु और मध्यम उद्योग बुरी तरीके से परेशान है।

निष्कर्ष

कोरोना वायरस से बुरी तरीके से  प्रभावित दुनिया की 15 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक भारत भी है। कोरोना वायरस ने कई व्यापारों को प्रभावित किया, जिसने अधिकतर दुकानदारों को हताश कर दिया है। इससे देश और साधारण लोगो  को काफी नुकसान उठाना पड़ा है । उम्मीद है ,  राज्य और केंद्र सरकार जल्द अपनी योजनाओ के तहत आर्थिक हालत में सुधार करने की कोशिशे करेंगे । आनेवाले कुछ महीने कठिन होंगे , लेकिन ज़रूरत है हम अपने हौसलों को टूटने ना दे।

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