प्रस्तावना: नदियों में बढ़ती हुयी गन्दगी अब चिंता का विषय बन चूका है। नदियों के महत्व को मनुष्य अच्छी तरह से जानता है। लेकिन फिर भी नदियों को प्रदूषित कर रहा है। पृथ्वी की सतह पर जो पानी है उसमें से 97 प्रतिशत सागरों और महासागरों में है जो बिलकुल नमकीन है। यह पानी पीने योग्य नहीं है। तीन प्रतिशत जल सिर्फ पीने योग्य है जिसमें से 2.4 प्रतिशत पानी ग्लेशियरों और उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव में जमा हुआ है।
केवल 0.6 प्रतिशत पानी नदियों, झीलों और तालाबों में है जिसे इस्तेमाल किया जा सकता है। इस हिसाब से हमे नदियों का संरक्षण करना चाहिए। मनुष्य स्वार्थी बन गया है। अक्सर गाँव में लोग नदियों अथवा तालाबो में अपने निजी गतिविधियों करते हुए पाए जाते है। इन्ही सब वजहों से नदियों का पानी अस्वच्छ हो रहा है। यह गतिविधियां है , जैसे कपड़े धोना , पशुओं को नहलवाना , नहाना और इत्यादि सभी कार्यो की वजह से नदियों का जल प्रदूषित हो रहा है। कल कारखानों से निकलता हुआ कचरा नदियों के जल में प्रवाहित किया जा रहा है। इससे नदियों का जल बुरी तरीके से प्रदूषित हो रहा है।
हम नदियों के जल सैलाब से खुद डर जाते है। प्राकृतिक आपदाओं से घबराते है और खुद ही प्रलय ला रहे है। मनुष्य बरसो से औद्योगिक उन्नति के लिए प्रकृति और नदियों का दुरूपयोग कर रहा है। इसके भयानक परिणाम देखने को मिल सकते है। नदियों में प्रत्येक दिन डिटर्जन्ट पाउडर , साबुन का पानी , कचरा और कल -कारखानों के कचरे नदियों में इकट्ठा हो रहे है। अगर ऐसे ही चलता रहा तो भविष्य में आने वाली पीढ़ी शुद्ध जल के लिए तरस जाएंगी।
इससे नदियों के पानी में रसायन यानी केमिकल्स घुल रहे है। इससे पानी गन्दा और जहरीला हो रहा है। जलाशयों में रहने वाले जीव , मछली , पानी के अंदर पेड़ पौधे सब मर जाते है। प्रत्येक दिन इतने अधिक रसायनो के कारण नदियों का पानी प्रदूषित हो रहा है। हम आये दिन लोगो को कहते है , कचरा मत फेको मगर हम में से कुछ व्यक्ति नदियों को गन्दा करते हुए पाए जाते है। नदियों का प्रदूषण इन सब की वजह से हो रहा है। इसलिए नदियों की सफाई करना अत्यंत आवश्यक है। वरना एक समय ऐसा आएगा कि पीने के लिए पानी नहीं बचेगा। नदियों को स्वच्छ रखना मनुष्य का कर्त्तव्य है। यह हम सबको मिलकर रखना होगा।
नदियों के निकट रहने वाले लोग नदियों को गन्दा कर रहे है। दूषित पानी में रोज नहा रहे है और अपने कपड़े धोते है।। नदियों के अंदर रहने वाले प्राणी मछली इत्यादि जलीय जीव मर रहे है। इन जलीय जीवो को खाकर लोग बीमार पड़ रहे है। आजकल नदियों की सफाई पर ज़ोर दिया जा रहा है। गंगा नदी जो एक समय पवित्र हुआ करती थी , मगर लोगो के अवहेलना और स्वार्थ सिद्धि के कारण यह दूषित हो गयी है। गंगा नदी को अब संरक्षित किया जा रहा है। प्रदूषण को मिटाने के लिए सरकार को जागरूकता भरे कार्यक्रम और अधिक आयोजित करने चाहिए।
नदी के पास मल मूत्र करने पर लोगो को रोकना चाहिए। इसके लिए सख्त कानून बनाने की ज़रूरत है। सिंचाई का पानी भी नदी से आता है। अगर नदियों का पानी प्रदूषित हो जाएगा तो सिंचाई किस प्रकार होगी। गंगा नदी में प्रवाहित होने वाली सभी गन्दी नालियों को बंद करवाना होगा। आये दिन उत्सवों पर भगवान् जी की मूर्तियों को नदियों में परवाहित कर दिया जाता है। उसमे हानिकारक केमिकल्स और पेंट का इस्तेमाल होता है जो नदियों में बहा दिया जाता है। इससे नदियों का जल गन्दा होता है।
अगर मनुष्य को नदियों को संरक्षित करना है , तो हमे कचरे को नदियों में फेंकना बंद करना होगा। कल कारखानों को कचरा ऐसे डालना चाहिए जिससे पानी में रहने वाले जीव मर ना जाए। कचरे को उपचार करके नदियों में डालना चाहिए। फैक्ट्रियों को जितना संभव हो कचरे को नदियों में डालने से बचना चाहिए। व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात उनके अवशेषों को लोग नदियों में बहा देते है। अगर हम सब मिलकर शपथ ले तो निश्चित तौर पर हम नदियों को साफ़ रख पाएंगे।
हमे वृक्षों का संरक्षण करना करना चाहिए। वृक्ष होंगे तो वर्षा होगी। अगर वर्षा होगी तो नदियों का जल स्रोत भी बढ़ेगा। गंगा स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है , ताकि गंगा नदी को साफ़ रखा जा सके। गंगा नदी का जल भीषण रूप से प्रदूषित हो रहा है। गंगा नदी को साफ़ रखने का भरपूर प्रयत्न सरकार कर रही है। इस अभियान के माध्यम से गंगा नदी को अठारह वर्ष के वक़्त तक साफ़ करने की योजना बनाई गयी है। नदियों के जल को हम पीते है। अगर नदियाँ साफ़ नहीं होगी तो हम कैसे स्वस्थ्य रह पाएंगे।
भारत सरकार ने कहा है कि गंगा सफाई अभियान कोई छोटी योजना नहीं है। यह विशाल पैमाने पर फैला हुआ है जिसे साफ़ करने में कई वर्ष लगेंगे। सरकार के साथ देश के नागरिको को भी इसमें योगदान देना पड़ेगा तभी यह अभियान सही माईनो में सफल हो पायेगा।
निष्कर्ष
हम सभी को नदियों को साफ़ रखने के अभियान में साथ देना होगा। हिमालय से कई नदियाँ निकलती है। नदियों का जल पवित्र हुआ करता था। कहा जाता था , इन नदियों के पानी में डूबकी लगाने से लोगो के पाप धूल जाते है। इन्ही नदियों को हम अपने स्वार्थ के कारण गन्दा करके और अधिक पाप कर रहे है। सभी देशवासियों को जागरूक हो जाना चाहिए और नदियों को स्वच्छ रखने की शपत ले लेनी चाहिए।
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