मित्रता “अनमोल रत्न” के समान होते है। जीवन में सच्चा मित्र मिलना सौभाग्य से कम नहीं होता है। वह मनुष्य के सुख को बढ़ा देता है और उसके दुःख को बाँट लेता है। सच्चा मित्र मुश्किल घड़ी में अपने दोस्त का साथ देता है। सच्चा मित्र हो तो जिन्दगी के मुश्किल भरे पल भी सरल हो जाते है। भगवान् श्रीकृष्ण और सुदामा की दोस्ती की मिसाल सभी देते है। उनकी मित्रता का उदाहरण आज भी दिया जाता है। मित्रता में कोई भेदभाव नहीं होता है। कौन कितना अमीर है , कौन कितना गरीब इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। सच्चा मित्र रोशनी की भाँती अपने मित्र को सही राह दिखाता है।सच्चा मित्र का साथ ऐसा होता है जैसे अँधेरे में रोशनी और मुश्किल हालतों में हौसला। मुश्किल हालातों में सच्चा मित्र हमेशा साथ देता है और अपने मित्र को संभालता है। जीवन के मुश्किलों को सरल एक सच्चा मित्र बना सकता है। वह अपने मित्र का हमेशा भला चाहता और उसकी परवाह करता है।
सच्चा मित्रता को निभाना इतना आसान नहीं होता है। मित्र कोई एकाएक नहीं बन जाता है। उसके लिए उसे जानना और समझना ज़रूरी होता है। एक सच्चा मित्र किसी अनमोल भेंट से कम नहीं होता है। सच्चा मित्र का साथ दुःख और मुसीबत में हौसले जैसा होता है। वह दोस्त के परेशानियों के आगे दिवार बनकर खड़ा हो जाता है। उनके साथ खून का नहीं मगर दिल का रिश्ता होता है। हम जैसे भी होते है , सच्चा मित्र हमें वैसे ही अपनाता है।
जीवन में सभी को एक सच्चे दोस्त की ज़रूरत पड़ती है जिसके साथ वह सुख दुःख बाँट सके। मित्रता एक ऐसा खूबसूरत रिश्ता है जिसे मनुष्य स्वंग बनाता है। बुरे समय में सच्चा मित्र हमे सही उपाय बताता है जिसकी वजह से हम मुसीबत से निकल पाते है। सच्चा मित्र हमे गलत राह पर चलने से रोकता है और सही सलाह देता है। वह हमें समझायेगा कि क्या हमारे लिए सही या क्या गलत। वह कभी हमे गलत काम नहीं करने देता है।
सच्चा मित्र हमे हमेशा गलत चीज़ों से बचाता है और विपत्ति में सहारा बनता है। सच्चा मित्र पाने के लिए मित्रता निभाना बेहद ज़रूरी होता है। दोस्ती करने के लिए एक दूसरे पर विश्वास होना ज़रूरी है। मनुष्य भावनात्मक प्राणी है। दोस्ती में भी भावनाओ का संगम होता है। सच्चे मित्र कभी भरोसा नहीं तोड़ते है। वह अपने मित्र को अच्छी तरह से जानते और समझते है। वह अपने दोस्त को परेशानी में नहीं देख सकते है। सच्चे मित्र का सिर्फ एक ही उद्देश्य होता है अपने मित्र को सदैव खुश देखना।
अच्छा मित्र पाने के लिए हमें भी आपको एक अच्छा मित्र बनना पड़ेगा। सच्चा मित्र पाने के लिए मित्र को भी प्राथमिकता देने की ज़रूरत है। सच्ची मित्रता करने के लिए मित्रो को समय देना ज़रूरी होता है। सच्चे मन से मित्रता निभाने के लिए उनसे संपर्क में रहना आवश्यक होता है। कभी हम दोस्तों के साथ पिकनिक पर जाकर खुश होते है तो कभी उनके साथ बैठकर मन हल्का करते है।
सच्ची मित्रता में लोग अपनी खुशियों का त्याग करते है। झूठे लोग स्वार्थी होते है और अपने मतलब के लिए मित्र का इस्तेमाल करते है।सच्चे मित्र चाहे कितने व्यस्त हो अपने करीबी मित्र के लिए वक़्त निकाल लेते है। सच्चे मित्र एक आशीर्वाद की तरह होते है। मित्रता करने में शीघ्रता नहीं करनी चाहिए। सोच समझकर मित्रता करनी चाहिए। समाज में मनुष्य को किसी कार्य में मदद , अपने तकलीफो को साझा करने के लिए मित्र की आवश्यकता होती है। कुछ व्यक्ति के जीवन में एक सर्वश्रेष्ठ मित्र अवश्य होता है जिस पर वह अपनी जिन्दगी तक न्योछावर कर सकता है। ऐसे लोग सौभाग्यशाली होते है।
निष्कर्ष
सच्चे मित्र की कदर हमेशा करनी चाहिए। एक सच्चा मित्र जीवन में मानसिक संतुष्टि लाता है। वह हमारी खामियों को नज़र अंदाज़ करके हम जैसे है वैसे ही अपनाता है। सच्चा मित्र सही माईनो में अनमोल रत्न और कीमती संपत्ति के भाँती होते है।संपत्ति और धन को वापस पाया जा सकता है , लेकिन सच्चे मित्र की मित्रता खोने से वह वापस नहीं आती है।