किसान पर निबंध-Kisan par nibandh

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भारतीय किसान पर निबंध-Essay on Farmer in hindi -800 words

प्रस्तावना: भारतीय किसानो की वजह से आज हमे अनाज मिलता है।  हमें रोज भर पेट खाना मिलता है।  बाज़ारो में सब्जी , फल उन्ही की वजह से आते है। जैसा की हम सब जानते है भारत एक कृषि प्रधान देश है। कृषि देश की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है। किसानो की अनाज निर्माण में अहम भूमिका होती है।  वह दिन रात खेतों में परिश्रम करते है ताकि हमे अनाज मिल सके। किसानो की हालत दयनीय हो  रही है।  देश को आजाद हुए कई साल हो गए लेकिन किसानो की हालत में कोई ख़ास सुधार नहीं हुआ है ।

किसानो की उन्नति के लिए सरकार ने कई प्रयास किये है।  बैंक किसानो को कम ब्याज पर ऋण दे रही है ताकि वह अपने खेत को हरे भरे रख सके।  खेतों में फसलों की पैदावार अच्छी हो , इसलिए बैंक द्वारा सिर्फ किसानो के लिए कुछ विशेष योजनाएं जारी की गयी है।  फिर भी हर साल सूखा  की वजह से किसानो को मुसीबत का सामना करना पड़ता है।

जब बारिश नहीं होती तो सारे फसले बर्बाद हो जाते है।  किसानो की ज़िन्दगी में परेशानियों के बादल छा जाते है। कई किसानो को यह परेशानियां इतनी घेर लेती है कि वह आत्महत्या जैसे गलत कदम उठा लेते है।  उनकी भावनाओ को देश और उसकी सरकार को समझना होगा। उनके प्रति संवेदनशील होने के साथ उनके लिए बहुत कुछ करना चाहिए।

जब देश स्वतंत्र नहीं हुआ था , तब अंग्रेज़ो , जमींदारों , साहूकारों ने किसान के विश्वास का गलत फायदा उठाया।  उनके जमीन हड़प लिए और उन पर अत्याचार करने लगे। प्राकृतिक आपदाओं की वजह से किसानो की हालत और अधिक  खराब हो गयी है।  कई सरकारी मदद किये जाने के  बावजूद किसानो की दशा में आज भी कुछ ख़ास परिवर्तन नहीं हुआ है।  देशवासियों को किसानो की कदर करनी चाहिए।  कृषि से कुछ ख़ास ना मिलने के कारण किसान शहरों की ओर पलायन कर रहे है।

आजकल महंगाई इतनी अधिक बढ़ रही है।  कुछ किसानो ने शहरों की तरफ काम ढूंढ लिया है।  ऐसा इसलिए है क्यूंकि उन्हें कहीं से भी सहायता नहीं मिल पा रही है। कई नीतियां किसानो के हित में लागू किये गए मगर असलियत में उनका पालन ठीक से नहीं किया गया।  अगर ठीक से किया जाता तो किसान शहरों की ओर रोजगार के लिए नहीं चले जाते। पहले किसान कर चुकाने के लिए साहूकारों से कर्ज लेते थे। उसे वापस ना कर पाने की वजह से पूरी जिन्दगी उस कर के दबाव को सहन करते थे।

किसानो को उनके अत्याचारों को काफी सहन करना पड़ता था।  अभी पहले की तुलना में किसान जागरूक हुए है। कई किसानो को कम वेतन पड़ दूसरे के खेतों पर मज़दूरी करनी पड़ती थी। सरकार ने किसानो की दशा को सुधारने के लिए कई योजनाएं लागू तो कि मगर किसानो को किन्ही कारणों से यह सुविधाएं नहीं मिली। किसानो को सही मात्रा में बिजली नहीं मिल पाती है।  इससे खेतो की सिंचाई करने  में मुश्किलें आती है। अच्छे गुणवत्ता के बीज कुछ  किसानो को प्राप्त नहीं होते है।

किसानो की हालत इतनी खराब होने की वजह है अशिक्षा। अशिक्षा के कारण सरकार द्वारा जारी की गयी योजनायों का वह सही लाभ नहीं उठा पाते है। इससे उनके जीवन में निराशा का बादल और अधिक गहरा हो जाता है। गरीबी और अशिक्षा के कारण वह योजनाओं का फायदा नहीं उठा पा रहे है।

कुछ सालो पश्चात हमारे देश ने विज्ञान और तकनीकी क्षेत्र में काफी उन्नति की है। नए उन्नत तकनीकों के कारण कृषि क्षेत्र में उन्नति हुयी  है।  नए और विकसित उपकरणों का उपयोग कई किसान कर रहे है और उन्हें लाभ भी पहुंचा है। आज कई कृषक वैज्ञानिक तरीको का उपयोग कर रहे है ताकि बेहतर फसल उगा सके। विज्ञान ने कृषि क्षेत्र में सकारात्मक भूमिका निभायी है।

बैंक किसानो की सहायता हेतु कम ब्याज पर ऋण देते है ताकि वह इन आधुनिक उपकरणों को खरीद सके और सिंचाई इत्यादि कृषि संबंधित प्रक्रियाओं में उसका उपयोग कर सके। देश के कुछ राज्यों जैसे पंजाब , हरियाणा इत्यादि में कृषको ने काफी उन्नति की है।  अब पहले से किसानो की दशा में थोड़ा सुधार है , लेकिन सरकार को यहां रुकना नहीं है।  अभी बहुत कुछ करना बाकी है। कृषको की हालत में जब सुधार होगा तो देश की अर्थव्यवस्था भी बेहतर होगी।  किसानो को आत्मविश्वास दिलाना ज़रूरी है कि देश उसके साथ है।

निष्कर्ष

किसानो की वजह से हमे अनाज मिलता है लेकिन उन्ही की हालत इतनी बुरी हो रही है।  अनावृष्टि के कारण उनकी फसले खराब हो जाती है।  कभी स्थिति इतनी ख़राब हो जाती है उन्हें पीने के लिए एक बूँद के लिए तरसना पड़ता है।  सरकार  को किसानो की तकलीफो और परेशानियों को समझना होगा और ऐसी योजनाओ का निर्माण करना होगा जिसका वह उनका लाभ उठा सके।

भारतीय किसान पर निबंध (300, 500 शब्दों में)

भारत माता ग्रामवासिनी है। यहां की लगभग तीन चौथाई जनसंख्या गांव में निवास करती है। गांव के अधिकतर लोगों का जीवनयापन कृषि के माध्यम से होता है। इतना ही नहीं भारत देश को कृषि प्रधान देश भी कहा जाता है। अतः आज के आर्टिकल के जरिए हम भारतीय किसान विषय पर निबंध प्रस्तुत करने वाले हैं। यह निबंध आपके विद्यालय में पूछे जाने वाले निबंध प्रतियोगिताओं तथा परीक्षाओं के लिए भी लाभकारी साबित होगा। तो आइए जानते हैं भारतीय किसान विषय पर निबंध…

भारतीय किसान पर निबंध (300 शब्दों में)

भारत को कृषि की प्रधानता के कारण कृषि प्रधान देश कहा जाता है। हमारी देश की अर्थव्यवस्था का मूल केंद्र कृषि ही है। किसान हमारे राष्ट्र का भाग्य विधाता है। किसान के अभाव में ना हमें खाने को अन्य मिलेगा और ना पहनने को वस्त्र। किसान की कर्म के महत्व को देखते हुए “घाघ” कवि ने कृषि क्रम को सर्वश्रेष्ठ घोषित किया था-

उत्तम खेती मध्यम बान।
अधम चाकरी भीख निदान।।

किसान सादगी की प्रतिमूर्ति होता है। उसका रहन-सहन बहुत सादा और सरल होता है। सिर पर मैली कुचली और कभी-कभी तो फटी हुई टोपी, कुरता, धोती और पैरों में चमड़े का अनगढ़ जूता यही है भारतीय किसान की परंपरागत वेशभूषा। एक किसान का घर अधिकतर कच्चा और आधुनिक सुविधाओं से रहित होता है। लेकिन मेहनत ही एक किसान की पहचान होती है।

किसान अपने त्यौहारों को बड़े उत्साह और प्रसन्नता के साथ मनाता है। अपने जीवन में खुशियां लाने के साथ ही यह अन्य लोगों के चेहरे पर भी मुस्कान लाने का काम करता है। प्रातः काल उठकर हल बैलों को लेकर खेतों में पहुंच जाता है और वहां कठोर कर्म करता तथा देर रात तक कार्य करते रहना ही उसकी दिनचर्या है। किसान का जीवन वास्तव में बड़ा कठिन होता है। लेकिन इसके बावजूद उसकी महत्वता सबसे सर्वाधिक होती है। किसान के बिना समाज की रूपरेखा तैयार ही नहीं की जा सकती है। इस देश की मिट्टी को सही कार्य में उपयोग करने का काम आखिर किसान ही तो करते हैं।

भारतीय किसान विषय पर निबंध (500 शब्दों में)

प्रस्तावना: रोटी और कपड़ा हमारे जीवन की मूलभूत आवश्यकताएं हैं। हमारी इन आवश्यकता की पूर्ति किसान करता है। वह अपने खेतों में इन वस्तुओं का उत्पादन करता है। जिसके बाद हमें इन चीजों से परिपूर्ण करता है। इस देश की पहचान है किसान। देश की अर्थव्यवस्था और देश के सामाजिक स्तर को बढ़ावा देने वाले किसान देश के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं।

भारतीय किसान का रहन-सहन

किसान का जीवन तपस्वी तुल्य होता है। मनोरंजन के आधुनिक साधनों से किसान का कोई परिचय नहीं होता। यद्यपि कुछ क्षेत्रों में स्थिति में परिवर्तन आया है और कृषकों की आर्थिक दशा में सुधार होने से उनके रहन-सहन का स्तर ऊंचा हुआ है किंतु देश के अधिकतर भागों में कोई विशेष परिवर्तन नहीं हुआ है। संचार और मनोरंजन के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तनों के बावजूद किसान अब भी होली, ढोला और स्वाद तामाशों से ही अपना मनोरंजन कर लेता है। बरसात के दिनों में ताश की बाजी उसके मनोरंजन का साधन बन जाती है। इसी प्रकार बड़े ही साधारण तरीके से किसान अपना जीवन यापन कर लेता है।

किसान के कार्यकारी जीवन

किसान स्वभाव से बेहद परिश्रमी होता है। प्रातः काल सूर्योदय से पूर्व उठकर अपने कार्य में लग जाना तथा देर रात तक कार्य करते रहना ही एक किसान की दिनचर्या होती है। वह प्रातः काल ही अपने बैलों को लेकर खेतों में पहुंच जाता है और वहां अपने कठोर कर्म में संलग्न हो जाता है। अपना दोपहर का भोजन भी वह खेतों में ही करता है। भोजन करने के उपरांत में थोड़ी देर विश्राम करता है और पुनः अपने कर्म में जुट जाता है। दिन भर काम करने के बाद वह सूर्यास्त होने पर घर लौटता है। घर लौट आने के बाद भी उसका कार्य पूर्ण नहीं होता है। घर लौट कर अपने पशुओं को चारा देता है उन्हें पानी पिलाता है। कभी-कभी तो उसे रात को खेतों में पानी भी देना पड़ता है।

किसान की समस्याएं

किसान की आवश्यकता है बहुत सीमित होती हैं किंतु वह भी पूर्ण नहीं हो पाती। उसकी समस्त धन-संपत्ति खुले में पड़ी रहती है वह उसे तिजोरी और अलमारी में बंद नहीं कर सकता है। ऐसे में भारी वर्षा और आंधी से अपने सामान को बचाने के लिए उसका प्रयास जारी रहता है। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने एक कृषक की पत्नी की बेबसी का मार्मिक चित्रण उन शब्दों में किया है

अर्धनग्न दंपत्ति के घर में, मैं झोंका बन आऊंगी
लज्जित होना अतिथि सम्मुख वे दीपक बुझाऊंगी
ऋण शोधन के लिए दूध घी बेच बेच धन जोड़ेंगे
बूंद बूंद बेचेंगे अपने लिए नहीं कुछ छोड़ेंगे।

किसान का जीवन वास्तव में ऐसा ही है। उसके सामने अनेक समस्याएं हैं जिनके कारण वह ना तो अपनी आर्थिक दशा सुधार पाता है और न कृषि उत्पादन ही बड़ा पाता है। ऐसे में भूमि को शस्यश्यामला बनाने वाले किसानों की भी समस्याएं अनंत हैं।

उपसंहार

भारत के भूतपूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने जय जवान जय किसान का नारा देकर किसान के अनवरत परिश्रम का अभिनंदन किया था। किसानों के मध्य फैले हुए अज्ञान के अंधकार को मिटाकर, शिक्षा का प्रकाश फैलाना और उन्हें निर्धनता तथा शोषण के दुष्चक्र से उतारना हम सबका पुनीत कर्तव्य है। इसके लिए आवश्यक है कि हम किसान के महत्व को स्वीकार करें, उसे आदर दे तथा हृदय से उसके विकास के लिए प्रयत्नशील हो।

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