कामकाजी महिलाओं की दोहरी भूमिका पर निबंध

कामकाजी महिला और उनकी दोहरी भूमिका पर निबंध।

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आधुनिक नारी की दोहरी भूमिका पर निबंध। कामकाजी नारी के समक्ष चुनौतियां। भारत में कामकाजी महिलाओं की समस्या पर निबंध

भारत में प्रत्येक मध्यम वर्गीय स्त्री सुशिक्षित है। दिन -प्रतिदिन के आर्थिक समस्याओं को पूरा करने के लिए दफ्तरों और इत्यादि जगहों पर जाकर काम करती है। आजकल दुनिया में काफी परिवर्तन आया है। पुराने दिनों की तरह लड़कियां अब अशिक्षित नहीं रही है। महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर सर्वत्र जगह चल रही है और कामयाब भी हो रही है।

महिलाये आज एक सफल इंजीनियर है, डॉक्टर या शिक्षक या दफ्तरों के अफसर, ऐसा कोई क्षेत्र नहीं जहाँ महिलाओं ने अपनी काबलियत को प्रमाण न किया हो। सुबह से लेकर शाम तक दफ्तरों में बैठकर कार्य करना फिर अपने परिवार के लिए खाना बनाना, बच्चों और पति की छोटी -बड़ी ज़रूरतों का विशेष ध्यान देना महिलाएं बखूबी करती है। पुरुषों के पास दफ्तरों से आकर आराम करने का विकल्प होता है लेकिन महिलाओं के लिए ऐसा नहीं है। चाहे वह कितनी भी थकी हो उन्हें घर पर अपना कर्तव्य प्रत्येक दिन पालन करना पड़ता है।

महिलाएं अपने -अपने क्षेत्र में इतने बेहतरीन कार्य करती है जिससे उनके परिवार और समाज को उनपर नाज़ होता है। सरकार ने महिलाओं के उत्थान और प्रगति के लिए कई सारे नियम बनाये है ताकि महिलाएं सड़कों और बाहर सुरक्षित महसूस करे। बाल विवाह, दहेज़ प्रथा, कन्या -भ्रूण हत्या और घरेलु हिंसा के प्रति कड़े नियम लागू किये हैं। भारत में आज भी कामकाजी महिलाएं सुरक्षित नहीं है क्यों की देर रात को उनकी सुरक्षा का खतरा अभी भी समाज में प्रश्न चिह्न बनकर खड़ा है। लेकिन भी महिलाओं के लिए दफ्तरों द्वारा कैब का प्रबंध किया गया है ताकि वह सुरक्षित अपने घर तक पहुँच सके।

महिलाएं आज सम्पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर हैं और देश एवंग समाज के लिए एक जीता जगता उदाहरण पेश किया है। दफ्तर के साथ परिवार की हर छोटी बड़ी चीज़ों का ध्यान रखती है और शायद अपना ध्यान नहीं रख पाती है। महिलाओं ने अपने जीवन के हर किरदार जैसे माँ, बेटी, बहु, भाभी, बीवी निभाए है और सारे कर्तव्यों का पालन भी किया है।

महिलाओं के नौकरी करने के कारण घर में कई आर्थिक समस्याएं दूर हो गयी है। लेकिन फिर भी दफ्तरों में उन्हें काफी भेद -भाव का सामना करना पड़ता है जैसे उचित पद पर तरक्की न होना और प्रोत्साहन का अभाव इत्यादि। कुछ महिलाएं यह सब चुप चाप सहन कर लेती है। ग्रामीण क्षेत्रों  में अभी भी महिलाएं शिक्षित नहीं हो रही है और बाहर जाकर काम करने के सोच से अभी पीछे है। इसका कारण पुरुषों की सोच है जो गांव की महिलाओं को शिक्षित होने से रोकती है। पुरुषों और महिलाओं की समानता वाली सोच अभी भी समाज में पूरी तरह से जागृत नहीं हुआ है। पहले की तुलना में समाज का दृष्टिकोण महिलाओं के प्रति काफी विकसित हुआ है।

कुछ महिलाएं समाज के सोच  की फ़िक्र ना करते हुए खुद अपने पाँव पर खड़े होकर समाज और परिवार के लिए एक मिसाल कायम करती है। महिलाओं की सोच आज हर दिशा, समाज और देशों में फैला हुआ है। चाहे वह व्यापार हो जा राजनैतिक पद संभालना हर काम निपुण रूप से करती है। महिलाओं के बैगर समाज की कल्पना करना बेकार है। महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से काम नहीं है। अगर महिलाएं शिक्षित न हुयी और आत्मनिर्भर ना हुई तो आधा देश अशिक्षित रह जाएगा। अगर एक लड़की शिक्षित होती है तो परिवार भी उसके साथ शिक्षित होता है।

कामकाजी महिलाओं को दफ्तर में कभी -कभी अपने पुरुष सहकर्मी से प्रोत्साहन और सम्मान प्राप्त नहीं होता जिसकी वजह से वह परेशान रहती है। कामकाजी महिलाओं को पुरुषों से कई ज़्यादा काम करना होता है और साथ ही अनेक ज़िम्मेदारियाँ निभाती है। अब महिलाएं संयुक्त परिवारों में नहीं रहती इसलिए घर हो या कार्यक्षेत्र तिगुना काम उन्हें करना पड़ता है।

पूरे विश्व और कई छोटे महाद्वीपों में औरतों ने अपने प्रतिभाओं से सबको चकित कर दिया है। हर क्षेत्र में जैसे सेना, परिवहन , ड्राइवर जैसे कार्यों में पुरुषों की तरह ज़िम्मेदारी और हिम्मत के साथ कम किया और अपने आपको साबित किया। अंतराष्ट्रीय खेलों में भी औरतों ने कई मैडल जीते। इसके साथ ही उन्होंने अपना और अपने देश का नाम रोशन किया।

उपसंहार

महिलाओं से परिवार और कार्यस्थल बहुत उम्मीदें रखता है। महिलाएं भी इंसान होती है मशीन नहीं। घर में यह आशा की जाती है कि वह कार्यस्थल से आकर फिर अपना गृहस्थी संभाले। महिलाओं को गृहणी के रूप में भी सारी अपेक्षाओं को पूरा करती है। कितनी भी थकान हो वह अपने परिवार को महसूस होने नहीं देती है। कभी परिवार के सदस्यों को भी उन्हें समझने की ज़रूरत है , खासकर पुरुषों को। हम पुरुष शाशित समाज में रहते है जहाँ हर फैसला लेने से पहले महिलाओं को उनसे पूछना पड़ता है। लेकिन फिर भी कुछ महिलाएं शान्ति से समझौता करते हुए अपनी दोहरी भूमिका बेहतरीन रूप से निभाती है।

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