कोरोना-वायरस(Covid19) का शिक्षा पर प्रभाव निबंध

कोविड-19 का शिक्षा पर प्रभाव निबंध- कोरोना वायरस का शिक्षा पर प्रभाव

प्रस्तावना: कोविड-19 के नाम से पुकारे जाने वाले इस वायरस का पूरा नाम कोरोना-वायरस है। यह वायरस आज संपूर्ण विश्व में ज्वाला मुखी की भांति फैलता जा रहा है। चीन से शुरु होने वाला यह वायरस भारत समेत अनेक देशों के करोड़ों निवासियों की जान ले चुका है। अभी भी इसका खतरा प्रत्येक व्यक्ति के जीवन पर मंडरा रहा है।

कोविड-19 क्या है?

कोविड-19 एक भयंकर संक्रमण है, जो कि एक दूसरे के संपर्क में आने वाले से फैलता है। यह वायरस साल 2019 में चीन देश से शुरु हुआ था। चीन में इस संक्रमण से संक्रमित पहला केस 8 नवंबर को सामने आया। इसके बाद इस संक्रमण ने चीन समेत पूरे विश्व को अपने चपेट में ले लिया।

कोविड-19 कोरोना वायरस से संबंधित कई प्रकार के वायरसों में से एक है। Covid disease अथवा कोरोना वायरस से संबंधित होने के कारण तथा वर्ष 2019 में इसकी उत्पत्ति होने के कारण इस वायरस का संक्षिप्त नाम कोविड-19 रखा गया। पहले इसे चीनी वायरस का नाम भी दिया का रहा था लेकिन, WHO के अनुसार, इसका नाम कोविड-19 रखा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, वायरस का नाम किसी भी देश के नाम से या अनुचित रूप से प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए।

खांसना, छींकना, तेज ज्वर आना तथा गंध व स्वाद का आभास ना होना कोविड-19 के लक्षणों में से हैं। इन लक्षणों के साथ व्यक्ति को सांस लेने में भी बेहद परेशानी का सामना करना पड़ता है। ऐसे लक्षणों वाले व्यक्तियों को कोरोना कि जांच करवाना आवश्यक हो जाता है। यदि वह कोविड-19 की जांच में पॉजिटिव निकलता है तो उसे तुरंत क्वैरैंटीन करने की हिदायत दी जाती है ताकि उसके माध्यम से यह संक्रमण अन्य लोगों तक ना पहुंचे।

कोविड-19 का शिक्षा पर असर –

कोविड-19 की महामारी ने आज समूचे विश्व की अर्थव्यवस्था, शैक्षिक व्यवस्था तथा सामाजिक स्तर को अत्यंत प्रभावित किया है। कोविड-19 के प्रभाव के कारण सरकार द्वारा लॉकडाउन के दिशा निर्देश समय समय पर दिए गए। इस निर्देश के चलते स्कूल, कॉलेज को पूर्णता बंद कर दिया गया है। इस स्थिति में ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली की शुरुआत की गई, परंतु ग्रामीण क्षेत्र में निवास करने वाले छात्र- छात्राओं के लिए यह व्यवस्था ज्यादा कारगर साबित नहीं हो सकेगी। क्योंकि वहां अधिकतर लोगों के पास ऑनलाइन पढ़ाई करने के लिए ना तो एंडरॉइड फोन है और नेट की उचित व्यवस्था है। ऐसे में आर्थिक तौर पर कमजोर परिवार के छात्रों के लिए पढ़ाई करना बेहद मुश्किल है।

कोविड-19 के प्रभाव के कारण विभिन्न प्रकार की परीक्षाओं को भी निरस्त कर दिया गया। जिनसे विद्यार्थियों के आत्म विश्वास पर भी असर पड़ा। परीक्षाओं के ना होने के कारण शिक्षा की गुणवत्ता पर भी असर पड़ा है। नए सत्र में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों को भी आगे मुश्किल का सामान करना पड़ेगा।

भविष्य में शिक्षा प्रणाली को पुनः उचित स्तर पर लाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए जाने पड़ेंगे। कोविड-19 के कारण उत्पन्न यह स्थिति विद्यार्थियों के मनोबल को तथा पढ़ाई के हेतु उनके लगन को ठेस पहुंचा रही है। इस समय यह आवश्यकता है कि अभिभावक अपने बच्चों को घर पर पढ़ाई करने के लिए उत्साहित करे ताकि शिक्षा के प्रति उनकी रुचि में कमी ना आए। साथ ही विद्यार्थी अपने साथियों के साथ आपस में पढ़ाई से संबंधित चर्चा करें। इससे उनके ज्ञान में संभावित रूप से वृद्धि होगी।

कोवीड 19 के दौरान शिक्षा प्रणाली में ज़रूरी बदलाव की आवश्यकता है।

  • बिजली की आपूर्ति ,शिक्षको और छात्रों के डिजिटल माध्यम से जुड़ना और इंटरनेट कनेक्टिविटी बेहद जरुरी है।
  • डिजिटल इ लर्निंग की सुविधा को बढ़ावा देना
  • जो छात्र  कम आय वाले परिवार से है उन्हें दूरस्थ शिक्षा  कार्यक्रम में शामिल किया जाए।
  • डिजिटल लर्निंग प्लेटफॉर्मों का पता लगाने की आवश्यकता है।

नौकरी की पेशकश और इंटेरसेंशिप कार्यक्रमों के उपायों पर विचार करने की ज़रूरत।

निष्कर्ष

राष्ट्रिय स्तर पर एडुटेक सुधार होना आवश्यक है जो वर्तमान भारतीय शिक्षा प्रणाली में प्रौद्योगिकी का समावेश है। संकट के इस समय में युवा दिमाग की क्षमता निर्माण के लिए प्रभावी शैक्षिक अभ्यास की आवश्यकता है। शिक्षकों के साथ छात्रों को भी डिजिटिलआयी जेशन के लिए सहायता करने की आवश्यकता है। कुछ समय के लिए भारत को दसवीं और बारहवीं  लिए शिक्षा मुक्त सेवाएं ऑनलाइन लर्निंग के माध्यम से शुरू करने की ज़रूरत है। केंद्र सरकार और राज्य को देश और शिक्षा  की प्रगति के विशेष उपाय करने की आवश्यकता है।  शिक्षा संगठन यह सुनिश्चित  करे  कि विद्यार्थी लॉकडाउन के वक़्त शिक्षा प्राप्त करे और अपनी पढ़ाई जारी रख सके और शिक्षा में बाधा उतपन्न न हो।

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