यदि मैं करोड़पति होता पर निबंध

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यदि मैं करोड़पति होता पर निबंध/निबन्ध, If I were A Millionaire in Hindi!

आज के भौतिक युग में धन-सम्पत्ति से परिपूर्ण होना बड़े सौभाग्य की बात है। परन्तु इसके बिना जीवन निरर्थक-सा लगता है। जिस व्यक्ति के पास बहुत अधिक सम्पत्ति हो जाती है वह प्रायः बुराइयों की ओर अग्रसर होने लगता है। वे मदिरापान करने लगते हैं, व्यभिचारी बन जाते हैं तथा अन्य अनेक प्रकार के कुकर्मों में लीन हो जाते हैं। यह बहुत गलत है। परन्तु मैं सोचता हूँ कि यदि मैं संयोगवश करोड़पति हो जाऊँ तो इन व्यभिचारों से दूर रह कर देश, समाज व दलित वर्ग के लिए अच्छे-अच्छे काम करूंगा।

करोड़पति बनने पर सर्वप्रथम तो मैं एक ऐसी संस्था की स्थापना करूंगा जो योग्य व अधिकतम अंक प्राप्त करने वाले छात्रों व छात्राओं के लिए छात्रवृत्ति की व्यवस्था करे ताकि सभी छात्रों व छात्राओं में अच्छी शिक्षा प्राप्त करने की होड़ लग सके। जिससे देश को योग्य डॉक्टर, इंजीनियर, सी. ए. व कुशल प्रशासक मिल सकें । देश में आवश्यकतानुसार धर्मशालाओं व गौशालाओं का निर्माण करवाऊँगा। लोगों की आध्यात्मिक रुचि को बढ़ावा देने के लिए देश में मन्दिरों का निर्माण करवाऊँगा। निर्धन व्यक्तियों को सर्दी से बचाने के लिए समय-समय पर निःशुल्क वस्त्रों का वितरण करूंगा।

अनाथों के लिए मुफ्त भोजन की व्यवस्था करूँगा तथा निर्धन परिवार से सम्बन्धित योग्य व जरूरतमन्द छात्रों को निःशुल्क वर्दी, पुस्तकें व कापियों का प्रबन्ध करूँगा ताकि निर्धनता के कारण किसी भी योग्य विद्यार्थी का भविष्य अन्धकारमय न बन सके। इनके अतिरिक्त वृद्धों के लिए वृद्धाश्रम की स्थापना करूंगा। इन आश्रमों में रहकर वृद्ध अपना मनोरंजन कर सकेंगे। वृद्ध तथा रोगियों के लिए समय-समय पर फल तथा पौष्टिक पदार्थों का प्रबन्ध करता रहूँगा तथा वृद्धों के लिए धार्मिक पुस्तकों, गीता-रामायण व भागवत आदि का मुफ्त वितरण करता रहूँगा। इनके लिए आवश्यकतानुसार दवा आदि का भी प्रबन्ध कराऊँगा। एक ऐसे निःशुल्क अस्पताल की व्यवस्था करवाऊँगा जहाँ से कोई भी निर्धन व्यक्ति दवा प्राप्त कर सके और दवा की कमी के कारण दुःखी न हो।

अपने इलाके में स्थापित अनाथालय को दान देकर उसमें अनेक सुविधाएँ प्रदान कराई जाएँगी। यहाँ रहकर अनाथ बच्चे अपने भविष्य को सुधार सकेंगे। यहाँ पुस्तकालय तथा वाचनालय की भी स्थापना करवाऊँगा। सप्ताह में एक या दो दिन निर्धन व मजबूर व्यक्तियों के लिए मुफ्त भोजन की व्यवस्था करूंगा। सच तो यह है कि यदि मैं करोड़पति होता तो निर्धनों, लाचारों, अपंगों व छात्रों के लिए जो मुझसे अधिक-से-अधिक बन पड़ता मैं करता ताकि वे अपने जीवन को | सुखी बना सकते। यही मेरी हार्दिक इच्छा है।

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