विशव के सात आशचर्य
[Seven Wonders of the World]
प्रस्तावना:- विशव के सात नए आश्चर्यो की घोषणा जुलाई, 2007 में की गई है। एसएमस व ई-मेल के जरिये प्राप्त मतों के आधार पर स्विट्जरलैंड की एक निजी कंपनीने ईन अश्चर्यो का चयन किया है। आश्चर्यों की पहचान के लिए स्विट्जरलैंड की एक निजी कम्पनी न्यू सेवन वंडर्स फाउंडेशन द्वारा पहल की गई थी तथा इसके लिए विशवभर में अभियान चलाकर मत देने के लिए लोगों को प्रेरित किया गया था। विशवभर के लगभग 10 करोड़ मतदाताओं ने इस अभियान में अपनी राय सात आश्चर्यो की पहचान हेतु जाहिर की थी संस्था ने प्राप्त मतों के आधार पर विशव के सात नए आश्चर्यो की घोषणा पुर्तगाल में लिम्बन में 7 जुलाई, 2007 को एक भव्य समारोह में की। इसके लिए इन्हें प्राप्त मतों जा खुलासा संस्था ने नही किया है।इसी तरह आश्चर्य के रूप में इनकी कोई रैकिंग भी संस्था ने निर्धारित नही की है।
विशव के सात आश्चर्यों का संक्षिप्त परिचय निम्नलिखित है:-
(1) ताजमहल, आगरा(भारत):– आगरा में यमुना नदी के तट पर ताजमहल पूरी तरह से सफेद संगमरमर से बनी इमारत है। मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज महल के प्रेम की अभिव्यक्ति की खातिर इस खूबसूरत स्मारक का निर्माण करवाया था। इस भव्य इमारत का निर्माण सन 1631 में शुरू हुआ था तथा इसके निर्माण में 22 वर्ष लगे थे। कुल बीस हजार मजदूरों ने इस बेजोड़ कृति को तैयार किया था।
(2) रोमन कोलोसियम(70-82), रोम :- रोमन साम्राज्यक आर्किटेक्चर की अनूठी मिसाल है। यह स्टेडियम मे कभी इसमें ग्लेडियेटर आपस मे लड़ा करते थे और हजारो की भीड़ इस खूनी खेल का मजा लेती थी। आज भी दुनिया मे बनने वाला हर स्टेडियम इस कोलोसियम के जैसा ही होता है। 2000 साल पहले बने इस अद्भुत नमूने को देखने के लिए हजारों लोग आज भी रोम जाते है।
(3.) चीन की दीवार (ईसा पूर्व 220-1644), चीन:- चीन की दीवार पहली नजर में एक अजूबा है। मंगोलो के हमलों से बचने के लिए इतनी बड़ी दीवार बनाकर चीन ने दुनिया को हैरान कर दिया। इंसान के हाथों बनी यह सबसे बड़ी चीज है। इतनी बड़ी की इसे स्पेस से भी देख सकते है। 6000 किलोमीटर से भी लंबी इस दीवार को बनाने में हजारों लोगों की जाने गई, लेकिन एक अजूबा हमेशा के लिए बन गया।
(4.) क्राइस्ट रिडीमर(1931), ब्राजील:– रियो डी जनेरो शहर में बनी यह 38 मीटर ऊंची क्राइस्ट की मूर्ति गजब की है। 1000 किलो वजन की मूर्ति को कोरकोवड़ो पहाड़ की चोटी पर बनाया गया है। इसे बनाने में पांच साल लगे और 12 अक्टूबर 1931 को इसका उदघाटन किया गया। तब से यंग रियो शहर की पहचान बन गई है। इसके खुले हाथ ब्राजील की मेहमाननवाजी की ओर इशारा करते है।
(5.) माचू-पिचू(1460-1470), पेरू:- इंका साम्रज्य के बादशह ने बादलो में महल बनानें का अरमान बनाया और माचू पिचू को चुना। इंडीज पठार से ऊपर, अमेजन जंगलो के बीच और उरूबम्बा नदी के किनारे बसा शहर तीन सदियों तक छीपा रहा। 1911 में हिरम बिघम ने इसे खोज निकाला।
(6.) चिचेन ईजा पिरामिड (सन 800 से पहले), मेक्सिको:- चिचेन ईजा मेक्सिको में माया सभ्यता के दौरान बना शानदार शहर था। उस दौरान यह सांस्कृतिक और कारोबारी केंद्र हुआ करता था। नए अजूबों की लिस्ट में शामिल यहाँ के पिरामिड माया संस्कृति दरअसल मंदिर हुआ करते थे। इनका आकार और आर्किटेक्चर ऐसा है। कि उन्हें वक्त के इस दौर में भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
(7.) पेट्रा(ईसा पूर्व 9-सन 40), जॉर्डन:- अरब के रेगिस्तान के किनारे पर बसा शहर पेट्रा किसी दौर में नेबेटियन साम्राज्य की राजधानी हुआ करता था। किंग आतिर्यास ने रेड रोंज माउंटेन की चट्टानें काटकर इसे वाटर टेक्नोलॉजी का अजूबा बना दिया। ग्रीको-रोमन आर्किटेक्चर वाले थियेटर में 4000 लोंगो की भीड़ समा सकती थी।
(8.) आठवां आशचर्य:- सात आशचर्य की इससे पहले लिस्ट हजारों साल पहले रोमन लोगो ने बनाई थी, जिसमें से आज बस मिस्र में गीजा के पिरामिड बचे है। इजिप्ट के अधीकरियो का कहना था कि गीजा के पिरामिड को लिस्ट में आने के लिए मुकाबला करना पड़े तो शर्म की बात होगी। इसलिए गीजा के पिरामिड को अलग से आठवें आशचर्य की कैटेगिरी में रख दिया है।
उपसंहार:- नए सात आशचर्य के चुनाव की कोशिशे सात साल पहले स्विस लेखक और एविएटर डॉ. बर्नार्ड वेबर ने शुरू की थी। इसके पीछे उनकी मंशा थी कि ‘मानव इतिहास के 2000 सालों की उपलब्धियों पर एक वास्तविक आम राय‘ तैयार हो सके। दुनिया के नए सात आशचर्य का चयन एक विश्वव्यापि कोशिश थी और इसके लिए दुनिया की श्रेष्ठ सात विश्व धरोहर को एक बिल्कुल वेज्ञानिक और लोकतांत्रिक तरीके से चुना गया।
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