दिल्ली के ऐतिहासिक स्थल की यात्रा पर निबंध
ऐतिहासिक स्थल की यात्रा:- दिल्ली स्वतंत्र भारत की राजधानी है। इसके प्रतेक भाग में इतिहास के सभी युगों की गाथाएं सिमटी हुई है। इसमें कहि महाभारत के विरो की स्मृति सोई हुई है। तो कही दिल्ली के नरेश पृथ्वीराज चौहान के सत्रह युधो की वीरता की गाथा। कहीं पर मुगल सम्राट शाहजहाँ की वास्तुकला बिखरी पड़ी है। तो कहीं अंग्रेजों द्वारा निर्मित ऊँची-ऊँची भव्य इमारते सिर ऊँचा किये खड़ी हैं। इनके अतिरिक्त आधुनिक दर्शनीय स्थलों ने तो इसकी सुंदरता को और भी चार चाँद लगा दिए है। इन सब दर्शनीय स्थलों को देखने के लिए देश-विदेश से अनेक लोग आते रहते है।
इस ऐतिहासिक नगरी दिल्ली को देखने व समझने के लिए कम-से-कम एक सप्ताह का समय तो चाहिए। यह दिल्ली दो भागों में विभाजित हैं। दिल्ली व नई दिल्ली, पुरानी दिल्ली के प्रमुख दर्शनीय स्थल है। लाल किला, रेलवे का बड़ा जंक्शन, जामा मस्जिद, गुरुद्वारा सीस गंज, चांदनी चौक का भव्य बाजार, पुराना किला आदि। इनमें लाल किला पत्थर से बना हुआ विशाल किला है जिसे मुगल सम्राट शाहजहाँ ने बनवाया था। यह बहुत बड़ी जगह में फैला हुआ है। जामा मस्जिद मुसलमानो का पूजा-स्थल है। जहाँ मुसलमान लोग नमाज़ अदा करते है। लाल किला से थोड़ी दूर फव्वारे के ठीक सामने गुरुद्वारा सीसगंज है। जहां गुरु तेन बहादुर ने अपनी बलि दी थी। यह सीखो का पवित्र स्थान है। लाल किले के ठीक सामने चाँदनी चौक का भव्य बाजार है, जो व्यापार का केंद्र भी है। इन सबके पास एक बड़ा रेल्वे स्टेशन है। जहां हमेशा चहल-पहल रहती है।
नई दिल्ली के प्रमुख दर्शनीय स्थल इस प्रकार है। कुतुबमीनार, राजघाट, शांतिवन, विजयघाट, चिड़ियाघर, संसद भवन, बिड़ला मंदिर, राष्ट्रपति भवन, शक्तिस्थल, मुगल गार्डन, जंतर-मंतर, कनॉट प्लेस, छतरपुर स्थित देवी का मंदिर, अक्षरधाम मंदिर, लोटस टेम्पल, नेहरू तारामंडल आदि। इनमे राजघाट महात्मा गाँधी जी की, शांतिवन श्री नेहरू जी की, विजय घाट लाल बहादुर शास्त्री जी की व शक्तिस्थल श्रीमती इंदिरा गांधी जी की समाधिया है। चिड़ियाघर में अनेकों पशु-पक्षी है। जिन्हें बच्चें बहुत चाव से देखते है। संसद भवन में देश के कानून बनाये जाते हैं। राष्ट्रपति भवन में देश के राष्ट्रपति रहते है। बिड़ला मंदिर व छतरपुर मंदिर हिन्दुओ के पूजा स्थल है। कुतुबमीनार एक ऐतिहासिक स्थल है। जिसके पास एक लौह स्तंभ है। जो अपने आप मे कला के एक अदभुत नमूना है। इसे चन्द्रगुप्त द्वितीय ने बनवाया था। इंडिया गेट पर प्रज्वलित रहने वाली जय जवान ज्योति स्वतंत्रता संघर्ष का स्मरण करा देती है। यमुना नदी की चर्चा और दर्शन किये बिना दिल्ली दर्शन को सम्पुर्ण माना ही नही जा सकता । इस प्रकार नए-पुराने मिलकर आज दिल्ली का प्रतेक भाग दर्शनीय कहा जा सकता है।
दिल्ली के ऐतिहासिक स्थलों का उल्लेख
अक्षरधाम:- अक्षरधाम मंदिर नई दिल्ली में 10,000 वर्ष पुराना जिसका पूरा नाम स्वामीनारायण अक्षरधाम सेतु है। जिसकी विस्मयकारी सुंदरता देखते ही बनती है।जिसे बहुत ही बुधिमतापूर्ण बनाया गया है अक्षरधाम की बनावट उसकी शिल्पकला ,परंपराओ ओर आध्यात्मिक संदेशों के तत्वों को शानदार तरीको से दिखता है।अक्षरधाम ज्ञानवर्धक यात्रा का एक ऐसा अनुभव है।जो प्रगति को दर्शाता है।अक्षरधाम में अक्षरधाम परिसर का निर्माण स्वामीनारायण जी द्वारा किया गया है।जिसका नाम श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (बीए.,पी.एस)के आशीर्वाद से 11,000 कारीगरों ओर हजारों स्वयंसेवक के विराट प्रयास से पाँच वर्षों में पूरा हुआ इसका नाम गिनीज़ वर्ल्ड रिकार्ड में विशव के सबसे बड़े विस्तृत हिन्दू मंदिर परिसर के रूप में हुआ इसका उदघाटन 6 नवम्बर 2005 को हुआ था।
इंडिया गेट:– नई दिल्ली के मध्य चौराहे में 42 मीटर ऊँचा इंडिया गेट है।जो मेहराबदार ” आर्क द ट्रायम्फ”के रूप में है। फ्रेंच का उन्टरपार्ट के अनुसार यहॉ 70,000 भारतीय सैनिकों का स्मारक है।जिन्होंने विशव युद्ध प्रथम के दौरान बिट्रिश आर्मी के लिए अपनी जान गवाई थी।इस स्मारक में अफगान युद्ध 1919 के दौरान पशिममोत्तर सीमांत (अब उत्तर पशिचम पाकिस्तान )में मारे गए 13516 से अधिक बिट्रिश ओर भारतीय सैनिकों के नाम अंकित है।इंडियागेट की आधारशिला 1921 में ड्यूक ऑफ कनॉट ने रखी थी।इसका डिजाइन ऐडविन ल्यूटीन ने डिजाइन किया था इसे 10 साल बाद वायसराय लार्ड इरविन ने राष्ट्र को समर्पित किया था।
राष्ट्रपति भवन:– राष्ट्रपति भवन का निर्माण कार्य 1912 मे बनना शुरू हुआ था।और 1929 में इसे बिट्रिश सरकार को सोपा गया था।इस तरह से ये इमारत 17 साल में बनकर तैयार हुई थी।खास बात ये है।कि इसको बनाने में 29 हज़ार मजदूर लगे थे।वे इटली के क्यूरनल पैलेस के बाद भारत का राष्ट्रपति भवन का दूसरा सबसे बड़ा निवास स्थान है।देश के अलग -अलग हिस्सों के लोगो के राष्ट्रपति के रूप में इस भवन में रहने का मौका मिल चुका है।
कनॉट प्लेस:- कनॉट पैलेस दिल्ली का प्रमुख व्यवसायिक केंद्र है।इसका नाम बिट्रेन के शाही परिवार के सदस्य ड्यूक ऑफ कनॉट के नाम पर रखा गया था।इस बाजार का डिजाइन डब्ल्यू. एच. निकोलस ओर टार रसेल ने बनाया था।यह बाजार अपने समय का भारत का सबसे बड़ा बाजार था।
लोटस टेम्पल(कमल मंदिर):- भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित लोट्स टेम्पल अपनी अदभुत वास्तुकला ओर आदित्य शिल्पकारी के लिए यहां के प्रमुख आकर्षण केंद्रों में से एक है।इसे भारतीय उपमहाद्वीप के मदर टेम्पल भी कहा जाता है।यह भारत के पर्यटन स्टालों में से एक है।और इसकी खूबसूरती को देखने के लिए लोग दुनिया के कोने – कोने से आते है।कमल के फूल के आकार में बना यह लोट्स टेम्पल अपनी खूबसूरती के लिए बहुत सारे आर्किटेकचरल अवार्ड से भी नवाजा गया है।
कुतुबमीनार:- कुतुबमीनार का निर्माण दिल्ली के पहले मुस्लिम बादशाह कुतुबद्दीन ऐबक ने 1199 ईसवी में शुरू कराया था।ऐबक ने कुतुबमीनार के ग्राउंड ओर पहले फ्लोर का ही निर्माण कराया था।बाद में उनके दमाद ओर उत्तराधिकारी इल्तुतमिश ने इसमें तीन ओर मंजिल बनबाई कुतुबमीनार ऐतिहासिक इमारतों में से एक है।यह दिल्ली के महरौली इलाके में स्थित है।
यूनेस्को ने इसे “वर्ल्ड हेरिटेज साइट” का दर्जा दिया है।लाल और पीले बलुआ पत्थरो से बना हुआ ये मीनार दुनिया की सबसे ऊंची मीनारों में से एक है।इसकी ऊँचाई 72.5 मीटर (237.86 फिट) है।इसमें कुल 379 सीढ़िया है।
उपसंहार:- इस प्रकार दिल्ली ऐतिहासिक स्थलों का जमघट है।जिसमे तरह-तरह के ऐतिहासिक स्थल ओर मंदिर इत्यादि है।जो अपनी वस्तुकला ओर बनाबट के कारण विशव विख्यात है।इनमे से जंतर -मंतर,लाल किला,ओर भी ऐसी जगह है।जिसकी सुंदरता वे बनावट के बारे में इन अक्षरों का प्रयोग करके हम अनुभव नही कर सकते इसके बारे में जानना या इसको देखना हो तो केवल फोटो इत्यादि से कुछ नही होगा।इसे तो दिल्ली में जाकर जो दिल्ली के बहार रहते है ।वो इसका आनन्द अपनी स्वयं की आखों से साक्षात दर्शन करके ही ले सकते है।और अनुभव ले सकते है।कि हमारा भारत देश अपनी संस्कृति के साथ ही अपने देश की सुंदरता के लिए भी विशव विख्यात है।
#सम्बंधित:- Hindi Essay, Hindi paragraph, हिंदी निबंध।