अनुशासन विद्यार्थी के जीवन में महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह उनके शिक्षा में नियमितता, संयम और स्वयं-नियंत्रण की कला को विकसित करता है। अनुशासन के माध्यम से विद्यार्थी अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में समर्थ होते हैं और समय प्रबंधन की कला सीखते हैं। इस पोस्ट के जरिए हम आपके समक्ष विद्यार्थी और अनुशासन ( Student and Discipline) विषय पर निबंध प्रस्तुत कर रहे हैं। जो कि प्रत्येक कक्षा Class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11th और 12th तक के छात्र के लिए लिखा गया है। विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध 300, 500, 600, और 1000 शब्दों में है।
Table of Contents (विषय सूची)
विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध (200, 300, 500, 600, 800 और 1000 शब्दों में) Essay on Student and Discipline (short and long essay in hindi)
विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध (200 शब्दों में)
प्रस्तावना: अनुशासन प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में आवश्यक होता है। विद्यार्थी के जीवन में भी अनुशासन का महत्वपूर्ण स्थान है। अनुशासन से ही विद्यार्थी अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में सफल हो सकता है। अनुशासन विद्यार्थी को सही मार्ग पर चलने में मदद करता है, और नियमों का पालन करने की कला सिखाता है।
अनुशासन और विद्यार्थी: अनुशासन एक महत्वपूर्ण गुण है, जो विद्यार्थी को उनके शिक्षा संस्थानों में सही दिशा में ले जाता है। यह उन्हें समय प्रबंधन, स्वतंत्रता में सीमा और समर्पण सिखाता है। विद्यार्थी के जीवन में अनुशासन से ही उनकी पढ़ाई में प्रगति होती है और वे अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में सफल होते हैं।
अनुशासन का महत्व विद्यार्थी के लिए: विद्यार्थी के जीवन में अनुशासन का महत्व अत्यधिक है। यह उन्हें अपने स्टडी रूटीन को अनुसरण करने, प्रतिदिन की पढ़ाई में लगाव और संयमित रहने में मदद करता है। विद्यार्थी को समय प्रबंधन की कला सीखने में भी अनुशासन का महत्वपूर्ण योगदान होता है।
उपसंहार: अनुशासन विद्यार्थी के जीवन में एक महत्वपूर्ण गुण है जो उन्हें सफलता की ऊँचाइयों तक पहुँचने में मदद करता है। अनुशासन की पालना से विद्यार्थी अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल हो सकता है और एक अच्छे नागरिक के रूप में समाज के लिए सहयोगी साबित हो सकता है।
विद्यार्थी और अनुशासन(Vidyarthi Aur Anushasan)- 300 शब्दों में
प्रस्तावना: अनुशासन प्रत्येक व्यक्ति के जीवन के लिए आवश्यक होता है। विद्यार्थी के जीवन में अनुशासन का एक महत्वपूर्ण उल्लेख मिलता है। विद्यार्थी के लिए अनुशासन का विशेष महत्व है।अनुशासन के जरिए ही विद्यार्थी अपने जीवन में सफलता हासिल कर सकता है। अनुशासन विद्यार्थी को सही मार्ग दिखाने में सहायता करता है। अनुशासन में अनु का अर्थ होता है पालन और शासन का अर्थ होता है नियम। संपूर्ण अर्थों में अनुशासन का अर्थ होता है नियमों का पालन करना। दूसरे अर्थ में हम कह सकते हैं कि जो व्यक्ति अपने जीवन में नियमों का पालन करके अपना जीवन बिताता है उसे अनुशासन कहा जाता है।
अनुशासन व विद्यार्थी: अनुशासन एक ऐसी कला है जो व्यक्ति को जीवन जीने का तरीका बताती है। बड़ों का सम्मान करना, माता-पिता का आदर करना, अध्यापकों का सम्मान करना, धैर्य रखना और लगातार परिश्रम करना यह सब अनुशासन की नीतियों के अंतर्गत आता है।हम कह सकते हैं कि अनुशासन भी दो प्रकार का होता है। एक वह जो हम अपने आपसे सीखते हैं उसे आत्मानुशासन कहते हैं। दूसरा वह जो किसी अन्य को देखकर सीखा जाता है उसे प्रेरित अनुशासन कहा जाता है।
विद्यार्थी के लिए अनुशासन का महत्व: विद्यार्थियों के लिए अनुशासन अत्यधिक जरूरी है। क्योंकि विद्यार्थी के जीवन की शुरुआत स्कूल से होती है और स्कूल से ही विद्यार्थी अनुशासन का पालन करता है तो वह अपने जीवन में सदा सफलता की ऊंचाइयों को छूता है। एक अनुशासित विद्यार्थी ही अच्छा और आदर्श नागरिक भी बन सकता है। विद्यार्थी और अनुशासन की पालना करता है तो विद्यार्थी के संस्कार की जड़ें मजबूत होती हैं और भविष्य में और पूरे जीवन व्यक्ति को एक आदर्श इंसान बनाए रखती हैं।
उपसंहार: इस प्रकार अनुशासन एक ऐसी क्रिया है जो अनुशासन में रहकर हर कार्य को करने के लिए हमें तैयार करती है। विद्यार्थियों के लिए और विद्यार्थी जीवन के लिए अनुशासन का होना बेहद जरूरी है। तभी वह एक अच्छे विद्यार्थी बन सकते हैं। इस प्रकार एक व्यक्ति को अपने जीवन में कभी अनुशासन को नहीं खोना चाहिए। अगर एक बार समय हाथ से निकल जाए तो वापस लौट कर नहीं आता है। इसी प्रकार विद्यार्थी जीवन भी आपका कभी वापस नहीं आएगा और इसी समय आप अनुशासन का अच्छी तरह से पालन करके अपने जीवन को उन्नत बना सकते हैं।
विद्यार्थी और अनुशासन महत्त्व पर निबंध (500 शब्दों में)-Vidyarthi Aur Anushasan Essay In Hindi
प्रस्तावना
अनुशासन दो शब्दों से मिलकर बना है अनु और शासन।अनु का अर्थ होता है पीछे या अनुकरण करना तथा शासन का अर्थ व्यवस्था या नियंत्रण करना होता है। इस प्रकार स्वयं को नियमानुसार ढालना या व्यवस्था का पालन करना या फिर अपने आचरण पर नियंत्रण रखना अनुशासन कहलाता है। अनुशासन को बड़ा होकर सीखना बहुत कठिन हो जाता है। इसी लिए आवश्यक है कि बच्चों को शुरुआती शिक्षा के साथ ही अनुशासन का पाठ भी पढ़ाया जाए। इस देश के नवल उत्थान के लिए अनुशासन विद्यार्थियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
अनुशासन का महत्व
अनुशासन का मनुष्य के जीवन में विशेष महत्व होता है। अनुशासन की आवश्यकता केवल विद्यार्थी जीवन के लिए ही नहीं बल्कि प्रत्येक मनुष्य के लिए भी होती है। विद्यार्थी जीवन में यह अत्यंत महत्वपूर्ण है। क्योंकि विद्यार्थी अनुशासित होता है तभी वह जीवन में उन्नति कर सकता है।अपना शारीरिक और बौद्धिक विकास भी वह अनुशासन के माध्यम से ही कर सकता है। हालांकि वर्तमान समय में जो विद्यार्थियों व अन्य लोगों में अनुशासनहीनता बढ़ रही है वह सोचनीय है।अनुशासन के बिना किसी भी व्यक्ति का जीवन पशु के समान हो जाता है। विद्यार्थी जीवन यह अनुशासित व्यक्ति का जीवन कहा जाता है।
विद्यार्थी में अनुशासनहीनता के कारण
आज बढ़ती हुई अनुशासनहीनता के अनेक कारण हैं। हमारी दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली, शिक्षकों एवं विद्यार्थियों के बीच मधुर संबंधों का अभाव, कर्मचारियों एवं अधिकारियों की स्वार्थी भावना, कर्तव्य निष्ठा का अभाव, राजनीति में भ्रष्टाचार व स्वार्थी प्रवृत्ति का बोलबाला आदि अनेक ऐसे कारण हैं जिनसे हमारे सारे समाज और राष्ट्र का वातावरण दूषित हो रहा है। इन सभी कारणों से हमारे छात्र तथा युवा अनुशासन रहित हो रहे हैं। वे स्वतंत्रता का गलत अर्थ मानकर अनुशासन का पालन नहीं कर रहे हैं।
अनुशासन में सुधार हेतु सुझाव
प्रत्येक नागरिक में कर्तव्य भागना का जागरण, अपनों से बड़ों के प्रति आदर भावना, अनुशासन के विकास हेतु यह महत्वपूर्ण सुझाव है। हमें महापुरुषों एवं अपने आदर्श व्यक्तित्व के चरित्र को आदर्श मानकर उनका अनुकरण करना चाहिए।समाज के परिवारजनों को भी अपने बच्चों को अनुशासन में रहने की शिक्षा देनी चाहिए। तभी यह समाज बदल पाएगा और अनुशासन हर एक विद्यार्थी के जीवन में रह पाएगा।
निष्कर्ष
अनुशासन एक ऐसी प्रवृत्ति या संस्कार है जिसे अपनाकर प्रत्येक व्यक्ति अपना जीवन सफल बना सकता है। अनुशासित रहकर प्रत्येक छात्र या प्रत्येक कर्मचारी या प्रत्येक नागरिक अपनी तथा देश की उन्नति में सहायक सिद्ध हो सकता है। हम कह सकते हैं त्रुटिपूर्ण शिक्षा प्रणाली और पश्चिमी सभ्यता की चकाचौंध विद्यार्थियों में अनुशासनहीनता को जन्म देती है। ऐसे में विद्यार्थियों को सही मार्ग दिखाने का कार्य शिक्षक और परिवार जन ही कर सकते हैं।
विद्यार्थी और अनुशासन- (600 शब्दों में)
प्रस्तावना
विद्यार्थी जीवन मनुष्य के जीवन का स्वर्णकाल होता है। इस समय शरीर में नई शक्ति का संचार होता है और मन में सुहाने सपने होते हैं। यह समय मन आशाओं के झूले जुड़ता है और संसार एक चिंताओं से मुक्त रहता है। जीवन का सर्वांगीण विकास करना ही विद्यार्थी जीवन का लक्ष्य होता है। विद्यार्थी जीवन में चरित्र निर्माण का विशेष महत्व होता है। अनुशासन, आज्ञा का पालन, संयम, नियमित्तता तथा आत्मनिर्भरता, कर्तव्यनिष्ठा, स्वच्छता, परिश्रम, सभ्यता आदि विद्यार्थी जीवन में भली-भांति सम्मिलित होने चाहिए। अनुशासन के लिए विद्यार्थी को इसलिए चुना गया है क्योंकि एक विद्यार्थी ही भविष्य का राष्ट्र का उत्थान कर सकता है।
अर्थ तथा अभिप्राय
विद्यार्थी का अर्थ होता है विद्या प्राप्त करने वाला विद्यार्थी। इसके अतिरिक्त अनुशासन शब्द से तात्पर्य होता है नियमों के अनुसार कार्य करना।विद्यार्थी जीवन में नियमों के अनुसार कार्य करना अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है। यही कारण है कि विद्यार्थी और अनुशासन एक दूसरे से संबंधित माने जाते हैं। अनुशासन का अर्थ तभी सिद्ध हो सकता है जब विद्यार्थी उसे अपने जीवन में उतारता है।इसीलिए इसके अर्थ को समझना ही काफी नहीं है बल्कि इसे अपने जीवन में उतारना भी एक विद्यार्थी का कर्तव्य है।
अनुशासन के प्रकार
अनुशासन की दो प्रकार का होता है। एक अनुशासन वह होता है जो किसी के ऊपर जबरदस्ती थोपा गया हो उसे बाहरी अनुशासन कहते हैं। इसके अतिरिक्त दूसरा अनुशासन वह होता है जो खुद की इच्छा से किया गया हो उसे आंतरिक अनुशासन कहा जाता है। आंतरिक अनुशासन मनुष्य मन से करता है। इस अनुशासन में कोई बोझ नहीं होता है और सभी नियमों का मन से पालन किया जाता है। इन दोनों अनुशासन के प्रकारों में आंतरिक अनुशासन सबसे अधिक प्रभावशाली और महत्वपूर्ण माना जाता है। जब आप अपने मन से अनुशासन की प्रक्रिया में ढलते हैं तो आपका जीवन उज्जवल और लक्ष्य प्रेरित बन जाता है।
विद्यार्थी और अनुशासन का संबंध
विद्यार्थियों में अनुशासन का होना अनिवार्य है। इसके अभाव में विद्यार्थी अपने लक्ष्य पथ से भटक सकते हैं। विद्यार्थी जीवन व्यक्ति के जीवन का वह उषाकाल होता है, जहां से ज्ञान की रश्मियां फुटकर संपूर्ण जीवन को अलौकिक बनाती हैं। जीवन के निर्माण काल में अगर अनुशासनहीनता हो तो भावी जीवन के रंगीन सपने पूरे नहीं हो सकते हैं। यदि विद्यार्थी अपने जीवन में लक्ष्य को प्राप्त करना चाहता है तो बेशक उसे अनुशासन का पालन करना आवश्यक है। अनुशासन के साथ वह स्थाई हो जाएगा और अपने जीवन के लक्ष्य के प्रति निश्चित रहेगा।
अनुशासनहीनता के बढ़ते कारण
आज विद्यार्थी जीवन की जो दशा है उसके लिए समाज का कलुषित वातावरण उत्तरदाई है। विद्यार्थी जन्म से ही अनुशासन हीन नहीं होते हैं। वे अपने परिवेश के अनुसार ही अपने स्वभाव को बदलते हैं। आज की शिक्षा प्रणाली जीवन मूल्यों की स्थापना के लिए प्रयास नहीं करती है।अध्यापकों की आचरण का भी विद्यार्थियों पर विशेष प्रभाव पड़ता है। वर्तमान समय में परिवार हो या विद्यालय अनुशासनहीनता बड़ों से ही छोटों के अंदर आती है। इस समाज में अनुशासनहीनता बड़ों से ही बच्चों के अंदर उपजी है। इसलिए इस अनुशासनहीनता का दोष सिर्फ विद्यार्थियों के सिर मड़ने से कुछ नहीं होगा।
निष्कर्ष
वर्तमान समय में विद्यार्थियों की बढ़ती अनुशासनहीनता देश के भविष्य के लिए घातक सिद्ध हो सकती है। इससे सामाजिक शांति भंग हो सकती है और अपराध मुल्क घटनाओं में वृद्धि भी होगी। दिशाहीन युवा समाज अराजकता पर उतर आएगा। अतः विद्यार्थियों को अनुशासित करने के लिए गंभीर कदम उठाने होंगे। स्वयं विद्यार्थियों को अनुशासन की आवश्यकता समझते हुए सार्थक प्रयास करना जरूरी है। एक विद्यार्थी जब स्वयं अनुशासन का पालन करेगा तो उसका जीवन सफलता की ओर अग्रसर हो जाएगा। इसीलिए एक समझदार व्यक्ति अपने विद्यार्थी को और अपने छोटों को अनुशासन का पालन करना सिखाता है। साथ ही स्वयं भी अनुशासन की नीतियों पर चलता है।
विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध 800 से 1000 शब्दों में -Vidyarthi Aur Anushasan Essay In Hindi
जीवन के सभी क्षेत्रों में अनुशासन की ज़रूरत है। चाहे वह स्कूल हो , दफ्तर या युद्धभूमि अनुशासन के बैगर कहीं भी काम नहीं चल सकता है । अनुशासन के कारण ही नेपोलियन विश्व की बड़ी शक्तियों को हारने में कामयाब हुआ था। यदि स्कूल , समाज , परिवार सभी स्थानों में लोग अनुशासन का पालन करेंगे तब अपने कर्त्तव्य को अच्छी तरह से समझ पाएंगे। तब कार्य में कोई गड़बड़ी नहीं होगी। नियम तोड़ने से ही अनुशासनहीनता बढ़ती है तथा स्कूल , समाज में अव्यस्था उत्पन्न हो जाती है।
विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का बड़ा महत्व है। इससे विद्यार्थी ना केवल एक सफल विद्यार्थी बनते है बल्कि आगे चलकर एक जिम्मेदार नागरिक के तौर पर अपना कार्य करते है। जितनी शिक्षा विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है , उतना ही अनुशासन ज़रूरी होता है। बच्चे को अनुशासन की आरंभिक शिक्षा घर से प्राप्त होती है। अभिभावकों को बच्चो को शुरुआत से अनुशासन का महत्व समझाना चाहिए। जैसे बच्चा जब पेंसिल पकड़ना सीखता है , उस वक़्त हम अक्षरों को सही ढंग से लिखना सिखाते है , वरना वह गलत मार्ग पर जा सकता है। ठीक वैसे ही , अनुशासन से विद्यार्थी अपने जीवन के लक्ष्य तक पहुँच सकता है। हर चीज़ समय पर करना और सही तरीके से करना , अनुशासन कहलाता है। सही तरीको को अपनाने के लिए सही नियमो का अनुकरण करना अनिवार्य है।
विद्यालय में अनुशासनहीनता की वजह से जो दशा बनी है , वह सभी के सामने है। आज देश में चारो ओर स्वार्थ , हिंसा की भावना फैली हुयी है। यह अनुशासन की कमी के कारण है। शिक्षा के स्तर को ऊंचाई पर ले जाना होगा और जिन्दगी को अनुशासित करना होगा तभी विद्यार्थी एक उन्नत देश का निर्माण कर पायेगा ।
विद्यालय में जाकर विद्यार्थी सही माईनो में अनुशासन का पाठ पढ़ता है। अच्छी और सही शिक्षा विद्यार्थी को अनुशासन का पालन करना सिखाती है। अनुशासन का पालन करना विद्यार्थियों का परम कर्त्तव्य है। यह ना केवल उन्हें सफल इंसान बल्कि उसे एक बेहतर और अच्छा इंसान बनाता है। विद्यालय में जाकर अनुशासन की भावना का विकास होता है। अनुशासन की भावना प्रत्येक मनुष्य के मन में होनी चाहिए।
आजकल की इस व्यस्त जीवन में अभिभावक अपने बच्चो को घर पर समय नहीं दे पाते है। ऐसे में बच्चे चिड़चिड़े हो जाते है और टीवी , मोबाइल इत्यादि पर निर्भर हो जाते है। मोबाइल और इंटरनेट के अत्यधिक प्रभाव ने अनुशासनहीनता को बढ़ावा दिया है। बच्चो को लगता है की वह अब बड़े हो गए है और अनुशासन में रहने की उन्हें ज़रूरत नहीं है। यह सोच विद्यार्थियों के लिए घातक हो सकती है और वे बुरे संगत में पड़ जाते है।
अनुशासन के बिना वह सही और गलत में फर्क नहीं कर पाते है। बिना सोचे समझे किसी भी चीज़ का अपनी इच्छा अनुसार विरोध करने लगते है। अच्छे और जिम्मेदार शिक्षक विद्यार्थियों को अनुशासन में रहना सिखाते है। समय से विद्यालय पहुंचना और और छोटे बड़े नियमो का पालन करना सिखाते है। अनुशासन के बिना मनुष्य जैसे इंजन के बैगर गाड़ी और ब्रेक के बिना इंजन। शिक्षक विद्यार्थियों को नियमो में रहना सिखाते है और वक़्त पर कक्षा कार्य करना सीखते है। समय का सदुपयोग करना और अनुशासन का पालन करना यह शिक्षक द्वारा सिखाया जाता है।
शिक्षक विद्यार्थियों को एकाग्र होकर पढ़ना सीखाते है। बड़ो का सम्मान करना और हर कार्य समय पर शुरू और निर्दिष्ट समय पर समाप्त करना इत्यादि अनुशासन संबंधित चीज़ें शिक्षक विद्यार्थियों को सीखाते है। विद्यार्थियों को अपने सहपाठियों के संग अच्छा व्यवहार करना चाहिए। समय पर रोज़ाना कक्षा में हाज़िर होना चाहिए और उनसे बड़े जो उन्हें कार्य करने के लिए कहते है , उसे स्वीकार करे और उनके आदेशों का पालन करे। शिक्षकों का सम्मान उन्हें एक आदर्श विद्यार्थी बनाता है।
अनुशासन का पालन करने से विद्यार्थी धैर्यशील और संयमी बनते है। विद्यार्थी अगर समय पर अपना काम रोज़ करते है , तो उनमे धैर्य जैसे गुण उतपन्न होते है। अगर वह रोज़ाना अपना कार्य सही तरीके से ना करे , तो वह अपना कार्य हड़बड़ी में पूरा करेंगे। इससे उनमे संयम जैसे गुण उत्पन्न नहीं होंगे। अनुशासनहीनता उनके जीवन में बढ़ जायेगी।
आदर्श विद्यार्थी अनुशासन का महत्व समझता है और अपने बड़ो की बातो को कभी नज़र अंदाज़ नहीं करता है। अनुशासनहीन विद्यार्थी अक्सर गलत और बुरी आदतों के शिकार बन जाते है। आम तौर पर ऐसे विद्यार्थी छूपकर यह सारी चीज़ें करते है और माता पिता को इसकी भनक नहीं पड़ती है।
ऐसे में वह बुरी संगत में पड़कर और अधिक बिगड़ जाते है। अनुशासन का पालन करने वाले व्यक्ति का मन पढ़ने और अच्छे कार्यो की तरफ लगता है। अनुशासन का पालन ना करने से विद्यार्थी का भविष्य अंधकारमय हो जाता है। सिर्फ विद्यार्थियों का साफ़ सुथरा कपड़ा पहनना ही सबकुछ नहीं होता बल्कि इस जीवन में अनुशासन के हर पहलुओं को समझना ज़रूरी होता है।
विद्यार्थी कई बार बड़े बड़े लक्ष्यों को पाने के सपने देखता है , मगर अनुशासन का पालन नहीं कर पाता है। जिसके कारण उन्हें असफलता का सामना करना पड़ता है। अनुशासन का अभाव छात्रों की पढ़ाई पर बुरी तरीके से पड़ता है। विद्यार्थी कुसंगति में पढ़कर चोरी और गैर कानूनी कार्यो में पड़ जाता है। अनुशासन रहित जीवन के कारण वह किसी की बात नहीं सुनते है।
ऐसे अनुशासन हीन विद्यार्थी को किसी भी बात पर क्रोध आ जाता है। कभी कभी वे हिंसक प्रवृति के हो जाते है। ऐसे में अभिभावकों को अपने बच्चो के साथ समय बिताना चाहिए। उन्हें अनुशासित जीवन जीने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
विद्यार्थियों को अनुशासन सिखाने से पूर्व , अभिभावकों को भी अनुशासन में अपनी सारी चीज़ें करनी चाहिए। बच्चे जो देखते है , वहीं सीखते है। विद्यार्थी को हर कार्य और गतिविधियां समय पर करना सीखाना होगा जैसे स्कूल , खेलकूद इत्यादि | सभी प्रकार के गतिविधियों में भाग लेने से उनका व्यक्तिगत विकास होता है। अभिभावकों को अपने बच्चो को जीवन के हर मोड़ पर समझना होगा सिर्फ अच्छे स्कूल में दाखिला करवाना ही सब कुछ नहीं है। अभिभावकों को अपने बच्चो को एक निर्धारित समय के लिए टीवी और मोबाइल का उपयोग करने देना चाहिए। अभिभावकों को अपना कीमती खाली समय बच्चो को देना होगा। यह ध्यान अभिभावकों को रखना चाहिए।
निष्कर्ष
अनुशासन प्रिय विद्यार्थी बहुत परिश्रमी होते है। वह किसी भी काम को टालते नहीं है। वह आज का कार्य आज ही करते है। ऐसे विद्यार्थी दूसरो की तुलना में अपना अलग मुकाम बनाते है। जीवन के हर मुकाम पर अनुशासन की ज़रूरत होती है। कम उम्र से विद्यार्थी को इसका प्रशिक्षण देना ज़रूरी है , तभी उनकी आने वाली ज़िन्दगी सफल और सार्थक होगी। विद्यार्थी आने वाले समय के युवा वर्ग होंगे , जिनके कंधो पर देश के प्रगति की जिम्मेदारी होगी। इसके लिए अनुशासन का माहौल उन्हें जिम्मेदार और सफल नागरिक बनाएगा।
इस निबंध को पढ़ने के बाद मुझमें बहुत बदलाव आए हैं। मै कभी अनुशासन में नहीं रहता था लेकिन इस निबंध को पढ़ने के बाद मैंने अनुशासन अपनाना शुरू कर दिया
Oh..me bhi ab anushasan ka paalan karungi..kyunki mujhe yeh pta chl gya ki Vidyarthi jeevan me anushasan ka hona bahut mahtvapooran hota hai..Yeh humain ek acha vyakti bna deta hai..Ab mujhe bhi anushasan me rh kr apna hr karya sampooran krna hai… Dhanyawad aapka bahut bahut shukriya mujhe yeh nibandh dene ke liye..kyunki maine is nibandh ko bahut jaghon pr dhoonda ki mujhe saral shabdon me mile pr nhi mil rha tha yaha pr mil gya…. Dhanyawad
😀😁😁