प्रस्तावना
हमारे देश में नए प्रतिभाओ की कोई कमी नहीं है। बहुत सारे उम्दा और अच्छे भारतीय डॉक्टर्स को विदेशो में काम करते हुए देखा गया है। वहाँ वह नाम और सौहरत हासिल करते है। यह हमारे देश के लिए गर्व की बात है। हमारे देश में एक से बढ़कर एक प्रतिभाएं है। लेकिन इस विषय पर हमारे देश के सरकार को सोचने की आवश्यकता है। सोचना यहां है कि देश की प्रतिभाएं देश में काम ना करके , बाहरी देशो में काम कर रहे है। अगर देश की प्रतिभाएं देश में ना रहकर बाहर चली जाएँ तो उसे प्रतिभा पलायन कहते है।
प्रतिभा पलायन एक बहुत बड़ी समस्या है। जिन लोगो के पास प्रतिभा है वह ज़्यादा तरक्की करना चाहते है। उन्हें ज़्यादा सुख सुविधाएं चाहिए । उन्हें जो वेतन और तरक्की चाहिए वह उन्हें यहां अपने देश में नहीं मिलती है। यही वजह है कि अच्छी नौकरी मिलते ही वह दूसरे देश चले जाते है।देश के अच्छे प्रतिभाशाली लोग अच्छे मौके की तलाश में बाहर देशो की ओर रुख कर लेते है।
अच्छे डॉक्टर , इंजीनियर इत्यादि शिक्षित लोग पश्चिमी देशो में जाकर बस गए है ताकि उन्हें सुख सुविधाओं वाली ज़िन्दगी मिले। कुछ नोबेल पुरस्कार विजेताओं के कई नाम हमे मिल जायेगे जो वास्तव में भारतीय है। लेकिन उन्होंने पश्चिमी देशो में रहना ही पसंद किया है।बुद्धिमान लोग अपने उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाना पसंद करते है क्यूंकि उन्हें लगता है जो शिक्षा उन्हें वहाँ मिलेगी वह भारत में मिलना संभव नहीं है।
भारत के कई दिग्गजों ने नोबल पुरस्कार जीता जिसने देश का गौरव बढ़ाया। लेकिन देखा जाए तो उन विजेताओं ने बाहरी देशो में काम करना पसंद किया।अब सोचना यह है कि क्यों देश के प्रतिभाशाली लोग यहां से पलायन कर रहे है। वह अपने देशो को छोड़कर दूसरे देशो में रहकर सेवा करना पसंद करते है।यह बेहद सोचने वाली बात है।
प्रतिभा पलायन इस वजह से भी हो रहा है कि यहां पर लोग उच्च शिक्षा बड़े पैमाने पर प्राप्त नहीं कर सकते है। यहां कुछ सीमाएं है जिसकी वजह से वह शिक्षा और सुविधा नहीं मिल पाती है। यहां देश में अच्छे , उच्च शिक्षा प्राप्त लोगो को भी बहुत अच्छी नौकरी नहीं मिल पाती है।इसकी वजह से उन्हें काम में वह सुकून और संतुष्टि नहीं मिल पाती है।
अगर देश में अवसरों और सुविधाओं की कमी ना होती तो कल्पना चावला अपने देश में रहकर शिक्षा प्राप्त कर पाती। वह अपने देश में सपने पूरे ना कर पाती , इसकी वजह है सुविधाओं की कमी। इसलिए ज़्यादातर लोग अच्छे सुविधाओं की वजह से अमरीका और पश्चिमी देशो में चले जाने को विवश है।
भारत में हर साल कई कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और इत्यादि इंजीनियर बनकर निकलते है। सबको अपने मन मुताबिक नौकरी नहीं मिल पाती है। इसलिए वह अच्छे और अपने योग्य नौकरी करना चाहते है। इसके लिए वह उन्नत देशो जैसे कनाडा , अमरीका , ऑस्ट्रेलिया की ओर रुख कर लेते है।
देश को अपने प्रतिभाओ को रोकना देश का दायित्व है। देश में एक से बढ़कर एक प्रतिभाएं है। उन्हें अपने देश में इतनी अहमियत नहीं मिलती है। इसलिए वह दूसरे देशो में चले जाते है। देश की जिम्मेदारी है इन प्रतिभाओ को रोकना और उन्हें प्रोत्साहन देना। यह देश के लिए बहुत बड़ी चुनौती है। लेकिन प्रतिभा पलायन को रोकना अनिवार्य हो गया है। देश का प्रथम लक्ष्य होना चाहिए इन प्रतिभाओ को सही दिशा और उचित सम्मान देना जो दुर्भाग्यवश यहां नहीं मिल पाता है।
देश में आर्थिक समस्याओं की वजह से प्रतिभाओ को वह उत्साह , समर्थन नहीं मिल पाता है। कई लोगो में प्रतिभाएं होती है लेकिन कई अवसरों की कमी हो जाती है जिस वजह से वह अपना वतन छोड़कर चले जाते है।देश के युवा देश की उन्नति के लिए जिम्मेदार होता है। देश में जिस तरह से बेरोजगारी बढ़ती जा रही है उससे देश के अच्छे और टैलेंटेड लोग देश छोड़कर चले जा रहे है।
देश में बेरोजगारी और आर्थिक समस्याओं की वजह से युवाओ को अपने प्रतिभा को बढ़ाने का मौका नहीं मिलता है। हम सभी सत्य नडेला से वाकिफ है। वह माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ है। वह हमारे देश की प्रतिभा है लेकिन विदेश में रहते है। उनका जन्म हैदराबाद में हुआ लेकिन आज वह विदेश में अपने देश का नाम ऊँचा कर रहे है।
लोगो के अंदर छिपी प्रतिभाएं बाहर नहीं आ पाती है। इसकी वजह है क्षेत्र और कई अलग समस्याएं। हर व्यक्ति में कुछ ना कुछ प्रतिभाएं छिपी रहती है। उनके अंदर छिपे कलाकार का सम्मान देना चाहिए। उनकी अहमियत को समझकर उसे आगे बढ़ाना चाहिए। तब उनका विश्वास अपने देश पर बढ़ेगा और वह देश छोड़कर नहीं जाएंगे।
निष्कर्ष प्रतिभाओ की कदर देश को करनी चाहिए तभी देश उन्नति करेगा।प्रतिभा पलायन पर अंकुश लगाने के लिए देश को अपनी तरफ से कोशिश करनी होगी।देश की सरकारें सभी अपने स्तर पर काम कर रही है। सरकार कई योजनाएं बना रहे है ताकि प्रतिभा पलायन को रोका जा सके। रोजगार के बेहतर और अच्छे अवसर जुटाने की सरकार पूरी कोशिशें कर रही है।