ज़िन्दगी में रेल यात्रा करना हर किसी को रोमांच से भर देता है । हम हमेशा कामना करते है कि हमारी यात्रा सुखमयी हो । भारत की लगभग नब्बे फीसदी लोग रेल से सफर करते है । मेरी प्रथम रेल यात्रा मेरे लिए यादगार है । मैं इसे कभी नहीं भूल सकती हूँ। वह यात्रा मेरे लिए स्मरणीय अनुभव है । मैं महज़ 9 साल की थी जब मैंने अपनी प्रथम रेल यात्रा की थी । मैं रेलवे स्टेशन जाने के लिए बड़ी उत्सुक थी । मैं अपने पापा , मम्मी के साथ रेलवे स्टेशन पहुंची थी । बहुत सारे कुली रेलवे प्लेटफार्म पर आवाज़ लगा रहे थे । पापा ने एक कुली को बुलाकर ट्रैन में सामान रखने के लिए कहा था । ट्रैन रेलवे प्लेटफार्म पर खड़ी थी ।मैं गुवाहाटी से हावड़ा जा रही थी । ट्रैन की बोगी में घुसकर पापा मम्मी ने सामान अंदर रखा और मैं खिड़की के पास वाले बर्थ पर जाकर बैठ गयी ।
ट्रैन के खिड़की के बाहर मैंने खूबसूरत दृश्य देखा जैसे पहाड़ , पेड़ ,पौधे ,हर -भरे लहलहाते खेत भी देखे । मेरा मन ख़ुशी से झूम उठा और मां न मुझे कहा कि मुझे अपना हाथ ट्रैन के खिड़की से बाहर नहीं निकालना है ।फिर जल्द ही मैं मां के पास जाकर बैठ गयी । पास ही के बर्थ में मेरी उम्र की एक लड़की खेल रही थी । मैं उसके पास चली गयी और हम दोनों की अच्छी दोस्ती हो गयी और हम अपने गुड़ियों के साथ खेलने लगे थे ।फिर मां ने लंच के लिए आवाज़ लगायी । बीच बीच में ट्रैन की चूक चूक आवाज़ मेरे मन को भा जाती थी ।
उसके बाद कुछ खिलौने बेचने वाले लोग ट्रैन पर चढ़े थे । मैंने अपने पापा से ज़िद्द कि मुझे नयी गुड़िया दिला दे । पापा को मेरे जिद्द के समक्ष विवश होना पड़ा और उन्होंने खिलौने दिलवाये । खिड़की से बाहर का दृश्य बेहद खूबसूरत था । मैं बहुत उत्सुकता से चारो और देख रही थी । क्यों कि यह रेल यात्रा मेरे लिए प्रथम थी और इसकी सारी मीठी यादें मेरे दिल के बेहद करीब है ।मेरे लिए यह सफर रोमांच से भरा हुआ था । खिड़की से बाहर की हरियाली बेहद आकर्षक थी और देखने वालों का मन मोह लेती थी ।मेरे बर्थ के पास जो लड़की थी उसका नाम रौशनी था । हम दोनों अंताक्षरी खेल रहे थे और उसके बाद हमने लूडो भी खेला था । शाम होने को आयी थी ट्रैन की खिड़कियों से ठंडी -ठंडी हवा आ रही थी और उसका आनंद हर कोई ले रहा था ।
फिर गरमा गर्म कचोरी और समोसे वाला ट्रैन में आ गया था । हमने मज़े से गरमा गर्म कचोरी खाये और पापा ने चाय भी मंगवाई थी । फिर माँ ने मुझे कहानियों के किताब पढ़ने के लिए दिए था और मैंने परियों और जादुई वाली कहानियां पढ़ी थी । मेरा मन उत्साह से भर चूका था । पापा अखबार पढ़ने में ज़्यादा व्यस्त थे ।फिर रात होने को आयी और पापा ने ट्रैन पर ही रात के खाने का आर्डर दे दिया था । हमने रोटी , सब्ज़ी और मिठाई खायी थी । उसके बाद माँ ने बर्थ पर चादर बिछाई और तकिया लगा दिया और मुझे सोने के लिए कहा । मैं रौशनी के साथ मज़े कर रही थी ।
फिर रात बहुत हो गयी थी और मम्मी का कहना मानकर मैं सोने के लिए चली गयी । सुबह पांच बजे मेरी नींद खुली तो देखा पापा चाय की चुस्कियां ले रहे थे । हालांकि मैं बहुत छोटी थी लेकिन मैंने पापा से मांगकर थोड़ी चाय पी ली । सफर लम्बा था लेकिन ऐसा प्रतीत हो रहा था की पल भर में समाप्त हो गया ।
ट्रैन अपनी रफ़्तार से भाग रही थी । सफर में भूख बड़ी लग जाती है । फिर गरमा गर्म नाश्ता किया और इस बार थोड़ी मैंने कॉफ़ी भी पि ली ।
उपसंहार
थोड़ी देर में ही ट्रैन अपने आखरी स्टेशन हावड़ा पहुँच रहा था । मन उदास था कि सफर का अंत इतनी जल्दी हो गया है लेकिन यह सफर मेरे लिया हमेशा यादगार रहेगा । ट्रैन अपने आखरी गंतव्य स्टेशन तक पहुँच गयी । पापा ने कुली बुलवाई और सामान लेने के लिए उन्हें कहा । मुझे दुःख हो रहा था । लेकिन फिर मम्मी ने कहा ज़िन्दगी का हर सफर का अंत तो होता है । मुझे उदास नहीं होना चाहिए क्यूंकि ऐसे आगे हमे बहुत सी रेल यात्रा करने का मौका मिलेगा ।
Aap ka Kitna acchha nibndh hai
Maine apni pehli rail yatra tab ki thi jab mai 5 mahine ki thi
बहुत अच्छा लिखा है आपने…मुझे भी रेल यात्रा पर एक निबंध लिखना था तो थोड़ा idea लेेने के लिये आपका निबंध पढ़ा…धन्यवाद।
Thank you your essay is very good this eassy is very helpful for all