पेड़ की आत्मकथा पर निबंध

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पेड़ की आत्मकथा पर निबंध-वृक्ष की आत्मकथा पर निबंध

प्रस्तावना: मैं एक पेड़ हूँ। पेड़ो के बिना सभी प्राणियों का जीना मुश्किल होता है। उसी तरह  मैं एक हरा भरा पेड़ हूँ।  मैं लोगो को ऑक्सीजन पहुंचाता हूँ जिसके बिना  जीव जंतु  और मनुष्य जी नहीं सकते है। मेरे छाए के नीचे लोग गर्मियों के समय बैठते है और मैं उनकी थकान दूर कर देता हूँ।  मेरे लहलहाते पत्तो की हवा से मनुष्य को सुकून मिलता है।  मैं प्रकृति और पर्यावरण  को संतुलित रखता हूँ। मैं मनुष्य को फल , छाया, लकड़ी  और औषधि देता हूँ। लेकिन मुझे हमेशा भय रहता है कि कोई मुझे काट ना दे। पशुओं मेरे पत्तो को खाते है।  मुझे हमेशा यह डर सताता है कि कोई मुझे नुकसान ना पहुंचाए। यह डर तब अधिक लगता था जब मैं सिर्फ  एक पौधा था।

जिस तरीके से मेरे मित्र वृक्षों को हर दिन काटा जा रहा है , मुझे भी कटने का डर रहता है।  मैं हूँ तो वर्षा होती है। अगर मुझे और मेरे साथी वृक्षों को ऐसे ही काटा गया तो वह दिन दूर नहीं कि पर्यावरण का संतुलन बिगड़ जाएगा। वृक्षों को काटने से प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग की समस्याएं बढ़ रही है। हम वृक्षों को दिन प्रतिदिन काटने के कारण वर्षा  जैसे कम हो गयी है।  पशु और मनुष्य, गर्मियों में जल की एक बून्द के लिए परेशान हो जाते है।

ईश्वर ने मुझे प्रकृति और सभी प्राणियों के सेवा के लिए भेजा है। सभी प्राणी जीवित रहे इसलिए मुझे भेजा गया है।  मैं एक अनमोल उपहार हूँ जिसकी कदर  मनुष्य कर नहीं रहे है।

जब मैं छोटा पौधा था तो पशु मुझे बहुत परेशान करते थे , मुझे लगता था कि वह मुझे कुचल ना दे। धीरे धीरे मुझे वर्षा का जल और भूमि से ज़रूरी खनिज प्राप्त हुए इसलिए मैं बड़ा और मज़बूत पेड़ बन गया। अब सिर्फ मुझे मनुष्य से भय लगता है कि कहीं वह अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए मुझे काट ना दे।  मेरे शरीर के सारे अंग  मनुष्य को  लाभ पहुंचाते है।

जब मैं छोटा था तब मेरी शाखाएं और जड़े इतनी मज़बूत नहीं थी। अब मैं बड़ा पेड़ बन चूका हूँ और मेरी शाखाएं बाकी पेड़ो की तरह विशाल हो गया है । मैं वायु में मौजूद गैस जैसे कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर लेता हूँ। मैं अपना खाना खुद बना सकता हूँ।  इसके लिए मुझे औरो पर निर्भर रहने की ज़रूरत नहीं है। सूरज की किरणों की ज़रूरत मुझे हमेशा रहती है।

प्रकाश संश्लेषण जिसे अंग्रेजी में फोटोसिंथेसिस कहा जाता है।  इस प्रक्रिया में सूरज की किरणे , जल और कार्बन डाइऑक्साइड की ज़रूरत पड़ती है।  इस विधि के बाद मैं ऑक्सीजन गैस का निर्माण करता हूँ। ऑक्सीजन के कारण सभी प्राणी पृथ्वी पर सांस लेते है। मैं इतना विशाल हो गया हूँ कि पक्षियां मेरे शाखाओं में घोंसले बना रही है। मेरे फल और फूल सभी के काम आते है। मुझे बहुत अच्छा महसूस होता है कि मैं इतने लोगो के काम आ पाता हूँ। मुझे बेहद  ख़ुशी होती है जब मैं इतने लोगो के काम आ पाता हूँ। मनुष्य मेरे छाए में बैठकर अपनी थकान दूर करते है। मुझे यह सोचकर इतना आश्चर्य होता है कि हम पेड़ इतना कुछ मनुष्य को प्रदान करते है फिर भी वह हमेशा हम पेड़ो को काटने की कोशिश करते है। मैं अपने आप पर गर्व महसूस करता हूँ कि पक्षी मेरे शाखाओ पर बैठते है और मीठा फल खाते है।

पौधे से पेड़ बनने के सफर में  मैं प्रकृति को भली भाँती जानने लगा। मैं ऋतुओं के मुताबिक अपने आपको परिवर्तित कर लेता हूँ।  वर्षा , बसंत , गर्मी और सर्दी सभी ऋतुओं की पहचान मुझे अच्छे से हो गयी है। मैंने  कई विपत्तियों और मुश्किलों का सामना भी किया है। कभी तूफ़ान की तेज़ हवा , कभी तेज़ सूरज की किरणे , कड़ाके की ठण्ड और कभी मनुष्य मेरी शाखाओं को तोड़ लेते है। ऐसे सभी परेशानियों को  मैं झेल चूका हूँ। इंसान को जब ज़रूरत होती है वह मेरे शाखाओं को थोड़ लेते है। मैंने अनगिनत तकलीफें सहन की है।  इन सभी के कारण आज मैं निडर होकर कोई भी मुश्किल को सहन कर सकता हूँ।

अब मैं इतना अधिक बड़ा हो गया हूँ कि कोई चाहे तो भी ज़्यादा शाखाओ तक नहीं पहुँच सकता है।  मैं किसी भी भीषण परिस्थिति और मौसम में बदलाव इत्यादि को बर्दाश्त कर लेता हूँ।  मेरे फूलो को लोग तोड़ते है और ईश्वर को चढ़ाते है। इससे मुझे अपार ख़ुशी मिलती है। बच्चे और बड़े मेरे फल खाकर बड़े प्रसन्न होते है।  मेरा एक ही लक्ष्य है कि मैं प्रकृति में रहने वाले सभी जीव जंतुओं को सुरक्षित रख पाऊँ। वक़्त के साथ साथ मेरी टहनियां और जड़े इतनी अधिक शक्तिशाली हो गयी है कि मुझे गिराना आसान नहीं है। मेरे शाखाओं पर बच्चे झूले झूलते है। कोई यात्री अगर सफर करते समय थक जाता है , तो वह मेरे छाँव के नीचे बैठता है।

लेकिन मुझे बुरा इस बात का लगता है कि लोग सब जानकर भी हम वृक्षों को नुकसान क्यों पहुंचा रहे है। वह कुल्हाड़ी से पेड़ो को नहीं काट रहे है बल्कि खुद अपने पाँव पर वृक्षों को काटकर कुल्हाड़ी मार रहे है।  कुछ जगहों पर लाखो पौधे  लगाए जा रहे है लेकिन उनकी सही से कोई देखभाल नहीं कर रहा है इसलिए वह जिन्दा नहीं रह पाते है। लोगो को सचेत होने की आवश्यकता है कि वे हमे काटकर कितनी बड़ी गलती कर रहे है।

निष्कर्ष

मुझे बहुत दुख होता है जब मैं अपने आस पास के पेड़ो को कटते हुए देखता हूँ। पेड़ो को काटने से आयेदिन प्राकृतिक आपदाएं आती रहती है। मनुष्य को अब समझ जाना चाहिए कि अगर हम पेड़ ज़िंदा ना रहे तो वह भी जीवित नहीं रह पाएंगे।  प्रकृति और पर्यावरण का संतुलन बनाये रखने में हम पेड़ महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते है।

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