नदियों से लाभ और नुकसान पर निबंध
nadiyon se labh aur nuksan
प्रस्तावना
पुराने ज़माने से ही नदियाँ हमारे लिए महत्वपूर्ण रही है। नदियाँ ना होती तो मनुष्य की जिन्दगी कठिनाईओं से भरी हुयी होती। नदियाँ जिंदगी जीने का आधार है। नदियों के बिना हमे एक बूँद पानी नसीब नहीं होगा और किसानो का कार्य नदियों के बिना मुश्किलों भरा होगा । किसान सिंचाई का कार्य नदियों के पानी से करते है। पहले के ज़माने में नदियों को पार करना जोखिम भरा होता था। नदियाँ दुश्मनो को दूर रखने में मदद करती थी । नदियों का संरक्षण भी आज आवश्यक हो गया है। लोग जागरूक हो गए है और नदियों को संरक्षित किया जा रहा है। गंगा नदी को भी संरक्षित करने के लिए प्रोजेक्ट शुरू किया गया है। लोगो को प्रदूषण पर रोक लगानी होगी तभी नदियों को संरक्षित किया जा सकता है। नदियों के पवित्र जल के कारण ही मनुष्य स्वस्थ है। नदियाँ में कई प्रकार से हमारी सहायता करती है। सरकार कई तरह से नदियों को संरक्षित करने की कोशिशें कर रही है। सरकार द्वारा नदी घाटी परियोजनाओं का आरम्भ किया गया है।
नदियों के जल से खेतो में सिंचाई की जाती है। नदियों के पानी को स्वच्छ करके उसे पीने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। नदियों में कई प्रकार के जीव निवास करते है | नदियों के बिना वह जीवित नहीं रह पाएंगे |नदियों के किनारे बसे कई गाँव के लोग नदियों पर अपने आवश्यकताओ के लिए निर्भर है | नदियों के जल के माध्यम से बिजली उत्पादन की जाती है | नदियों पर बाँध का निर्माण किया जाता है |इससे कई जगहों पर बिजली पहुंचाई जाती है |इसे हाइड्रोइलेक्ट्रिसिटी कहा जाता है | सारे हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर स्टेशन नदियों पर निर्भर है |
नदियों का उपकार हम पर बना हुआ है। प्रकृति में कई प्राकृतिक संसाधन है , उसमे नदी , प्रकृति का अभिन्न अंग है। मनुष्य जल के बिना गुजारा नहीं कर सकता है। पृथ्वी में समस्त प्राणियों का जीवन नदियों के बैगर अधूरा है। नदियों से लोगो को कई तरह के लाभ होते है। कई लोग इससे मछली व्यापार करते है और यह एक रोजगार का साधन है। नदियाँ कभी कभी अपना रौद्र रूप धारण करती है और बाढ़ लेकर आती है। बाढ़ एक भीषण प्राकृतिक आपदा है जिससे मनुष्यो और समस्त जीवो को नुकसान पहुँचता है।
जब गर्मी आती है तो खासकर किसानो को सूखे जैसी भयानक परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। इसमें नदियों का पानी सुख जाता है और चारो तरफ त्र्याही त्र्याही मच जाती है। किसान और उसका परिवार कई राज्यों में अनावृष्टि का शिकार होता है। किसानो के सारे फसल बर्बाद हो जाते है। गरीब किसानो का परिवार बुरी तरह से प्रभावित होता है। अत्यधिक गर्मी में नदियों के सुख जाने के कारण ऐसे दयनीय हालत हर साल पैदा हो रहे है। इसकी वजह मनुष्य खुद है। तेज़ औद्योगीकरण के चक्कर में वह पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है। इससे पर्यावरण का संतुलन बिगड़ रहा है और नदियों पर भी असर पड़ रहा है।
नदियों को साफ़ रखना ज़रूरी है क्यों कि कई नदियों का जल समुन्दर में जाकर मिश्रित होता है। नदियों के जल को साफ़ रखना ज़रूरी है। अगर नदियों का पानी दूषित हो जाएगा तो गन्दा पानी समुन्दर के पानी को भी दूषित कर देगा। इससे पानी में रहने वाले जीव सक्रीय नहीं रह पाएंगे और मर जाएंगे। नदियों का जल प्रदूषित होगा तो मानव जाति भी कई प्रकार की बीमारियों के शिकार होंगे।
नदियाँ प्रकृति का दिया हुआ सुन्दर उपहार है। इसे सुरक्षित रखना हमारा कर्त्तव्य है। नदियों की सफाई आजकल की जा रही है और लोगो को जागरूक किया जा रहा है कि वह नदियों को गन्दा ना करे। वक़्त रहते इसे समझे और संजोय कर रखे ताकि आने वाली पीढ़ी को नदियों का साफ़ जल प्राप्त हो। बारिश होती है तब जल एकत्रित होता है और नदियों का जल स्तर बढ़ता है। बारिश तभी होगी जब वन और वृक्ष होंगे। अत्यधिक वनो की कटाई पर रोक लगानी ज़रूरी है। जहाँ एक पेड़ काटा गया वहां दूसरा पेड़ अवश्य लगाना चाहिए। सारी चीज़ें और पहलू एक दूसरे के संग जुड़ी हुयी है।
नदियों को हमारे देश में पूजा जाता है और देश की पवित्र नदियों में डूबकी लगाकर लोग अपने पाप धोते है। भारत में नदियों जैसे गंगा , ब्रह्मपुत्र , दामोदार , यमुना , कावेरी , कृष्णा , सरस्वती , कोसी इत्यादि धार्मिक दृष्टि से काफी लोकप्रिय है। इसी से नदियों के धार्मिक अहमियत का पता लगाया जा सकता है। प्राचीन भारत की कई सभ्यताएं जैसे हड़प्पा संस्कृति और कई सभ्यताएं नदियों के निकट ही पनपी और विकसित हुयी।
नदियों के लाभों के बारें में हम बेहतर तरीके से जानते है। मगर यह जानकर भी मनुष्य उन्नति की आड़ में प्रकृति का ही सर्वनाश कर रहे है। इसके फलस्वरूप भयानक सुनामी और भूकंप भी आते है। नदियाँ जैसे क्रोधित हो जाती है और सब कुछ बहा कर ले जाती है। इससे भीषण तबाही मच जाती है।
नदियों में जब भयानक बाढ़ आती है तो सिर्फ मनुष्य ही नहीं बल्कि अन्य जीव जंतुओं की ज़िन्दगी पर भी असर पड़ता है। समस्त पशु पक्षी भी अपने रहने का स्थान खो बैठते है। वह बेजुबान होते है और अपनी तकलीफ भी बता नहीं पाते है। नदियों का रौद्र रूप सभी ने केदारनाथ में देखा था जो बड़ी दुखद घटना थी।
निष्कर्ष
प्रकृति और पर्यावरण के असंतुलन के कारण नदियाँ सभी प्राणियों का नुकसान कर बैठती है। मनुष्य को नदियों को प्रदूषित नहीं करना चाहिए। नदियों को साफ़ रखना हमारी ज़िम्मेदारी है। प्रकृति को सुन्दर बनाना होगा और प्राकृतिक संसाधनों यानी नदियों के जल का सीमित तरीके से उपयोग करना होगा। जल प्रदूषण पर अंकुश लगाना अनिवार्य हो गया है। नदियाँ हमे इतना कुछ देती है , हमे उन्हें हमेशा संरक्षित रखना होगा। जब पर्यावरण सुरक्षित होगा तो नदियाँ भी रौद्र रूप धारण नहीं करेगी। इन सब बातों का ध्यान हमे रखना होगा।