आज के आर्टिकल के जरिए हम आपके समक्ष विद्यार्थी और अनुशासन विषय पर निबंध प्रस्तुत कर रहे हैं। जो कि प्रत्येक कक्षा के विद्यार्थियों के लिए लाभप्रद रहेगा। तो आइए जानते हैं, विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध …
विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध (300 शब्दों में)
प्रस्तावना
अनुशासन प्रत्येक व्यक्ति के जीवन के लिए आवश्यक होता है। विद्यार्थी के जीवन में अनुशासन का एक महत्वपूर्ण उल्लेख मिलता है। विद्यार्थी के लिए अनुशासन का विशेष महत्व है।अनुशासन के जरिए ही विद्यार्थी अपने जीवन में सफलता हासिल कर सकता है। अनुशासन विद्यार्थी को सही मार्ग दिखाने में सहायता करता है। अनुशासन में अनु का अर्थ होता है पालन और शासन का अर्थ होता है नियम। संपूर्ण अर्थों में अनुशासन का अर्थ होता है नियमों का पालन करना। दूसरे अर्थ में हम कह सकते हैं कि जो व्यक्ति अपने जीवन में नियमों का पालन करके अपना जीवन बिताता है उसे अनुशासन कहा जाता है।
अनुशासन व विद्यार्थी
अनुशासन एक ऐसी कला है जो व्यक्ति को जीवन जीने का तरीका बताती है। बड़ों का सम्मान करना, माता-पिता का आदर करना, अध्यापकों का सम्मान करना, धैर्य रखना और लगातार परिश्रम करना यह सब अनुशासन की नीतियों के अंतर्गत आता है।हम कह सकते हैं कि अनुशासन भी दो प्रकार का होता है। एक वह जो हम अपने आपसे सीखते हैं उसे आत्मानुशासन कहते हैं। दूसरा वह जो किसी अन्य को देखकर सीखा जाता है उसे प्रेरित अनुशासन कहा जाता है।
विद्यार्थी के लिए अनुशासन का महत्व
विद्यार्थियों के लिए अनुशासन अत्यधिक जरूरी है। क्योंकि विद्यार्थी के जीवन की शुरुआत स्कूल से होती है और स्कूल से ही विद्यार्थी अनुशासन का पालन करता है तो वह अपने जीवन में सदा सफलता की ऊंचाइयों को छूता है। एक अनुशासित विद्यार्थी ही अच्छा और आदर्श नागरिक भी बन सकता है। विद्यार्थी और अनुशासन की पालना करता है तो विद्यार्थी के संस्कार की जड़ें मजबूत होती हैं और भविष्य में और पूरे जीवन व्यक्ति को एक आदर्श इंसान बनाए रखती हैं।
उपसंहार
इस प्रकार अनुशासन एक ऐसी क्रिया है जो अनुशासन में रहकर हर कार्य को करने के लिए हमें तैयार करती है। विद्यार्थियों के लिए और विद्यार्थी जीवन के लिए अनुशासन का होना बेहद जरूरी है। तभी वह एक अच्छे विद्यार्थी बन सकते हैं। इस प्रकार एक व्यक्ति को अपने जीवन में कभी अनुशासन को नहीं खोना चाहिए। अगर एक बार समय हाथ से निकल जाए तो वापस लौट कर नहीं आता है। इसी प्रकार विद्यार्थी जीवन भी आपका कभी वापस नहीं आएगा और इसी समय आप अनुशासन का अच्छी तरह से पालन करके अपने जीवन को उन्नत बना सकते हैं।
विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध (500 शब्दों में)
प्रस्तावना
अनुशासन दो शब्दों से मिलकर बना है अनु और शासन।अनु का अर्थ होता है पीछे या अनुकरण करना तथा शासन का अर्थ व्यवस्था या नियंत्रण करना होता है। इस प्रकार स्वयं को नियमानुसार ढालना या व्यवस्था का पालन करना या फिर अपने आचरण पर नियंत्रण रखना अनुशासन कहलाता है। अनुशासन को बड़ा होकर सीखना बहुत कठिन हो जाता है। इसी लिए आवश्यक है कि बच्चों को शुरुआती शिक्षा के साथ ही अनुशासन का पाठ भी पढ़ाया जाए। इस देश के नवल उत्थान के लिए अनुशासन विद्यार्थियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
अनुशासन का महत्व
अनुशासन का मनुष्य के जीवन में विशेष महत्व होता है। अनुशासन की आवश्यकता केवल विद्यार्थी जीवन के लिए ही नहीं बल्कि प्रत्येक मनुष्य के लिए भी होती है। विद्यार्थी जीवन में यह अत्यंत महत्वपूर्ण है। क्योंकि विद्यार्थी अनुशासित होता है तभी वह जीवन में उन्नति कर सकता है।अपना शारीरिक और बौद्धिक विकास भी वह अनुशासन के माध्यम से ही कर सकता है। हालांकि वर्तमान समय में जो विद्यार्थियों व अन्य लोगों में अनुशासनहीनता बढ़ रही है वह सोचनीय है।अनुशासन के बिना किसी भी व्यक्ति का जीवन पशु के समान हो जाता है। विद्यार्थी जीवन यह अनुशासित व्यक्ति का जीवन कहा जाता है।
विद्यार्थी में अनुशासनहीनता के कारण
आज बढ़ती हुई अनुशासनहीनता के अनेक कारण हैं। हमारी दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली, शिक्षकों एवं विद्यार्थियों के बीच मधुर संबंधों का अभाव, कर्मचारियों एवं अधिकारियों की स्वार्थी भावना, कर्तव्य निष्ठा का अभाव, राजनीति में भ्रष्टाचार व स्वार्थी प्रवृत्ति का बोलबाला आदि अनेक ऐसे कारण हैं जिनसे हमारे सारे समाज और राष्ट्र का वातावरण दूषित हो रहा है। इन सभी कारणों से हमारे छात्र तथा युवा अनुशासन रहित हो रहे हैं। वे स्वतंत्रता का गलत अर्थ मानकर अनुशासन का पालन नहीं कर रहे हैं।
अनुशासन में सुधार हेतु सुझाव
प्रत्येक नागरिक में कर्तव्य भागना का जागरण, अपनों से बड़ों के प्रति आदर भावना, अनुशासन के विकास हेतु यह महत्वपूर्ण सुझाव है। हमें महापुरुषों एवं अपने आदर्श व्यक्तित्व के चरित्र को आदर्श मानकर उनका अनुकरण करना चाहिए।समाज के परिवारजनों को भी अपने बच्चों को अनुशासन में रहने की शिक्षा देनी चाहिए। तभी यह समाज बदल पाएगा और अनुशासन हर एक विद्यार्थी के जीवन में रह पाएगा।
निष्कर्ष
अनुशासन एक ऐसी प्रवृत्ति या संस्कार है जिसे अपनाकर प्रत्येक व्यक्ति अपना जीवन सफल बना सकता है। अनुशासित रहकर प्रत्येक छात्र या प्रत्येक कर्मचारी या प्रत्येक नागरिक अपनी तथा देश की उन्नति में सहायक सिद्ध हो सकता है। हम कह सकते हैं त्रुटिपूर्ण शिक्षा प्रणाली और पश्चिमी सभ्यता की चकाचौंध विद्यार्थियों में अनुशासनहीनता को जन्म देती है। ऐसे में विद्यार्थियों को सही मार्ग दिखाने का कार्य शिक्षक और परिवार जन ही कर सकते हैं।
विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध (600 शब्दों में)
प्रस्तावना
विद्यार्थी जीवन मनुष्य के जीवन का स्वर्णकाल होता है। इस समय शरीर में नई शक्ति का संचार होता है और मन में सुहाने सपने होते हैं। यह समय मन आशाओं के झूले जुड़ता है और संसार एक चिंताओं से मुक्त रहता है। जीवन का सर्वांगीण विकास करना ही विद्यार्थी जीवन का लक्ष्य होता है। विद्यार्थी जीवन में चरित्र निर्माण का विशेष महत्व होता है। अनुशासन, आज्ञा का पालन, संयम, नियमित्तता तथा आत्मनिर्भरता, कर्तव्यनिष्ठा, स्वच्छता, परिश्रम, सभ्यता आदि विद्यार्थी जीवन में भली-भांति सम्मिलित होने चाहिए। अनुशासन के लिए विद्यार्थी को इसलिए चुना गया है क्योंकि एक विद्यार्थी ही भविष्य का राष्ट्र का उत्थान कर सकता है।
अर्थ तथा अभिप्राय
विद्यार्थी का अर्थ होता है विद्या प्राप्त करने वाला विद्यार्थी। इसके अतिरिक्त अनुशासन शब्द से तात्पर्य होता है नियमों के अनुसार कार्य करना।विद्यार्थी जीवन में नियमों के अनुसार कार्य करना अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है। यही कारण है कि विद्यार्थी और अनुशासन एक दूसरे से संबंधित माने जाते हैं। अनुशासन का अर्थ तभी सिद्ध हो सकता है जब विद्यार्थी उसे अपने जीवन में उतारता है।इसीलिए इसके अर्थ को समझना ही काफी नहीं है बल्कि इसे अपने जीवन में उतारना भी एक विद्यार्थी का कर्तव्य है।
अनुशासन के प्रकार
अनुशासन की दो प्रकार का होता है। एक अनुशासन वह होता है जो किसी के ऊपर जबरदस्ती थोपा गया हो उसे बाहरी अनुशासन कहते हैं। इसके अतिरिक्त दूसरा अनुशासन वह होता है जो खुद की इच्छा से किया गया हो उसे आंतरिक अनुशासन कहा जाता है। आंतरिक अनुशासन मनुष्य मन से करता है। इस अनुशासन में कोई बोझ नहीं होता है और सभी नियमों का मन से पालन किया जाता है। इन दोनों अनुशासन के प्रकारों में आंतरिक अनुशासन सबसे अधिक प्रभावशाली और महत्वपूर्ण माना जाता है। जब आप अपने मन से अनुशासन की प्रक्रिया में ढलते हैं तो आपका जीवन उज्जवल और लक्ष्य प्रेरित बन जाता है।
विद्यार्थी और अनुशासन का संबंध
विद्यार्थियों में अनुशासन का होना अनिवार्य है। इसके अभाव में विद्यार्थी अपने लक्ष्य पथ से भटक सकते हैं। विद्यार्थी जीवन व्यक्ति के जीवन का वह उषाकाल होता है, जहां से ज्ञान की रश्मियां फुटकर संपूर्ण जीवन को अलौकिक बनाती हैं। जीवन के निर्माण काल में अगर अनुशासनहीनता हो तो भावी जीवन के रंगीन सपने पूरे नहीं हो सकते हैं। यदि विद्यार्थी अपने जीवन में लक्ष्य को प्राप्त करना चाहता है तो बेशक उसे अनुशासन का पालन करना आवश्यक है। अनुशासन के साथ वह स्थाई हो जाएगा और अपने जीवन के लक्ष्य के प्रति निश्चित रहेगा।
अनुशासनहीनता के बढ़ते कारण
आज विद्यार्थी जीवन की जो दशा है उसके लिए समाज का कलुषित वातावरण उत्तरदाई है। विद्यार्थी जन्म से ही अनुशासन हीन नहीं होते हैं। वे अपने परिवेश के अनुसार ही अपने स्वभाव को बदलते हैं। आज की शिक्षा प्रणाली जीवन मूल्यों की स्थापना के लिए प्रयास नहीं करती है।अध्यापकों की आचरण का भी विद्यार्थियों पर विशेष प्रभाव पड़ता है। वर्तमान समय में परिवार हो या विद्यालय अनुशासनहीनता बड़ों से ही छोटों के अंदर आती है। इस समाज में अनुशासनहीनता बड़ों से ही बच्चों के अंदर उपजी है। इसलिए इस अनुशासनहीनता का दोष सिर्फ विद्यार्थियों के सिर मड़ने से कुछ नहीं होगा।
निष्कर्ष
वर्तमान समय में विद्यार्थियों की बढ़ती अनुशासनहीनता देश के भविष्य के लिए घातक सिद्ध हो सकती है। इससे सामाजिक शांति भंग हो सकती है और अपराध मुल्क घटनाओं में वृद्धि भी होगी। दिशाहीन युवा समाज अराजकता पर उतर आएगा। अतः विद्यार्थियों को अनुशासित करने के लिए गंभीर कदम उठाने होंगे। स्वयं विद्यार्थियों को अनुशासन की आवश्यकता समझते हुए सार्थक प्रयास करना जरूरी है। एक विद्यार्थी जब स्वयं अनुशासन का पालन करेगा तो उसका जीवन सफलता की ओर अग्रसर हो जाएगा। इसीलिए एक समझदार व्यक्ति अपने विद्यार्थी को और अपने छोटों को अनुशासन का पालन करना सिखाता है। साथ ही स्वयं भी अनुशासन की नीतियों पर चलता है।