बढ़ते पेट्रोल डीजल के दाम पर निबंध

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दोस्तों, हम सभी जानते हैं कि भारत में पेट्रोल और डीजल के दामों पर दिन प्रतिदिन बढ़ोतरी हो रही है जिससे आम जनता बेहद परेशान और समस्या से घिर चुकी है। ऑयल मार्केटिंग कंपनियों द्वारा संशोधित किए गए दाम रिटेलर्स द्वारा हर दिन अपडेट कर दिए जाते हैं। भारत में पेट्रोल और डीजल के दाम अब तक एक सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गए, यही कारण है कि आज हम अपने लेख में “बढ़ते पेट्रोल डीजल के दाम” विषय पर निबंध लेकर प्रस्तुत हुए हैं…..

इस निबंध के माध्यम से हम जानेंगे कि भारत में पेट्रोल और डीजल के दाम क्यों और किस कारण से बढ़ रहे हैं?

प्रस्तावना

पेट्रोल, डीजल यह दोनों जीवाश्म ईंधन हैं। जिनसे महीन कण (पीएम, 2.5 एवं 10) नाइट्रोजन-ऑक्साइड, सल्फर डायऑक्साइड तथा कार्बन मोनो एवं डायऑक्साइड उत्सर्जित होती है। इन दोनों जीवाश्म ईंधन के माध्यम से गाड़ियां सड़कों पर चल पाती है। आज के समय में हर दूसरे व्यक्ति के पास पेट्रोल और डीजल से चलने वाली गाड़ियां मौजूद हैं। ऐसे में पेट्रोल और डीजल दोनों की अनिवार्यता भारत में सर्वाधिक बढ़ गई है। लेकिन पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दामों से सामान्य जनता की जेब पर गहरी चोट पढ़ रही है। जिसके चलते देश में लगातार पेट्रोल व डीजल के बढ़ते दामों का बहिष्कार जारी है।

डीजल और पेट्रोल के बढ़ते दाम किस प्रकार निर्धारित किए जाते हैं?

देशभर में डीजल व पेट्रोल के बढ़ते दामों से जनता का बुरा हाल हो चुका है। जहां पहले 2014-15 में पेट्रोल ₹67 प्रति लीटर और डीजल ₹50 प्रति लीटर हुआ करता था। वहीं आज यह आंकड़ा 100 से पार जा चुका है। देश के कई शहरों में पेट्रोल और डीजल के दाम 100 के पार जा चुके हैं। दरअसल, पेट्रोल-डीजल की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत, स्थानीय करों की अत्यधिक वसूली, राज्य द्वारा वसूले जाने वाला कर अथवा वैट और सरकारी तेल कंपनियों द्वारा बदलने वाले कीमतों के रेट द्वारा तय होती है।

पेट्रोल और डीजल के दामों में बढ़ोतरी का प्रभाव

  1. ईंधन का खर्च – पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ने से दैनिक आवश्यकताओं हेतु प्रयोग किए जाने वाले ईंधनों का मूल्य बढ़ जाता है। जिसका सीधा असर आम जनता की आमदनी पर पड़ता है।
  2. वस्तुओं में वृद्धि – पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ने से माल वाहन का किराया भी बढ़ जाता है। जिससे शहरों, राज्यों के अंतर्गत सब्जियों फलों इत्यादि का दाम भी बढ़ जाता है।
  3. विदेश यात्रा, शिक्षा, व्यापार खर्च में वृद्धि – डीजल व पेट्रोल के दामों में वृद्धि होने से परिवहन संबंधित खर्चे बढ़ जाते हैं जिसके चलते यह अतिरिक्त खर्चे भी प्रभावित होते हैं।
  4. तेल की पहुंच मुश्किल – बढ़ते पेट्रोल और डीजल के दामों के कारण सामान्य जनता तक तेल की पहुंच मुश्किल हो पाती है।
  5. परिवहन का अत्यधिक खर्चा – पेट्रोल व डीजल के बढ़ते दामों से परिवहन का खर्चा भी अत्यधिक बढ़ जाता है। किसी भी वाहन का किराया आंसमा की ऊंचाइयां छूने लगता है। जिसका सीधा प्रभाव जनता पर पड़ता है।

समस्या का संभावित हल क्या हो सकता है?

पूरा देश पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दामों से परेशान हैं, ऐसे में कुछ संभावित हल के माध्यम से पेट्रोल और डीजल के दामों में कमी लाई जा सकती है।
• सरकार द्वारा पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी से बाहर रखा गया है, यदि उस पर जीएसटी का 28% सर्वोच्च स्तर लागू किया जाए तो पेट्रोल के दामों पर कमी आ सकती है।
• गैर पेट्रोलियम वाहनों को बढ़ावा देकर भी पेट्रोल और डीजल के दामों पर रोक लगाई जा सकती है और इसके साथ पर्यावरण को भी शुद्ध किया जा सकता है।
• नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोतों पर काम पेट्रोलियम पदार्थों पर हमारी निर्भरता को कम कर सकता है। जिसके चलते सरकार को पेट्रोल के दाम में निसंदेह कमी करनी पड़ सकती है।
• इसके अलावा भी कई विकल्प हैं जिनकी माध्यम से पेट्रोल व डीजल के दामों पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

निष्कर्ष

भारत देश में लगातार बढ़ती महंगाई से देश का हर एक नागरिक बदहाल है, ऐसे में पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दामों से हर किसी का आर्थिक जीवन अस्त-व्यस्त हो चुका है। आज के दौर में पेट्रोल और डीजल दोनों व्यक्ति की रोजमर्रा की आवश्यकताओं में से एक बन चुके हैं। इनके बढ़ते दामों का प्रभाव मध्यम वर्ग के परिवारों पर अधिक पड़ता है। ऐसे में सरकार को जल्द से जल्द पेट्रोल और डीजल के दामों में गिरावट करनी चाहिए। जिससे आम जनता को राहत मिल सके।

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