बिजली संकट पर निबंध

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बिजली की समस्या देश के कोने-कोने में है। हमारे देश को आजाद हुए 75 साल हो गए है, लेकिन बिजली संकट की समस्या हमारे जीवन से नहीं गई। सरकारे आती है और फिर चलती जाती है, लेकिन बिजली संकट ज्यूं का त्यूं ही रहता है। आज हम इस लेख में बिजली संकट पर निबंध लिखेंगे और जानेंगे देश में बिजली का क्या हाल है…

बिजली संकट

देश में बिजली संकट के पीछे की बड़ी वजह कोयले की कमी है। बीते वर्ष अक्टूबर माह में भी ऐसी स्थिति पैदा हो गई थी कि दिल्ली, पंजाब, आंध्र प्रदेश समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर कोयले की कमी दूर करने की मांग की थी। देश में लगभग 51 फीसद बिजली कोयले से चलने वाले डेढ़ 100 पावर प्लांट्स में बनती है। इनमें से 81 कोयले की कमी से जूझ रहे हैं। यही मुख्य कारण है कि यूपी से लेकर राजस्थान जैसे राज्यों में बड़े पैमाने बिजली कटौती लगातार होती रहती है।

बिजली संकट की समस्या के कारण

1.            कोयले की कमी

2.            बिजली की कमी

3.            आर्थिक गतिविधियों का पुनरुद्धार

4.            ताप विद्युत संयंत्रों की अक्षमता

5.            बिजली क्षेत्र में नकदी प्रवाह की समस्या

6.            डिस्कॉम की हानियां

7.            विभिन्न संरचनात्मक दोष

कोयले की कमी

कोयला भंडार मात्रात्मक और गुणात्मक रूप से बेकार हैं। कोयले की कमी बिजली उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है, इसलिए आर्थिक विकास को प्रतिबंधित करती है।

बिजली की कमी

भारत में बिजली के उत्पादन और वितरण में भारी कमी है। बिजली की कमी से औद्योगिक के साथ-साथ कृषि उत्पादन भी गंभीर रूप से प्रभावित होता है। भारत कोयला संकट से जूझ रहा है, क्योंकि वह कोयले की भारी कमी का सामना कर रहा है। गैर-पिथेड संयंत्रों या कोयला खदानों से दूर स्थित संयंत्रों में कोयले की कमी अधिक तीव्र है।

आर्थिक गतिविधियों का पुनरुद्धार

कोरोना वायरस के बाद आर्थिक गतिविधियों के पुनरुद्धार और हीट वेव्स ने बिजली की मांग में वृद्धि कर दी। बिजली संकट का यह भी एक मुख्य कारण है।

भारत में बिजली के लिए कोयले पर निर्भरता

1.            साल 2021, सितंबर तक की स्थिति के अनुसार, पूरे देश की कुल स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता में ताप विद्युत की 60% तक हिस्सेदारी रही थी।

2.            साल 2022, मार्च तक की स्थिति के अनुसार, कोयला आधारित बिजली उत्पादन भारत की कुल बिजली क्षमता में लगभग 53% की हिस्सेदारी रही है।

3.            भारत ताप विद्युत हेतु कोयले की अपनी आवश्यकताओं का लगभग 20% आयात करता है।

4.            ऊर्जा, पर्यावरण और जल परिषद के अनुसार, उत्पादन का एक विषम भाग पुराने अक्षम संयंत्रों से प्राप्त होता है, जबकि नए और कुशल संयंत्र अनुकूल कोयला आपूर्ति अनुबंधों या फिर बिजली खरीद समझौतों के अभाव में निष्क्रिय बने हुए हैं।

बिजली संकट से भविष्य पर क्या होगा असर

आजकल बिजली संकट का प्रभाव समाज के सभी वर्गों पर पड़ रहा है। कोयले और तेल की कमी से किसानों, कारखानों से लेकर घरेलू उपयोग के लिए प्रयोग हो रही बिजली नियमित मिलना कठिन हो गई है। खनिज तेल की कमी और उसके मूल्यों में अत्यधिक वृद्धि के कारण हमें सौर-ऊर्जा, परमाणु-ऊर्जा, तप्तकुंड-ऊर्जा, ज्वार-भाटा और पवन-ऊर्जा की ओर ध्यान देना होगा, क्योंकि ऊर्जा के ये स्रोत सस्ते है। अगर हमने ऐसा नहीं किया तो भविष्य में हमे बिजली देखने तक को नहीं नसिब होगी। बिजली हमारी मूलभूत आवश्यकता है, मगर जिस रफ्तार से इसकी खपत हो रही है, उस हिसाब लग रहा है कि भविष्य में हम इससे वंचित हो सकते हैं।

बिजली संकट से बचाने के उपाय

बिजली संकट से बचना है, तो इन उपाय को जरूर करें।

1.            हम अपनी रसोई में इंडक्सन कूकर का प्रयोग करने की जगह गैस का उपयोग करेंगे, तो बिजली को बचाया जा सकता है।

2.            घर में ज्यादा वाट के बड़े बल्ब का उपयोग न करके कम वाट की एलईडी की यूज करें।

3.            जब-जब फ्रीज की जरूरत हो तब ही फ्रीज का प्रयोग करें।

4.            टीवी को जरूरत के अनुसार ही चलाए, बेवजह टीवी चालू कर के ना छोड़े।

5.            अगर घर में कपड़े सुखाने है, तो खुली जगह का प्रयोग करें, जहां से धूप आए। हो सके तो इलेक्ट्रॉनिक ड्राईर का उपयोग कम करे। ऐसा करने से बिजली की खपत कम होगी।

6.            बिजली बचाने के लिए जितना हो सके, उतना पावर स्ट्रिप्स का उपयोग करें। ऐसा करने से बिजली संकट से हमे निजात मिल सकती है।

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