प्रस्तावना
भारतवर्ष में कई प्रकार के त्योहार मनाए जाते हैं। जिनमें सिखों की प्रमुख गुरु नानक जयंती पूरे विश्व में पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। यह त्योहार अक्टूबर से नवंबर के महीनों में आता है। यह त्योहार सिखों के लिए कई अन्य समारोहों के समान है। गुरु नानक जयंती त्योहार प्रभात फेरी या गुरुद्वारों में जुलूस के साथ शुरू होता है।
भारत में, सिख समुदाय को चौथी सबसे बड़ी धार्मिक आबादी माना जाता है। साथ ही, दुनिया की बात करें तो यह नौवीं सबसे बड़ी आबादी है। इस प्रकार, गुरु नानक जयंती एक ऐसा त्योहार है जो दुनिया भर में व्यापक रूप से मनाया जाता है। यह लगातार तीन दिनों तक मनाया जाता है। वे इसे बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं।
गुरु नानक देव
गुरु नानक देव का जन्म 15 अप्रैल को हुआ था। उनकी विचारधाराएं और शिक्षाएं सिखों की पवित्र पुस्तकों में भरी हुई हैं। उनका उपदेश एक ईश्वर पर निर्भर करता है और ईश्वर सभी को समानता के साथ प्यार करता है। 18 वर्ष की आयु में उनका विवाह माता सुलखनी से हुआ था। उन्हें उदासी धर्म के संस्थापक श्री चंद नाम का एक पुत्र मिला। उनके अनुयायियों को सिख लोग के रूप में जाना जाता है। जो लोग अपने गुरु के जन्मदिन को गुरुपर्व के रूप में मनाते हैं।
बचपन से ही नानक देव का रुझान आध्यात्मिक जीवन की तरफ रहा है। ऐसे में जब वह प्रारंभिक शिक्षा के लिए स्कूल गए तो मात्र 18 वर्ष की उम्र में उन्होंने स्कूल छोड़ दिया। साथ ही अपना पूरा जीवन उन्होंने ईश्वर के प्रति समर्पित कर दिया। नानक देव सिख धर्म के संस्थापक थे और एक धार्मिक शिक्षक और आध्यात्मिक उपचारक थे। उनके पढ़ाने और जीवन जीने का तरीका दुनिया भर के लिए प्रेरणादायी है।
गुरु नानक देव कौन थे?
गुरु नानक देव सिख धर्म के पहले गुरु माने जाता हैं। जिनका जन्म कार्तिक पूर्णिमा के दिन 1469 में हुआ था। गुरु नानक देव को संत, धर्म गुरु और गुरुदेव नामों से पुकारा जाता है। उनके जन्मदिवस को सिख धर्म में गुरु नानक देव की जयंती के रूप में मनाया जाता है। उनकी विचारधाराएं और शिक्षाएं सिखों की पवित्र पुस्तकों में भरी हुई हैं।
उनका उपदेश एक ईश्वर पर निर्भर करता है और ईश्वर सभी को समानता के साथ प्यार करता है। 18 वर्ष की आयु में उनका विवाह माता सुलखनी से हुआ था। उन्हें उदासी धर्म के संस्थापक श्री चंद नाम का एक पुत्र मिला। उनके अनुयायियों को सिख लोग के रूप में जाना जाता है। जो लोग अपने गुरु के जन्मदिन को गुरुपर्व अथवा प्रकाश पर्व के रूप में मनाते हैं।
गुरु नानक देव जयंती क्यों और कैसे मानते हैं?
गुरु नानक जयंती पूरे विश्व में पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। यह त्योहार अक्टूबर से नवंबर के महीनों में आता है। यह त्योहार सिखों के लिए कई अन्य समारोहों के समान माना। गुरु नानक जयंती त्योहार प्रभात फेरी या गुरुद्वारों में जुलूस के साथ शुरू होता है।
भारत में, सिख समुदाय को चौथी सबसे बड़ी धार्मिक आबादी माना जाता है। साथ ही, दुनिया की बात करें तो यह नौवीं सबसे बड़ी आबादी है। इस प्रकार, गुरु नानक जयंती एक ऐसा त्योहार है जो दुनिया भर में व्यापक रूप से मनाया जाता है। यह लगातार तीन दिनों तक मनाया जाता है। वे इसे बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं।
गुरु नानक जयंती के दिन सिख लोग नए कपड़े पहनकर गुरुद्वारों में जाते हैं। त्योहार की सुबह प्रभात फेरी से शुरू होती है, उसके बाद जुलूस और भजन गाते हैं। साथ ही सिख धर्म के लोग गुरुद्वारों में प्रार्थना करते हैं और गुरु नानक देव को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। इस दिन, सिखों की पवित्र पुस्तक गुरु ग्रंथ साहिब को गुरुद्वारों में लगातार पढ़ा जाता है। नानक देव ने सदैव एक ईश्वर की उपासना करने का विचार किया गया।
गुरु नानक जयंती का उत्साह
गुरु नानक जयंती के दिन सिख लोग नए कपड़े पहनकर गुरुद्वारों में जाते हैं। त्योहार की सुबह प्रभात फेरी से शुरू होती है, उसके बाद जुलूस और भजन गाते हैं। साथ ही सिख धर्म के लोग गुरुद्वारों में प्रार्थना करते हैं और गुरु नानक देव को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। इस दिन, सिखों की पवित्र पुस्तक गुरु ग्रंथ साहिब को गुरुद्वारों में लगातार पढ़ा जाता है। नानक देव ने सदैव एक ईश्वर की उपासना करने का विचार किया गया।
प्रकाश उत्सव और गुरु पर्व क्या होता है?
सिख समुदाय के सबसे बड़े पर्व के रूप में गुरु नानक देव जी का प्रकाश पर्व मनाया जाता है। दरअसल भारतवर्ष में गुरु नानक देव जी की जयंती को प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है। प्रकाश पर्व का मतलब है मन की बुराइयों को दूर करके सत्य और इमानदारी की ओर प्रकाशित करना। इस दिवस पर गुरु नानक देव की सतसंगत के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया जाता है। श्री गुरु नानक देव एक महान युग पुरुष थे और उनका पूरा जीवन समाज की बुराइयों को दूर करने में समर्पित कर दिया गया। यही कारण है कि उनकी जयंती को समाज में प्रकाश उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
गुरु नानक देव जी के जीवन से सीख
गुरु नानक देव जी के जीवन में कई ऐसे प्रसंग हुए जो सभी को एक अनमोल सीख देते हैं। इन्हीं प्रसंगों में से एक बार की बात है कि गुरु नानक देव के एक मुसलमान चेले मरदाना ने उनसे कहा कि वह मक्का मदीना जाना चाहता है। लेकिन उसका यह मानना था कि मक्का वही जा सकता है जो एक सच्चा मुसलमान कहलाता है। कुछ ही दिनों बाद गुरु नानक और उनके चेले ने मक्का की यात्रा शुरू कर दी। यात्रा में गुरु नानक देव काफी थक गए तो आराम करने के लिए आरामगाह जाकर लेट गए।
उस जगह पर काम करने वाला एक खादिम गुरुनानक को देखकर काफी गुस्सा हो गया। उसने गुरु नानक से कहा कि, आपको पता नहीं है कि खुदा की और पांव रखकर नहीं सोते हैं? ऐसे में गुरु नानक बोले, भाई मैं बहुत थक गया हूं मुझे आराम करने दो। आप खुद ही मेरे पास उस दिशा में कर दो जिधर खुदा ना हो।
तब उस खादिम को इस बात का एहसास हुआ कि खुदा तो हर तरफ है और उसने गुरु नानक देव से माफी मांग ली। गुरु नानक देव उसे माफ करते हुए मुस्कुराते हुए बोले, खुदा दिशाओं में बास नहीं करते वह तो दिलों में राज करते हैं, अच्छे कर्म कर खुदा को दिल में रखो यही खुदा का सच्चा सदका है।
निष्कर्ष
सिख लोगों के अनुसार, गुरु एक आध्यात्मिक आत्मा है। भारत और विदेशों में सभी सिखों द्वारा गुरु नानक देव की पूजा की जाती है। 22 सितंबर, 1539 को गुरु नानक देव की मृत्यु हो गई। लेकिन उनकी विचारधारा ने आज भी सिख धर्म की रक्षा कर रही है। यह हर सिख के लिए जीवन का एक आवश्यक दिन है। लोग गुरुद्वारों में प्रसाद तैयार करते हैं या जरूरतमंद लोगों को कुछ खाना खिलाते हैं। इस प्रकार गुरु नानक जयंती भारत ही नहीं विश्व के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।