सूखा/अकाल पर निबंध (प्राकृतिक आपदा)

3.1/5 - (7 votes)

सूखा /अकाल पर निबंध-Essay on Drought in Hindi

जब किसी क्षेत्र में लम्बे वक़्त तक बारिश नहीं होती है वहां अकाल  यानी सूखे की स्थिति उतपन्न हो जाती है। संसार के कुछ इलाको में महीने और सम्पूर्ण मौसम में बरसात की एक बूंद तक नहीं गिरती है।  उसे सूखा कहते है। लोगो को पानी मिलता है और ना भोजन , उनकी हालत दयनीय हो जाती है। फसले खराब हो जाती है।  आर्थिक नुकसान , दिन प्रतिदिन वस्तुओं का मूल्य बढ़ना जैसी भयावह स्थिति बन जाती है।  गरीब किसानो को ऐसे नज़ारे देखने पढ़ते है।  भुखमरी जैसी हालत बन जाती है। मनुष्य ने औद्योगीकरण के चक्कर में पर्यावरण का सर्वनाश किया है। अब ग्लोबल वार्मिंग जैसी गतिविधि के कारण , जलवायु में बदलाव हो रहे है।  कहीं अधिक वर्षा तो कहीं पानी की एक बूंद भी लोगो को नसीब नहीं होती है।

ग्लोबल वार्मिंग की वजह से पृथ्वी निरंतर गर्म हो रही है।  अतिरिक्त ग्रीन हाउस गैसेस पृथ्वी की गर्मी को बाहर जाने नहीं देती है।  यही वजह है कि पृथ्वी का तापमान विकसित हो रहा है।  वाष्पीकरण भी बढ़ रहा है। इतनी गर्मी पृथ्वी पर कहर बरसा रही है। नदियों और पोखरों का जल सूख रहा है।  जन जीवन बुरी तरीके से प्रभावित और लाचार हो गए   है। सूखा के कई प्रकार है जैसे हयड्रोलॉजिकल अकाल  , मृदा नमि अकाल  , कृषि संबंधित अकाल  और मौसम संबंधित अकाल  |

भोजन ना मिलने के कारण अकाल  ग्रस्त जगहों पर लोगो की मौत हो रही है। हालांकि ऐसे जगहों पर देश की सरकार ने अकाल  राहत योजनाएं आरम्भ की है। अब भी बहुत कुछ सरकार को करने की ज़रूरत है क्यों कि इतना काफी नहीं है। पानी का संचय करना , वर्षा जल संचयन , वनो की अंधाधुंध कटाई पर अंकुश , वृक्षारोपण जैसे उपाय करने की ज़रूरत है। यह उपाय अकाल  को रोकने के लिए आवश्यक है। हम सब को एक जुट होकर इन सभी आवश्यक बिंदुओं पर गौर करना होगा और उनका पालन करना होगा।  ऐसे कदम अकाल  जैसी स्थिति को रोकने में मदद कर सकते है।

अनावृष्टि किसानो के लिए अभिशाप से कम नहीं है। सूखा ना केवल फसलों को तबाह कर देता है बल्कि निरंतर अनावृष्टि से मिटटी की उर्वरता कम हो जाती है। निरंतर वनो और पेड़ो की कटाई , वर्षा को कम करती   है। अगर वर्षा नहीं होगी और सूरज का लगातार ताप अकाल  जैसी भयावह स्थिति को न्योता देगा । मिटटी में पानी धारण करने की क्षमता को कम करता है।  इससे वर्षा कम होती है। गर्मियों के मौसम में कई राज्यों के जिलों और गाँव में सूखे की समस्या प्रति वर्ष देखी गयी है। ऐसे स्थानों पर लोग एक बूंद पानी के लिए बुरी तरह से तरसते है। सूखे की भयंकर समस्या से लोग बेहाल रहते है। गाँव में लोग कई किलोमीटर चलकर पानी की तलाश में जाते है और मुश्किल से ही उन्हें थोड़ा पानी मिलता है। लगातार अकाल  के कारण , मिटटी अपनी नमी सम्पूर्ण रूप से खो देती है।

देश की सरकार कई जगहों पर अकाल  की स्थिति से निपटने के लिए पानी के टैंकर भेजती है। कुछ बड़े बड़े नगरों में भी गर्मी के वक़्त पानी की कमी देखी गयी है।  दिन प्रतिदिन बढ़ती जनसँख्या भी इसका कारण है कि सरकार जल आपूर्ति को पूरी नहीं कर पा रहा है। जब पानी के टैंकर निर्दिष्ट जगह पर पहुँचते है तब  जन सैलाब उमड़ पड़ता   है। लोगो की लम्बी कतारे पानी के टैंकर के  समक्ष देखी  जाती  है। पानी की परेशानी की वजह से लोगो में बहस और झगड़ा छिड़  जाता है। अकाल  जैसी परिस्थितियों के कारण लोग बाहर नहीं निकलते है। लोगो को जहाँ निशुल्क पानी उपलब्ध होता था , वहां कुछ शहरों में लोग पानी खरीदने को विवश है।  जैसी ही गर्मी अपना रौद्र रूप धारण करती है , सूखे की समस्या कई स्थानों पर  शुरू हो जाती है।

लोगो की जिन्दगी कठिनाईयों में घिर गयी है। जैसे की हम जानते  है वनो की वजह से वर्षा होती है।  मनुष्य अपने स्वार्थपरता के कारण वृक्षों की कटाई कर रहा है।  जिससे उसे लकड़ी प्राप्त हो रही है  और वह विभिन्न प्रकार की सामग्री बनाने में उसका उपयोग कर रहा है। वह खुद अपने पैरो पर कुल्हाड़ी मार रहा है और इन अकाल  जैसी प्राकृतिक आपदाओं को निमंत्रण दे रहा है। सूखे जैसी समस्याओं को मनुष्य ने ही पैदा किया है। सरकार और हमे इन परेशानियों के विरुद्ध जागरूक होने की आवश्यकता है। अन्यथा यह समस्या आगे चलकर एक और बड़ी मुसीबत को जन्म दे सकता है। हमे जल की एहमियत समझनी होगी।  जल को हमे बर्बाद नहीं करना चाहिए। जल का सदुपयोग मनुष्य को अकाल  जैसी परिस्थितियों से मुक्ति दिला सकती है। जल बहुमूल्य साधन है। सरकार के इस मिशन में हम सबको साथ देना होगा।

अकाल  की वजह से दुष्प्रभाव लोगो को झेलने पड़ते है। वर्षा की प्रति वर्ष गिरावट के कारण फसले और अनाज की उपज कम होती है। अनाज की अत्यधिक कमी के कारण , जाहिर है दाम बढ़ने लगते है। फल सब्ज़ियों के दाम भी बढ़ने लगते है जिसके कारण आम लोगो को इसकी मार झेलनी पड़ती है। जनसंख्या अधिक होने के कारण खाद्य सामग्रियों की मांग बढ़ जाती है। महंगाई की समस्या का दौर चलता रहता है। सूखे की वजह से जीव जंतुओं को पानी नहीं मिल पाता है। इससे उन बेजुबान पशु पक्षियों की मौत हो जाती है।

अकाल  की समस्या से जूझने के लिए हमे जल संग्रह करना बेहद आवश्यक है।  हमे रेन वाटर हार्वेस्टिंग जैसी तकनीक का इस्तेमाल करते हुए वर्षा के पानी को एक जगह संग्रह करना चाहिए। इसका उपयोग भी हमे आवश्यक चीज़ो में करनी चाहिए ताकि पानी बर्बाद ना हो।

निष्कर्ष

सूखे की स्थिति मनुष्य को जल का असली  मोल समझाती है। जब पानी की एक बूँद नसीब नहीं होती तो मनुष्य बेहद असहाय हो जाता है। समय रहते इसका निवारण करना ज़रूरी है। सूखे जैसी समस्या को दूर करने के लिए हमे एक जुट होना पड़ेगा। सूखे जैसी समस्या को दूर करने के लिए सख्त कदम उठाने होंगे। विभिन्न देशो के सरकार को एक साथ मिलकर इस वैश्विक समस्या से निपटना होगा क्यूंकि अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है।

Leave a Comment