संविदात्मक सरकारी नौकरी अच्छी या बुरी पर निबंध?

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नौकरी सरकारी हो या प्राइवेट हर किसी को नौकरी पसंद है। मगर आधे से ज्यादा लोग सरकारी नौकरियों के सपने देखते हैं, चाहे वह सामाजिक भलाई में अपना योगदान देने के लिए हो या फिर अच्छी सैलरी पाने के लिए हो। सरकारी नौकरी करने के लिए आप नीति निर्धारण, संचार, लोक प्रशासन, कानून और व्यवस्था, टैक्स और रेवेन्यू, इंजीनियरिंग, सांख्यिकी और वैज्ञानिक आदि जैसे क्षेत्रों में से कोई भी स्ट्रीम चुन सकते हैं, जिसमें आपको विभिन्न पदों पर अच्छी सैलरी मिल सकती है। आज हम संविदात्मक सरकारी नौकरी अच्छी या बुरी पर निबंध लिखेंगे।

संविदात्मक सरकारी नौकरी क्या है?

यह एक कानूनी प्रक्रिया है, जिसमें कानून के मुताबिक, कुछ तथ्य अन्तर्निहित है। इसे और अच्छे से समझा जाए, तो हम कह सकते हैं कि दो या दो से अधिक व्यक्तियों या पक्षों के बीच उनकी इच्छा के अनुरूप ऐसा समझौता जिसके तहत किसी पक्ष द्वारा प्रतिज्ञात कृत्य, व्यवहार या क्रिया के बदले दूसरे पक्ष पर कुछ देने या करने या सहने या सहमति या कोई विशिष्ट प्रकार का लेन-देन करने का दायित्व हो, जो सम्बंधित पक्षों के मध्य उस विषय के संबंध में कानूनी सम्बन्ध स्थापित करने के उद्देश्य से किया गया हो, उसको संविदा कहा जाता है। बता दें, सरकार ने संविदा के सम्बन्ध में नियम कानून भी पारित किए हैं, जिसे भारतीय संविदा अधिनियम, 1872 के नाम से जाना जाता है।


संविदा पर चयन किस प्रकार होता है?

स्थायी सरकारी नौकरियों के लिए संबंधित डिपार्टमेंट द्वारा अधिसूचना जारी की जाती है। ठीक वैसे ही कॉन्ट्रैक्ट जॉब्स के लिए भी सरकारी संगठन समय-समय पर अधिसूचना जारी करते हैं। जिसमें संविदा की नौकरियों में भी सरकारी नौकरियों की तरह विभाग के अनुरूप अलग-अलग पात्रता मानदण्ड, आयु सीमा, सैलरी इत्यादि का विचार किया जाता है।

संविदा नौकरी की मुख्य बातें

इस प्रकार की नौकरी में व्यक्ति को एक निश्चित वेतन मिलता है।

संविदा की नौकरी में व्यक्ति के वेतन में किसी भी प्रकार की बढ़ोतरी नहीं होती है।

इस तरह की नौकरी में व्यक्ति को कुछ सेवा शर्तों के साथ नौकरी पर रखा जाता है। यदि आप उन शर्तों को नौकरी के दौरान पूरा नहीं करते है, तो उन्हीं शर्तों का हवाला देते हुए व्यक्ति को नौकरी से हटाया जा सकता है।

यदि आपने किसी NGO के जरिए से नौकरी प्राप्त की है, तो आपकी सैलरी का कुछ प्रतिशत हिस्सा NGO काट लेता है।

संविदा नौकरी में व्यक्ति के पास अन्य कर्मचारियों से ज्यादा काम होता है और सैलरी किसी भी सरकारी कार्यालय में सबसे कम होती है।

निष्कर्ष

संविदा नौकरी एक प्रकार से शासकीय नौकरी की जैसे ही होती है, जिसमें संविदा नौकरी करने वाले व्यक्ति को बिल्कुल सरकारी नौकरी वाले कर्मचारी की तरह ही हर सुविधाएं मिलती है। ऑफिस टाइमिंग से लेकर सैलरी के टाइम पर आने तक का सभी काम सरकारी परमानेंट और संविदा नौकरी में एक जैसा ही होता है। बता दें, संविदा नौकरी करने वाले कर्मचारियों से अधिक मात्रा में कार्य लिया जाता है, मगर उन्हें परमानेंट सरकारी नहीं किया जाता। यदि संविदा कर्मचारी किसी भी बात से असंतुष्ट होता है या अपने निजी सहायक कर्मचारियों से वाद-विवाद की स्थिति उत्पन्न करता है, तो उन्हें उस पद से निकाल दिया जाता है।

वहीं, आज के आधुनिक समय में कई राज्यों में संविदा नौकरी पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है, क्योंकि हर विभाग में संविदा नौकरी करने वाले बहुतायत मात्रा में पाए जाते हैं। ऐसे में उनकी जगह शासकीय कर्मचारी रखने का प्रावधान लागू होने वाला है। संविदा नौकरी एक पहलू से देखा जाएं, तो व्यक्ति के लिए अच्छी नौकरी है। जिस प्रकार की सुविधाएं, छुट्टी, सैलरी टाइम पर आने आदि जैसे चीज़ों का आराम से लुफ़्त उठा सकते है। संविदा की नौकरी में एक ही दिक्कत रहती है कि यदि व्यक्ति ने दी गई शर्तों को पूरा नहीं किया उन्होंने कभी-भी नौकरी से निकाल दिया जा सकता है।

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