कोरोना काल में क्या खोया क्या पाया?

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निबंध : कोरोना काल में क्या खोया क्या पाया?

प्रस्तावना: भारत में तीस जनवरी 2020 को कोरोना का पहला मामला दर्ज किया गया था । अब तकरीबन बारह महीने का वक़्त बीत चूका है।  चीन के  वुहान शहर से निकला हुआ इस कोरोना वायरस ने पूरे दुनिया में कोहराम मचा दिया है।  कोरोना वायरस ने लाखो लोगो की जान ले ली है और अभी भी लोग कोरोना संक्रमण के शिकार हो रहे है ।  स्वास्थ्यकर्मी और डॉक्टरों की टीम लगातार कोरोना मरीज़ो के इलाज में एक साल से जुटी हुयी है।  कई डॉक्टरों और नर्स ने  दिन रात कोरोना मरीज़ो की सेवा की और वह भी कोरोना संक्रमित पाए गए। कई डॉक्टरों और नर्सेज ने इलाज करते हुए अपनी जान गवाई।  आज भी वह बिना थके और बिना रुके मरीज़ो की सेवा कर रहे है। अभी भारत में कोरोना मरीज़ो की संख्या में ज़्यादा कमी नहीं आयी है , मगर सुकून इस बात का है कि लोग अब  कोरोना बुखार से ठीक हो रहे है।  मृत्यु दर पहले कुछ महीनो की तुलना में कम हुयी है। 

कोरोना काल में हम में से कई परिवारों ने अपनों को खोया।  2020  में कोरोना ने कई लोगो को हमसे छीन लिया। अमरीका जैसा विकसित और शक्तिशाली देश कोरोना संक्रमण के मामले में सबसे ऊपर था। ब्राज़ील और इटली जैसे देशो में लाखो लोगो ने कोरोना की वजह से अपनी जिंदगी गवा दी। भारत की आबादी अन्य देशो से अधिक है। लेकिन शुरुआत से देश और सरकार ने सूझ -बुझ के साथ कोरोना काल को संभाला है । भारत ने सभी देशो के सामने यह साबित किया कि वह एक सतर्क और समृद्ध देश है।  आपातकालीन स्थिति में देश ने और स्वास्थ्य कर्मियों ने अपना हौसला ना खोकर मरीज़ो की सेवा की और लाखो लोगो का निडर होकर कोरोना टेस्ट करवाया।

यह पड़ाव सभी देशो के लिए चुनौती से कम नहीं था हर  देश के वैज्ञानिक वैक्सीन के आविष्कार के पीछे लगे हुए है।  जल्द ही देश में कोरोना से बचने के लिए वैक्सीन आ जाएंगे । इस वैक्सीन के लगते ही लोग इस महामारी से बच पाएंगे।  कोरोना काल के कारण देश को कई महीनो का लॉकडाउन लगाना पड़ा था । लॉकडाउन के कारण हमने परिवार की अहमियत को समझा।  जो लोग दफ्तर और व्यवसाय के कारण अपने परिवार और बच्चो को समय नहीं दे पाते है।  लॉकडाउन के इस समय में  लोगो ने अपने परिजनों के साथ समय व्यतीत किया।

लॉकडाउन की वजह से कई लोगो ने अपनी नौकरी खोयी।  कई लोगो को व्यापार में भारी नुकसान पहुंचा। देश की अर्थव्यवस्था को काफी चोट पहुंची और देश की जीडीपी पर गहरा असर पड़ा।  सिर्फ भारत में ही नहीं दुनिया के तमाम बड़े देशो की अर्थव्यवस्था को  कोरोना संकटकाल की मार झेलनी पड़ी।

लॉकडाउन को भारत में चार हिस्सों में बांटा  गया। वह वक़्त बेहद दर्दनाक था , जब पूरा देश बंद रहा। देश में सारे दफ्तर , व्यापार और लोगो की आवाजाही पर अंकुश लगाया गया। समाजिक दूरी रखना कोरोना से दूर रहने का उपाय बन गया था और अभी भी लोग इस नियम को मान रहे है।  श्रमिक और मज़दूरों को काम ना मिलने की वजह से उन्हें पैदल अपने घर के लिए निकलना पड़ा।  तब यातायात के सारे साधन बंद थे। मजदूरो को सबसे अधिक मुश्किलों का सामना करना पड़ा।

प्रथम लॉकडाउन 25 अप्रैल 2020 को लगाया गया। इस समय सिर्फ आवश्यक वस्तुओं के लिए दुकाने खुली थी।कोरोना काल में बच्चो के स्कूल बंद रहे और सभी शिक्षा संस्थान जैसे कॉलेज और विश्वविद्यालय पर भी कोरोना संकटकाल की वजह से ताले लग  गए। अब ऑनलाइन कक्षाओं का बोलबाला है।  इस साल की लगभग सारी विद्यार्थियों की  पढ़ाई  ऑनलाइन क्लासेस द्वारा हुयी।  इंटरनेट ना होता तो यह समय मुश्किल रहता।   इंटरनेट के कारण कई दफ्तरों के कार्य भी ऑनलाइन लोग करने लगे।  इससे इस महामारी के समय बाहर जाने की ज़रूरत नहीं पड़ी।

द्वितीय चरण का  लॉकडाउन  पंद्रह  अप्रैल से तीन मई 2020 तक लगाया गया। उस वक़्त में कोरोना केस बढ़ रहे थे। इसलिए सभी क्षेत्रों को  रेड , ऑरेंज और ग्रीन जोन में विभाजित किया गया। तीसरे लॉकडाउन में दुकाने खुले और कुछ छूट दी गयी थी। अंतिम  लॉकडाउन में स्कूल  , शॉपिंग मॉल और धार्मिक स्थलों को छोड़कर खुली छूट दी गयी थी। दुनिया में सबसे ज़्यादा लॉकडाउन इटली में लगाई गयी। जब देश में अनलॉक वन हुआ , तब देश में बेरोजगारी की समस्या ने  गति पकड़ ली थी।  अर्थव्यवस्था मुंह के बल गिरी।  फिर से अर्थव्यवस्था को सामान्य बनाने की कोशिश की गयी थी।

2020 से अभी तक तकरीबन पूरा साल जोखिमों से भरा हुआ था। उतार चढ़ाव से भरा हुआ था। अनलॉक वन के वक़्त रात नौ बजे से लेकर सुबह पांच बजे तक बंद हुआ करता था। दिन के वक़्त बाजार , दवाई खाने और दुकाने खुली होती थी।  यातायात के साधन चलना शुरू हो गया था। यह सब कुछ सामाजिक दूरी को ध्यान में रखकर किया जा रहा था। लोगो को आज भी मास्क और समय समय पर हाथ धोने जैसे नियमो का सावधानी से पालन कर रहे थे।  आज ऐसा वक़्त आ गया है जिसमे लोग गले नहीं मिलते और हाथ नहीं मिलाते है।

जगहों के अनुसार करीब चार महीने तक लॉकडाउन रहा। उस समय फेज के मुताबिक लॉकडाउन को खोला गया। कई जगहों पर सारी रात कर्फ्यू लगा रहा। अनलॉक वन में हमे कुछ चीज़ो को करने की छूट दी गयी। अनलॉक दो में फ्लाइट और ट्रैन शुरू कर दिए गए। सामाजिक दूरी  का ध्यान हर जगह रखा गया और सरकार ने हर सार्वजनिक जगहों को लगातार सनीटाईज़  करने की हिदायत दी।

पहले किसी भी त्यौहार में हम अपनों के घर चले जाते थे और उत्सव सभी के संग मिलकर मनाते थे।  मगर कोरोना संकटकाल की वजह से हमे सभी तरह के उत्सवों को घर पर मनाने के लिए कहा गया। लोगो ने वीडियो कॉल द्वारा अपनों से बात की और कई लोगो ने घर पर रहकर  उत्सव  मनाया। विद्यार्थियों को सारी परीक्षा ऑनलाइन देनी पड़ रही है। जो गाँव में रहते है और जिन बच्चो  के पास मोबाइल और लैपटॉप नहीं है , उन्हें पढ़ने में असुविधा हुयी। कोरोना काल के लॉकडाउन में बहुत से लोगो ने अपने शौक पूरे किये।  किसी ने यू टूब से देखकर खाना बनाया और किसी ने संगीत और नृत्य का अभ्यास किया। टीवी सीरियलो के  शूटिंग बंद होने के कारण , सभी का मन रामायण और महाभारत की ओर लगा। एक अलग ही माहौल इस साल बना रहा।

किसानो और मज़दूरों को कोरोना संकटकाल के इस लॉकडाउन के कारण कई समस्याओं का सामना करना पड़ा।  कितने लोगो की  रोजी रोटी चली गयी। लॉकडाउन के कारण हज़ारो श्रमिकों को पैदल चलकर अपने गाँव की ओर जाना पड़ा।  उद्योग धंधे सब बंद पर गए थे और उनके पास पैसे तक नहीं थे।  इसलिए कई मज़दूरों की रास्ते पर मौत हो गयी थी।

भारत में किसान पहले से ही आर्थिक संकट से जूझ रहे थे। जब देश में कोरोना काल आया तब रबी की फसल तैयार थी।  मगर सब्ज़ी मंडी तक नहीं पहुँच पायी। किसानो को काफी नुक्सान झेलना पड़ा। किसानो पर आर्थिक संकट टूट पड़ा।

देश के हर बाजार , शॉपिंग मॉल और लघु -कुटीर उद्योगों पर इसका भीषण प्रभाव पड़ा। केंद्र सरकार ने लगातार औद्योगिक घाटे को समझते हुए थोड़ी छूट दी ताकि किसानो को ज़्यादा परेशानी ना हो और उनके फसल  सब्ज़ी मंडी पर पहुँच जाए। किसानो की दिक्कतों को समझते हुए , केंद्र सरकार ने किसान के लिए मोबाइल ऐप का आरम्भ किया जिससे यातायात की सुविधा इत्यादि मिले। पर्यटन भी इस संकटकाल में प्रभावित हुए।  होटलो और रेस्टोरेंट में आवाजाही बंद रही।  विदेशी पर्यटकों के ना आने के कारण पर्यटन उद्योगों पर बुरा असर पड़ा है। कोरोना संकटकाल की वजह से ज़्यादातर यात्रा टिकट और होटल बुकिंग कैंसिल यानी रद्द कर दी गयी।

निष्कर्ष

कुल मिलकर कोरोना काल में हमने ज़्यादा खोया है।  यह कहना गलत नहीं है।  इसने हमे नए सिरे से सोचने पर मज़बूर किया है। कोरोना का समय अभी भी टला नहीं है। हमे सावधानी से सारे नियमो का पालन करना होगा। अभी भी सारे सतर्कता के संग उद्योग और सारे व्यापार खुल गए है।  जब तक वैक्सीन नहीं आ जाती है , तब तक हम सामान्य जीवन नहीं जी सकते है।

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