बाढ़ पर निबंध (प्राकृतिक आपदा)

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बाढ़ पर निबंध- Flood par nibandh

बाढ़ एक  भयंकर प्राकृतिक आपदा है। बाढ़ की भयंकरता , इसकी विभीषिका  वही   जानता  है , जिसने प्रत्यक्ष रूप  से इसको झेला है। जब नदी में बाढ़ आती है तो वह आस  पास  के क्षेत्रों को अपनी चपेट में ले लेती है। किसान की वर्षो  की मेहनत , उनके खेत बाढ़ के कारण नष्ट हो जाते है। गाँवों और कस्बो में बाढ़ का प्रकोप दर्दनाक होता है। यातायात के सारे साधन तबाह हो जाते है।  लोगो के  घर डूब जाते है।  कई दिनों तक बिजली नहीं मिलती है। उन लोगो की दशा दयनीय और असहाय हो जाती है। लोग अपना घर बार छोड़कर सरकार द्वारा लगाए गए कैंपो में रहते है। दुर्भाग्यवश इन कैंपो में सफाई का अच्छा प्रबंध नहीं होता है जिसकी वजह से लोगो को कई तरह के रोगो का शिकार बनना पड़ता है।

बाढ़ में फंसे लोगो तक मदद पहुँचाना इतना आसान काम नहीं है। लोग अपने पक्के घरो के छतो पर रहने के लिए विवश है।  आर्मी अफसर के कई लोग बाढ़ में पीड़ित लोगो की मदद करते है। खाने और ज़रूरी सामग्री को हेलीकॉप्टरों द्वारा पहुँचाया जाता है।नावों की मदद से बाढ़ग्रस्त इलाको में पहुंचा जाता है। वहां पर फंसे लोगो को नाव के ज़रिये सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जाता है। कई संस्थाएं बाढ़ग्रस्त लोगो की मदद करती है। बाढ़ग्रस्त इलाको की दशा बेहद खराब हो जाती है। बाढ़ के वक़्त खतरनाक बीमारियां फैलती है , जिस पर अंकुश लगाना नामुमकिन हो जाता  है। प्रत्येक वर्ष बाढ़ के कारण करोडो रूपए की संपत्ति नष्ट हो जाती है।

बाढ़ के कारण सड़क और पुल , पेड़ पौधे सब नष्ट हो जाते है। सरकार की यह जिम्मेदारी है कि वह ऐसे नदियों पर बाँध बनाये , जिन क्षेत्रों में बाढ़ आती है। लोगो के कच्चे घरो के जगह पर पक्के घरो के निर्माण करवाना चाहिए ।  सरकारों को ज़रूरतमंद लोगो की सहायता करनी चाहिए। भारत के कुछ राज्यों में अक्सर बाढ़ आती है। वह राज्य है गुजरात , उड़ीसा ,असम , बिहार , आंध्र  प्रदेश  , पंजाब , महाराष्ट्र , केरल जहाँ हर साल बाढ़ आने का अनुमान किया जाता है। वर्ष 2018 में केरल राज्य में भीषण बाढ़ आयी थी। चौदह से अधिक जिलों ने बाढ़ का प्रभाव बर्दाश्त किया। इस बाढ़ ने केरल में भयंकर तबाही मचाई   थी।

कम वक़्त में एक जगह में जरुरत से ज़्यादा लगातार अधिक जल जमा हो जाए तो बाढ़ की स्थिति उतपन्न होती है। बाढ़ कई कारणों से आते है। अचानक असमय बाँध का टूट जाना , नदियों का जल स्तर बढ़ना , लगातार बारिश , सागर में कम्पन के कारण लहरें बढ़ जाती है और आस पास के गाँवों को पानी में डूबा देती है और भयंकर विनाश करती है। अत्यधिक बाढ़ के पानी में लोग बह जाते है और कई लोगो की मृत्यु हो जाती है। चारो तरफ विनाश का नज़ारा होता है। आज ज़रूरत है सरकार को प्रति वर्ष आने वाले बाढ़ के खिलाफ कोई ठोस और महत्वपूर्ण कदम उठाये।

प्रदूषण , भूमंडलीय ऊष्मीकरण , लगातार वनो का उन्मूलन यानी कटाई  जैसी गतिविधियां पर्यावरण को अनगिनत सालों से नुकसान पहुंचा रही है। मनुष्य की निरंतर हर क्षेत्र में उन्नति करने की चाह ने पर्यावरण को अपना रौद्र रूप धारण करने पर  मज़बूर कर दिया है। बाढ़ एक भयंकर आपदा है जिससे उस क्षेत्र के  जन जीवन पर बुरी तरह से असर पड़ता है। बाढ़ का पानी लोगो के घरो के अंदर , गली मोहल्ले तक पहुँच जाता है।  अतिरिक्त बाढ़ का पानी कच्चे , पक्के सभी घरो को तोड़  देता है।  राज्यों में बाढ़ग्रस्त जगह की  आर्थिक उन्नति बिलकुल मंद पड़ जाती है।

बाढ़ के कारण कई राष्ट्रिय उद्यानों में पानी भर जाता है जिसकी वजह से बेज़ुबान पशु पक्षी मर जाते है। बाढ़ के बाद उन इलाको में जानलेवा बीमारियों का जन्म होने लगता है। डेंगू , मलेरिया और टाइफाइड इत्यादि कई तरह की बीमारियां होती है जो सिर्फ विनाश की ओर ले जाती है। बाढ़ के समय लोगो को ऊँचे जगहों पर जाकर बस जाना चाहिए। पहाड़ी इलाको से बाढ़ का जल गाँव ओर शहरों तक पहुँच जाता है। लोगो को ऐसे जगहों पर सावधान रहने की ज़रूरत है।

लोगो को बाढ़ के समय ज़रूरी समान ओर खाद्य सामग्री अपने पास रख लेनी चाहिए। बाढ़ एक प्राकृतिक विपदा है।  अचानक दस्तक दे सकती है। कभी कभी अचानक बढ़ चली आती है और  हमे घर के छतो पर जाना पड़ता है।  ऐसे में घर की छत  पर सहायता के लिए जानकारी दे। आप चाहे तो मदद के लिए एक चिह्न बना सकते है।  राहत कार्य के लिए जुटे हेलीकाप्टर लोगो के मदद के लिए वहां ज़रूर आते है। बाढ़ दो तरह के होते है : प्राकृतिक ओर अप्राकृतिक बाढ़ | प्राकृतिक कारणों की वजह से जो बाढ़ आती है , उसे प्राकृतिक बाढ़ कहते है। जैसे कि लगातार कई दिनों तक बेलगाम वर्षा होना। इसकी वजह से चारो ओर जल स्तर बढ़ने लगता है ओर बाढ़ का रूप लेता है।

अचानक बदल फटने से , चंद घंटो में जल सैलाब उमड़ पड़ता है।  पानी का प्रवाह तेज़ होता है और बाढ़ जैसा भयावह नज़ारा देखने को प्राप्त होता है। वर्ष 2013  में बादल फटने की  वजह से भयानक बाढ़ केदारनाथ में आयी थी।  इस बाढ़ ने जानलेवा नुकसान किया।  कई लोगो कि मृत्यु हो गयी थी और केदारनाथ के मंदिर को भी इसने काफी नुकसान पहुंचाया था।

ग्लेशियर से बर्फ  का लगातार पिघलना , भूमंडलीय ऊष्मीकरण के कारण होता है। यह भी बाढ़ आने की एक वजह है। इसका पिघलता हुआ अतिरिक्त पानी नदियों का स्तर बढ़ा देता है। इसकी वजह से नदियों का जल शहरों और गाँवों में घुस जाता है। सागर में अचानक कम्पन के कारण सुनामी जैसी स्थिति उतपन्न होती है। समुद्रतल पर तेज़ भूकंप आता है जिसके कारण विशाल लहरों का निर्माण होता है। समंदर का पानी शहरों और गाँवों को प्रभावित कर देता है।

मनुष्य के लगातार प्रकृति पर प्रहार के कारण अप्राकृतिक बाढ़ का निर्माण होता है। देश में भ्र्ष्टाचार के कारण , ख़राब गुणवत्ता के बाँध बनाये जाते है।  यह मज़बूत नहीं होते है। अचानक यह बाँध टूट जाता है।  हज़ारो किलोमीटर वाला पानी बाँध के आसपास के इलाको में घुसकर उन्हें बर्बाद कर देता है। पृथ्वी अब ग्लोमेल वार्मिंग की मार झेल रही है और वातावरण पहले से अधिक परिवर्तित हो चूका है। कहीं सूखा  और कहीं ज़रूरत से अधिक बारिश बाढ़ जैसी स्थिति पैदा कर देता है।

बाढ़ के कारण फसले तबाह हो जाते है। बाढ़ की गंभीर परिस्थितियों के कारण जल प्रदूषित हो जाता है। लोगो को पीने के लिए स्वच्छ पानी नहीं मिलता है। गंदे पानी में रहने की वजह से लोगो की मौत हो जाती है। बाढ़ के कारण बिजली के खम्बे गिर जाते है। उसके बाद कई दिनों तक बाढ़ग्रस्त स्थानों में बिजली पहुँचाना नामुमकिन हो जाता है।

जिस  क्षेत्र में बाढ़ आती है ,वहां की सड़के टूट जाती है। सड़को के अवशेष बाढ़ के पानी के संग बह जाते है। इन क्षेत्रों में सड़क परिवहन बुरी तरीके से प्रभावित होता है। इसकी वजह से आम आदमी को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।जहाँ बाढ़ आती है , वहां पीड़ित लोगो को इलाज की ज़रूरत होती है , मगर बाढ़ग्रस्त इलाको के चिकित्सा केंद्र पानी में डूब जाते है। समय पर इलाज न मिलने की वजह से कई लोगो की मृत्यु हो जाती है।  बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में खाना नहीं मिल पाता है।  लोगो की निजी खाद्य सामग्री पानी में डूब जाती है। लोगो को ऐसे मुश्किल वक़्त में टोर्च और फर्स्ट ऐड बॉक्स जैसी ज़रूरी चीज़ें अपने पास रखनी चाहिए।

निष्कर्ष

बाढ़ को नियंत्रण में लाने के लिए देश की सरकार ने विशाल बांधो का निर्माण किया है। मज़बूत बांधो का निर्माण और अधिक होने चाहिए ताकि विनाशकारी बाढ़ से लोगो को बचाया जा सके। बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों के उत्थान के लिए देश की सरकार ने राष्ट्रिय बाढ़ प्रबंधन प्रोग्राम का आयोजन किया है। इस योजना के मुताबिक लोग अधिक से अधिक वृक्ष लगाएंगे।  जो लोग निचले स्तर पर रहते है , उन्हें ऊपरी जगहों में बसाया जाएगा। सरकार हर वर्ष बाढ़ के लिए अलग बजट तैयार करती है। सरकार पहले से ही बाढ़ आने की घोषणा कर देते है ताकि लोग समय रहते अपने ज़रूरी सामग्रियों के संग सुरक्षित स्थान पर चले जाए।

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