महिला सशक्तिकरण निबंध

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नारी सशक्तिकरण पर निबंध
महिला सशक्तिकरण पर निबंध।
Essay on Women Empowerment in Hindi

महिला सशक्तिकरण से तात्पर्य है महिलाओं को अपने लिए निर्णय लेने में सक्षम बनाने हेतु शक्तिशाली बनाना है। कई शताब्दियों पहले महिलाओं का अस्तित्व ना के बराबर था। लेकिन जैसे जैसे समय गुजरता गया महिलाओं को अपने अस्तित्व और शक्ति का एहसास हुआ। तभी से लेकर आज तक महिलाओं के समाजिक उत्थान के लिए आंदोलन किये जा रहे है। पहले महिलाओं को निर्णय लेने की अनुमति या खुले आकाश में उड़ने के सपने देखने तक की आज़ादी नहीं थी। हमारे देश में पुरुष शासित समाज की परंपरा सदियों से चली आ रही है। वहां पर महिलाओं को हमेशा उनपर निर्भर रहना पड़ता था। इसी वजह से आज महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया जा रहा है।

महिलाएं को  सामाजिक और पारिवारिक स्तर पर कई अत्याचारों का सामना करना पड़ता है। कई क्षेत्र में समान कार्य करने के बावजूद भी महिलाओं को पुरुषो के मुकाबले कम पैसे दिए जाते है। इस तरीके की भावना समाज में पुरुषो और महिलाओं के बीच असमानता की रेखा को खीचता है।

महिलाओं की उन्नति के आगे अनगिनत बाधाओं का कारण  कहीं न कहीं सामाजिक जाने या अनजाने ज़िम्मेदार है। कई गांव में लड़कयों को आज भी पढ़ने तक की सुविधा नहीं दी जा रही है। भारत में महिलाओं का शैक्षिक दर पुरुषों की तुलना में कम है। इसके पीछे है रूढ़वादी समाज की सोच जो महिलाओं को आगे बढ़ने से पीछे रोकती है।

लेकिन आज भारत सरकार ने बेटी पढ़ाओ और बेटी बचाओ जैसे कई मुहीम की शुरुआत की है ताकि लड़कियों की शिक्षा में कोई बाधा उतपन्न न हो। शहरी इलाको में महिलाएं ज़्यादा शिक्षित और रोजगार कर रही है। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की अशिक्षा के कारण कृषि और अन्य क्षेत्रों में दैनिक मजदूरी करके जीवनयापन कर रही है। कई जगहों पर यह पाया गया है की योग्यता होने के बावजूद भी महिलाओं को पुरुषो की तुलना में कम आय दिया जाता है। जितना हक़ पुरुषो को दिया जाता है उतना हक़ महिलाओं को भी अवश्य दिया जाना चाहिए।

हमे महिलाओं को इन अत्याचारों और समस्याओं से मुक्ति दिलाने के लिए एक लम्बा रास्ता तय करना होगा। महिलाओं को उनके अधिकार दिलवाने हेतु सर्वप्रथम समाज की महिलाओं के प्रति गलत मानसिकता को मिटाना होगा। सोच बदलेगा तभी भारत देश में भी परिवर्तन आएगा। आये दिन हो रहे दहेज़ प्रथा के कारण नारियों की हत्या हमे झकझोरकर रख देती है। योन हिंसा, कन्या भ्रूण हत्या जिसमे माँ को मज़बूर किया जाता है कि वह अपने अजन्मे लड़की संतान को पेट में मार दे। कन्या भ्रूण हत्या एक निंदनीय अपराध है।  इससे लड़कियों की संख्या में वृद्धि नहीं हो रही है। यह एक महिलाओं के खिलाफ एक प्रकार की नकारात्मक मानसिकता झलकती है।

घरेलु हिंसा जिसमे महिलाओं के पति और उसके परिवार उसपर अत्याचार करते है। मानव तस्करी जैसे घिनौने काण्ड हमे समशार कर देते है। महिलाओं के साथ यह क्या हो रहा है ? उसके सहनशीलता की परीक्षा ली जा रही है। अब महिलाएं यह सारी हरकतें और अन्याय को चुप चाप नहीं सहती बल्कि आवाज़ उठाती है।

महिलाओं के खिलाफ घरेलु हिंसा में हो रहे बुरे बर्तावों और असामनता को मिटाने के लिए सरकार द्वारा कड़े कानून और अधिकार लागू किये गए है। आजकल महिला आयोग महिलाओं के इन कानूनों के प्रति काफी गंभीर है और कई समाज सेविकाएं और एनजीओस इस में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते है और महिलाओं के प्रति हो रहे अत्याचारों के खिलाफ अपनी आवाज़ उठाते है। आजकल महिलाएं अपने अधिकारों को लेकर काफी सतर्क रहती है।

ऐसा कोई कार्य नहीं जो महिलाएं ना कर सकती हो। आजकल महिलाएं स्वाधीन रूप से घर और दफ्तर बखूभी निभाती है। ऐसा कोई क्षेत्र नहीं जहाँ महिलाओं ने अपनी काबिलियत को साबित ना किया हो। सही माईनो में महिलाओं का सशक्तिकरण तभी मुमकिन है जब हम महिलाओं की सुरक्षा और उनकी शिक्षा को सुनिश्चित करे और साथ ही उनकी सोच को उतनी ही प्राथमिकता दे जितना समाज पुरुषो के सोच को देते आया है। जितने मौके और अधिकार पुरुषो को मिलते है, महिलाओं को भी उतने मौके मिलने चाहिए।

ग्रामीण क्षेत्रों में बाल विवाह जैसी कुप्रथाएं आज भी चल रही है। कम उम्र में लड़कियों का विवाह करना कानूनन अपराध है और इससे लड़कियों की शिक्षा में बाधा उतपन्न होती है। भारत सरकार के नियमो का उल्लंघन कई जगह देखा जा रहा है। घर में पुरुषों के निर्णय को आखरी फैसला माना जाता है। महिलाएं क्या चाहते है यह सोचने की परवाह समाज नहीं करता है।

भारत में महिला सशक्तिकरण की  सबसे ज़्यादा ज़रूरत है। भारत के कई हिस्सों में महिलाएं अभी भी सुरक्षित नहीं है। महिलाओं को कई अवसरों में उच्च शिक्षा हासिल करने की अनुमति नहीं है। उनका विवाह जल्द हो जाता है और पुरुष कुछ क्षेत्रों में महिलाओं पर हावी हो जाते है और उनके सोच को दबाने की हर संभव कोशिश करते है। इन्ही वजहों से कई हिस्सों में  महिलाएं अपनी शिक्षा चाहकर भी पूरी करने में असमर्थ हो जाती है।

निष्कर्ष

महिलाओं को सशक्त बनाने के कई तरीके है। लड़कियों के लिए शिक्षा अनिवार्य होनी चाहिए ताकि वह जीवन भर अनपढ़ ना रहे और अपने ज़िन्दगी में सही फैसले कर सके। बाल विवाह को जड़ से समाप्त कर महिलाओं को सशक्त बना सकते है। महिलाओं को अपने ऊपर हो रहे अन्याय का विरोध करना होगा। देश की हर महिला को सम्पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर बनने की जागरूकता फैलानी होगी।  तभी सही माईनो में महिला का सशक्तिकरण हो पायेगा। अब वक़्त आ गया है कि महिलाएं स्वतंत्र होकर अपने फैसले खुद ले सके और उसे किसी से घबराने की ज़रूरत नहीं है।

महिलाओं के सोच की कदर करना परिवार और समाज का दायित्व है। हर इंसान की सकराकत्मक सोच महिलाओं के उत्थान के संग एक नए दृश्टिकोण से भरे समाज का निर्माण करने में सक्षम रहेगी।

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