श्री राम को हिन्दू धर्म में बहुत आस्था और निष्ठा के साथ पूजा जाता है। विष्णु के सातवे अवतार के रूप में भगवान् श्री राम को माना जाता है। श्रीराम का चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को जन्म हुआ था। भगवान् श्री राम के विषय में सम्पूर्ण जानकारी रामायण से प्राप्त हो जायेगी। तुलिदास ने रामचरित मानस लिखा था जिसने भगवान् श्री राम की लोकप्रियता को और अधिक बढ़ा दिया। श्रीराम का जन्म अयोध्या में हुआ था। श्री राम के पिता जी का नाम राजा दशरथ था। राजा दशरथ की तीन रानियां थी। कौशल्या , कैकयी और सुमित्रा तीनो रानियों का नाम था। कौशल्या के पुत्र श्री राम थे। कैकयी के पुत्र का नाम भरत और सुमित्रा के दो पुत्र थे जिनके नाम लक्ष्मण और शत्रुघ्न था।श्रीराम अपने भाईयों से बहुत प्रेम करते थे। राजा दशरथ सबसे अधिक अपने बड़े पुत्र श्री राम से प्रेम किया करते थे।
गुरु वशिष्ट के आश्रम में अपनी शिक्षा पूरी की थी । बचपन से ही उन्होंने हर मुश्किल समय में अपने साहस का परिचय दिया।उन्होंने कई दानवो का वध किया।
श्री राम नेक दिल , दयालु , साहसी , नम्र इंसान थे। वे हमेशा बड़ो की इज़्ज़त करते थे और छोटो से प्यार करते थे। वह अपने भाईयों से बहुत प्रेम करते थे। उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम भी कहा जाता है।जब कैकयी ने राजा दशरथ से श्री राम का वनवास माँगा तो राजा दसरथ बिलकुल राज़ी नहीं थे। लेकिन श्री राम ने कैकयी की इस आज्ञा का पालन किया और भरत को अपना सिंहासन दिया।
जब दुनिया में पाप और अत्याचार बढ़ जाता है तब एक महापुरुष का जन्म होता है। श्री राम ने जगत कल्याण के लिए जन्म लिया था। उनके आदर्श जैसे त्याग , बलिदान दयालु स्वभाव के लिए सभी लोग आज भी उन्हें पूजते है।उन्होंने समस्त दुनिया को इंसानियत के रास्ते पर चलना सिखाया था।
वह एक सच्चे और आदर्श पुरुष थे।सीता माता के पिता राजा जनक उनके लिए वर ढूंढना चाहते थे। इसलिए उन्होंने स्वयंवर आयोजित की। स्वयंवर में यह शर्त रखी गयी कि जो भी राजा जनक के धनुष को उठाएगा और थोड़ेगा , सीता का विवाह उसी के संग होगा।श्री राम ने यह शर्त पूरी की और उनका विवाह सीता माता से हुआ था।
श्री राम के वनवास जाने के पश्चात, उनके भाई भरत को राजा बनाया गया। मगर भरत ऐसा नहीं चाहते थे। श्री राम के साथ लक्ष्मण और सीता माता भी चौदह वर्ष के लिए वनवास गए थे। श्रीराम को वनवास के दौरान कई परेशानियों को झेलना पड़ा लेकिन उन्होंने सभी तकलीफो को डट कर सामना किया।
वनवास के समय जब राम और लक्ष्मण कुटिया में मौजूद नहीं थे , तब रावण ने सीता जी का अपहरण कर लिया और जबरदस्ती लंका लेकर चले गए। लक्ष्मण ने जाने से पहले सीता माता की सुरक्षा के लिए लक्ष्मण रेखा खींची थी। रावण ने साधू का भेष धारण किया और सीता माता को समझ नहीं आया। सीता माता ने साधू को देने के लिए कुछ सामग्री ले आयी। उन्होंने जैसे ही उस रेखा को पार किया , रावण अपने असली रूप में आ गया और सीता माता को उठाकर ले गया।जब जटायु ने रावण को रोकने का प्रयत्न किया तो क्रोधित रावण ने उसके पर काट दिए। रावण ने सीता माता का अपहरण श्री राम से प्रतिशोध लेने के लिए किया था। लक्ष्मण ने रावण की बहन शूर्पणखा का नाक काट दिया था , इसलिए रावण ने यह गलत काम किया था।
भगवान् राम ने लंका तक पहुँचने के लिए समुद्र के रास्ते का सहारा लिया। इसके लिए वानरों और रामभक्त हनुमान ने श्रीराम की सहायता की और राम सेतु का निर्माण किया। रावण ने राम को कहा कि अगर राम उन्हें युद्ध में हरा सके तो वह सीता माता को वापस ले जा सकते है।
आखिर में युद्ध छिड़ गयी और रावण के भाई विभीषण ने श्री राम की बहुत सहायता की। अगर वह नहीं होते , तो युद्ध जीतना असंभव था। राम ने दस सर वाले रावण को पराजित किया। इस तरह कई संघर्षो के पश्चात सीता माता उन्हें वापस मिली और वे , लक्ष्मण और सीता जी आयोध्या वापस आ गए। सभी लोग उनकी जय जयकार करने लगे।अयोध्यावासी ने खुश होकर उनका स्वागत किया। रावण के मरने के पश्चात , विभीषण को राजा बना दिया गया। इस तरह से न्याय की जीत हुयी और पाप का अंत हुआ।वह जब आयोध्या लौटे , तो सभी अयोध्यावासियों ने अपने घरो में दिप जलाये , तभी से दीपावली मनाई जाती है।श्री राम और सीता माता के दो पुत्रो का नाम लव कुश है। श्रीराम एक आदर्श पिता , पति और आदर्श भाई थे।
निष्कर्ष
राम का जन्म धरती पर पाप को मिटाने के लिए हुआ था।श्री राम ने कई राक्षसों का अंत किया। श्रीराम की शख्सियत बेहद बेजोड़ थी और सभी उनके व्यक्तित्व से प्रभावित हो जाते है। श्रीराम सभी देवताओं से अधिक माने जाते है।उनके इस महान व्यक्तित्व की पूजा हम सभी करते है।