विज्ञापन के प्रभाव पर निबंध

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प्रस्तावना

मनुष्य हमेशा से ही विज्ञापनों से प्रभावित हो जाता है।  समाचार पत्रों , रेडियो और टेलीविज़न पर विभिन्न प्रकार के विज्ञापन छोटी से बड़ी वस्तुओं के लिए आते है।  विज्ञापनों को आकर्षित तरीके से बनाया जाता है। यही वजह है कि ग्राहक विज्ञापनों से प्रभावित होकर उन्हें खरीदना चाहते है। बड़ी बड़ी कंपनियां अपने उत्पादों को बेचने के लिए बड़े पैमाने पर विज्ञापनों को तैयार करते है। वस्तुओं की  खासियत को बड़ा चढ़ाकर दिखाया जाता है ताकि लोग आकर्षित हो जाए और बाज़ार से तुरंत खरीद ले। ग्राहक वही चीज़ें ज़्यादा खरीदते है जो विज्ञापनों में लुभाने वाले अंदाज़ में दर्शाया जाता है।

आजकल कोई भी टीवी प्रोग्राम या समाचार देखने बैठते है तो हर दस मिनट बाद विज्ञापन आ जाता है।  इससे टीवी चैनल विज्ञापन दिखाने के लिए ब्रांड से मोटी कीमत लेती है।  हम दर्शक उन विज्ञापनों को देखकर प्रभावित हो उठते है। ज़्यादातर समय व्यक्ति ऐसा प्रोडक्ट खरीद लेता है जिससे उसका ज़्यादा फायदा नहीं होता है। विज्ञापनों की  दुनिया चमक दमक से भरपूर होती है और वह आम जनता को आकर्षित करने के लिए किसी भी हद तक जा सकती हैं।

विज्ञापनों से बच्चे भी अधिक प्रभावित हो जाते है। वह अपने अभिभावकों से जिद्द करते है कि जो वस्तु विज्ञापन में दिखाया गया है वह उन्हें लाकर दे।  बड़े ब्रांड  विज्ञापनों को विशाल तरीके से बनाते  है और बड़े बड़े फ्लिम सितारों को विज्ञापन करने के लिए  करोड़ो रूपए दिए जाते है। ऐसा इसलिए कि लोग अपने पसंदीदा सितारों के किये हुए विज्ञापनों से प्रभावित होकर , प्रोडक्ट्स खरीदते है।  ग्राहकों  अपने पसंदीदा सितारों पर काफी भरोसा  करते है और सोचते है कि अगर वह कह रहे है कि वस्तु अच्छा है तो निश्चित तौर पर वह अच्छा हो होगा।

विज्ञापन में दिखाए जाने वाले हर प्रोडक्ट अच्छे नहीं होते है। लेकिन बड़ी बड़ी कंपनियां प्रोडक्ट के गुणों को बढ़ा चढ़कर दिखाते है , ताकि ग्राहक उनसे मोहित होकर , उत्पादों को खरीद ले। विज्ञापनों का इतना प्रभाव पड़ता है कि कम गुणवत्ता वाले वस्तुओं के प्रति लोग आकर्षित हो जाते है।  उन्ही चीज़ों को खरीदने के लिए हम पैसे खर्च करते है। औसत दर्ज़े के वस्तुओं को ग्राहकों में बेचकर वह अत्यंत लाभ कमा रहे है और आम जनता मूर्ख बन रहे है | उनके पैसे भी बेवजह खर्च हो जाते है।

आजकल विज्ञापनों में कभी कभी कुछ ऐसा भी दिखाया जाता है जिसे परिवार के लोग एक साथ बैठकर देख नहीं सकते है।बच्चो का मन बेहद नाज़ुक होता है और टेलीविज़न पर विज्ञापन देख देखकर बिना सोचे महंगे वस्तुओं की जिद्द करते है।  उन्हें संभालना बेहद मुश्किल हो जाता है।

इंटरनेट के द्वारा भी वस्तुओं का प्रचार प्रचार किया जाता है।  बड़ी बड़ी मार्केटिंग कंपनी द्वारा विज्ञापनों को जारी किया जाता है। इसका असर आम जनता पर पड़ता है। उनके दिमाग में विज्ञापन वाली वस्तुएं बस जाती है। वस्तुओं  को खरीदने की  चाह दुकानदार भी देख और समझ  लेते है। वह वही वस्तुएं खरीदते है , जिन्हे विज्ञापनों में दिखाया जाता है।  वह दुकानदारों को ब्रांड बताकर वस्तुएं खरीदते है।

कंपनियां बिना विज्ञापन के अपने उत्पादों को बेच ही नहीं सकती है।कंपनियां और उत्पादनकर्ता जानते है जनता को किस तरह लुभाना चाहिए। जनता के भावनाओ को ध्यान में रखकर प्रत्येक उत्पादों के विज्ञापनों को बनाती है। जनता विज्ञापनों को देखकर जल्दी विश्वास कर लेते है।

आजकल कुछ लोगो में जागरूकता आयी है।  वह विज्ञापन देखने के पश्चात , समझदारी के साथ वस्तु खरीदते है। कुछ ग्राहक को अगर सामान पसंद नहीं आया तो दोबारा उस ब्रांड के सामग्री को खरीदते नहीं है।  आजकल ऑनलाइन शॉपिंग में भी काफी विज्ञापन दिखाई देते है।  इसमें एक सकारात्मक चीज़ यह है कि अगर कोई वस्तु पसंद नहीं आया तो ग्राहक अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते है और अन्य ग्राहकों को इस विषय में जानकारी मिलती है और उस प्रोडक्ट को वह खरीदते नहीं है। कई जागरूक नागरिक विज्ञापन में  दिखाए जाने वाले बातों से सहमत नहीं होते है।  वह ऑनलाइन जाकर उस प्रोडक्ट के विषय में लोगो के टिप्पणियां और समीक्षाओ को पढ़ते है और सोच समझकर चीज़ें खरीदते है।

विज्ञापन ज़रूरी भी है।  अगर विज्ञापन नहीं होंगे तो हमे यह नहीं पता चलेगा कि बाजार में कोण सी चीज़ें उपलब्ध है और किस उत्पाद पर कितना डिस्काउंट मिल रहा है।विज्ञापन पर आँख मूंद कर भरोसा कर लेना सही नहीं है।

निष्कर्ष

विज्ञापनों को देखकर लोगो की चाह इतनी बढ़ जाती है कि उनका बजट बिगड़ जाता है। कई बार जब हम विज्ञापन देखकर प्रोडक्ट खरीद लेते है तो हमे पता चलता है कि जो चीज़ हमने खरीदी है , वह बिलकुल अच्छी नहीं है। विज्ञापन में दिखाए जाने वाले कहानी पर विश्वास नहीं करना चाहिए।  मनुष्य को अपने बुद्धि और विवेक का इस्तेमाल करना चाहिए।  विज्ञापन द्वारा व्यापारी अपने व्यापार को बढ़ा लेते है।  विज्ञापनों में बुराई नहीं है। लेकिन विज्ञापन में दिखाए जाने वाले हर बात पर विश्वास कर लेना यह गलत है।

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