प्रस्तावना
गणेश भगवान् जी को विघ्नकर्ता कहा जाता है। गणेश जी हिन्दू धर्म में पूजे जाने वाले देवता है। सभी लोग शुभ कार्य करने से पहले गणपति बप्पा की पूजा करते है। सभी देवताओं से पहले लोग गणेश भगवान् की पूजा करते है। गणेश भगवान् को उन्नति और ज्ञान का देवता माना जाता है। गणेश जी हमें सिखाते है कि हमे मुश्किलों का डटकर सामना करना चाहिए। अपने राह से मुश्किलों को हटा देना चाहिए। गणेश जी की पूजा करने से यह गुण हमारे अंदर जागृत होते है। गणेश जी को विघ्नहर्ता कहा जाता है क्यूंकि वह मुश्किलों को दूर भगा देते है। उनका जन्म पार्वती माँ के गर्भ से नहीं हुआ था। उनका निर्माण पार्वती भगवान् के मैल से हुआ था। उनका सर बचपन से गज जैसा बिलकुल नहीं था। इसके पीछे एक अनोखी और विचित्र कहानी है।
उनके जन्म के पश्चात उनकी माता जी स्नान करने के लिए गयी थी। उन्होंने बाल गणेश को आज्ञा दी थी कि वह किसी को भी अंदर आने की इज़ाज़त ना दे। इसलिए भगवान् गणेश दरवाजे के समक्ष खड़े होकर रखवाली करने लगे।कुछ ही समय में भगवान् शिव जी वहाँ आये। शिवजी को गणेश जी ने अंदर आने से रोका। शिवजी गणेश जी को देखकर पहचान नहीं पाए।शिवजी ने कहा कि वह पार्वती माँ के पति है। शिवजी ने गणेश भगवान् को बहुत समझाया लेकिन वह अपनी बात पर कायम रहे। शिवजी को बहुत गुस्सा आ गया और उन्होंने गणेश जी का सर काट दिया।
तभी पार्वती माँ बाहर आयी और यह देखकर वह गुस्से में आ गयी। पार्वती यह देखकर दुखी और व्याकुल हो गयी। उन्होंने शिवजी से गणेश जी को जिन्दा करने के लिए कहा। विष्णु भगवान् ने बाल गणेश को हाथी का सर लगाकर दिया। भगवान् शिवजी ने बाल गणेश को फिर से जीवित किया। गणेश भगवान् पार्वती माँ की इतनी भक्ति करते थे कि सभी देवताओं ने गणेश जी को आशीर्वाद दिया। गणेश जी को गुणों के देवता कहा जाता है।
गणेश जी की आँखें छोटी होती है। लेकिन वह छोटी से छोटी घटनाओ को अपने आँखों से देख लेते है। गणेश जी के कान बहुत बड़े होते है जो उन्हें ज़्यादा सुनने में सहायता करते है। गणपति बप्पा के दो प्रकार के दांत है , खंडित और अखंडित। खंडित दांत का तात्पर्य बुद्धि से है और अखंडित दांत का तात्पर्य भक्ति और श्रद्धा से है। गणेश जी का सूंढ़ सुई उठाने से लेकर पेड़ तक उखाड़ सकता है। यह हमें सिखाते है कि हमे जीवन के मुश्किलों का डट कर सामना करना चाहिए और उतार चढ़ाव से घबराना नहीं चाहिए।
गणपति उत्सव समस्त देश में धूम धाम से मनाया जाता है। गणपति उत्सव अगस्त या सितम्बर के महीने में लोग मनाते है। महाराष्ट्र में गणपति उत्सव बहुत भव्य और बड़े पैमाने में धूम धाम से मनाया जाता है। लोग अपने घरो में भी गणेश उत्सव पर गणेश पूजा करते है। लोग तरह तरह की मिठाईयां बनाते है , जैसे मोदक इत्यादि। गणेश चतुर्थी महाराष्ट्र में दस दिनों तक मनाई जाती है और बैंड बाजे के साथ बप्पा की मूर्ति को विसर्जित किया जाता है।जब भक्त गणेश भगवान् की आरती करते है , तो उन्हें बुद्धि और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। मुंबई में गणेश चौर्थी पर बड़े बड़े पंडाल लगाए जाते है।
गणपति पूजा दस दिनों तक चलती है , यह हम सब जानते है। इसके पीछे एक विशेष कारण है। कहा जाता है गणेश भगवान् को महाभारत सुनने की इच्छा हुयी थी और वेदव्यास ने उनके हुक़्क़ुम को माना और वे गणेश जी को महाभारत की कथा सुनाने लगे और दस दिन बीत गए। जब महाभारत की सम्पूर्ण कथा समाप्त हुयी तो उनका शरीर जलने लगा। वेदव्यास जी ने गणेश जी को तुरंत नहलाया इसलिए ग्यारहवे दिन गणपति भगवान् मूर्ति को विसर्जित किया जाता है।
निष्कर्ष
गणपति जी की पूजा लोग हमेशा कोई अच्छा कार्य शुरू करने से पहले करते है। विवाह , नयी नौकरी के पहले दिन इत्यादि शुभ मौको पर लोग गणेश भगवान् की पूजा करते है। बप्पा के आशीर्वाद के बिना लोग घर से बाहर नहीं निकलते है। उनकी पूजा करने से सारी बाधाएं दूर हो जाती है।