प्रस्तावना
जल के बिना हम अपने जीवन की कल्पना तक नहीं कर सकते है। साफ़ और शुद्ध जल की कीमत क्या होती है , यह अब तक मनुष्य समझ गए होंगे। जल के बिना हमारी प्यास नहीं मिटती है। जल हमारे शरीर में 70 फीसदी तक मौजूद है। जल के बैगर हम और सभी प्राणी जीवित नहीं रह सकते है। जल से हम अनगिनत कार्य कर सकते है।हम दैनिक जीवन के सारे कार्य जल द्वारा करते है। जल से खेतो की सिंचाई की जाती है। जल की वजह से आज पृथ्वी पर पेड़ पौधे और हरियाली मौजूद है। जल ना हो तो पेड़ पौधे भी जीवित नहीं रहेंगे | जल की ज़रूरत पेड़ पौधों को प्रकाश संश्लेषण के लिए चाहिए। प्रकाश संश्लेषण द्वारा पेड़ पौधे अपना भोजन खुद बनाते है । इसी प्रक्रिया से हमे ऑक्सीजन प्राप्त होता है।
गर्मियों के मौसम में जल का महत्व लोगो को पता चलता है। प्रदूषण की समस्या के कारण सूखे जैसी परेशानियां उत्पन्न होती है। जब सूखा पड़ता है तो कई जगहों पर लोगो की हालत दयनीय हो जाती है। वह पानी की एक बूंद के लिए तरस जाते है। वर्षा ना होने के कारण किसानो के फसल खराब हो जाते है। इसलिए जल का संरक्षण बेहद ज़रूरी है। जब पेड़ पौधों को जल मिलता है तो उसमे फल और फूल आते है। पशुएं जो शाकाहारी है वह भी पत्तियां खाकर जीवित रहते है। जल ना हो तो पेड़ पौधे जीवित नहीं होंगे। जल के बिना यह सब असंभव है।
जल अनमोल होता है, इसलिए इसे सोच समझ कर खर्च करना चाहिए। हमेशा हमे आस पास के पेड़ पौधों को पानी देना चाहिए। उनकी देखभाल करनी चाहिए। वृक्षों को कटने से रोकना होगा। जहां पेड़ पौधे ज़्यादा होते है , वहां प्रकृति और पर्यावरण का नज़ारा बेहद सुन्दर होता है। पेड़ पौधे अगर ज़्यादा हुए तो वर्षा की मात्रा अधिक होती है।
वृक्षों को लगातार काटने के कारण मनुष्य ने प्राकृतिक आपदाओं को आमंत्रण दिया है। हर साल दुनिया के कई हिस्सों में बाढ़ और सूखे जैसे हालत पैदा होते है। प्राकृतिक आपदाओं के कारण जान माल का काफी नुकसान होता है। नदियों के जल को साफ़ रखना हमारा कर्त्तव्य है। अगर ऐसे ही चलता रहा तो आने वाले पीढ़ी को शुद्ध जल नसीब नहीं होगा।
जल और हरियाली का महत्व एक दूसरे से जुड़ा हुआ है। जब समुद्र का जल वाष्पित होकर जल वाष्प बन जाता है। यही फिर बादल में परिवर्तित हो जाता है , तब जाकर वर्षा होती है। वर्षा होती है तो नदियों में जल एकत्रित हो जाता है। नदियों का जल स्तर बढ़ता है। वहीं कभी ज़रूरत से अधिक वर्षा बाढ़ का कारण बन जाती है। मनुष्य को पृथ्वी पर हरियाली को बरकरार रखने के लिए वृक्षों और वनो को काटना बंद करना होगा।
वन पृथ्वी पर जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। प्रकृति के संतुलन को बनाये रखने में वन महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। पुराने समय में ऋषि मुनि वनो में रहकर तपस्या करते थे। वनो से हमे कई तरह की सामग्री जैसे लकड़ी , चन्दन और औषधि इत्यादि प्राप्त होते है।
वृक्ष और वन हमे ऑक्सीजन प्रदान करते है। ऑक्सीजन पेड़ पौधों की वजह से पृथ्वी पर मौजूद है। अगर पेड़ पौधे ना हुए तो ऑक्सीजन भी वायु में मौजूद नहीं होगा। कई जगहों पर नियमित रूप से वनो की कटाई के कारण ऑक्सीजन की मात्रा में कमी हो गयी है। अगर वन नहीं होंगे तो पशु पक्षी कहाँ रहेंगे।
औद्योगीकरण और शहरीकरण के कारण हरियाली को मनुष्य बहुत नुकसान पहुंचा चूका है। वृक्षारोपण बहुत महत्वपूर्ण है। मनुष्य बड़ी इमारतों के निर्माण के लिए पेड़ो को काट रहे है जो सरसर गलत है। जल के बिना हरियाली असंभव है। गाँवों में शहरों की तरह प्रदूषण नहीं होता है और वहाँ पेड़ पौधे अधिक पाए जाते है। शहरों में इसका उल्टा है , पेड़ पौधे ना के बराबर हो गए है। पेड़ो की जगह इमारतों और बड़ी सड़को ने ले ली है। ज़्यादा पेड़ो को काटने से पृथ्वी का तापमान बढ़ता चला जा रहा है। ऋतुएं भी प्रभावित हो रही है। यदि मनुष्य ने अपने कर्मो पर अंकुश ना लगाया तो हरियाली और जल पृथ्वी से समाप्त हो जाएगा । पृथ्वी पर हमारा और अन्य प्राणियों का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा।
निष्कर्ष
वनो और पेड़ो के नियमित कटाई को रोकना अत्यंत अनिवार्य है। पेड़ , जल और हरियाली सभी एक दूसरे से जुड़े हुए है। इन तीनो तत्वों के बिना पृथ्वी नष्ट हो जायेगी। मनुष्य उन्नति के राह पर इस कदर अँधा हो गया है कि उसने प्राकृतिक संतुलन को बिगाड़ दिया है। सिर्फ कहने भर से कुछ नहीं होगा हम सभी को एक दूसरे के साथ मिलकर जल और पेड़ो को संरक्षित रखना होगा।