प्रस्तावना
कृषि कृषक द्वारा फसल उत्पादन हेतु किया जाता है। कृषि के अंतर्गत फल , सब्ज़ी , विविध तरह के अनाज , फूलो की खेती , पशु पालन , मत्सय पालन भी आता है। यह सभी कार्य कृषक द्वारा किया जाता है। किसान ना हो तो हम सभी का जीना मुश्किल हो जाएगा। बाज़ारो में सब्ज़ी और अनाज मौजूद है क्यूंकि किसान परिश्रम करके फसल उगाते है। बहुत बुरा लगता है कि भारत एक कृषि प्रधान देश होकर भी किसानो की हालत इतनी अच्छी नहीं है। किसानो को हमारे देश में वह सम्मान नहीं मिलता है जो उन्हें मिलना चाहिए। यह देखकर बड़ा दुःख होता है।
भोजन पदार्थों का उत्पादन करना मूल रूप से कृषि कहलाता है। कृषि को अंग्रेजी में एग्रीकल्चर कहते है। एग्रीकल्चर दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है। ज़मीन के एक हिस्से में फसल उगाने को कृषि कहते है।
किसान प्रातःकाल उठकर नहा धोकर तैयार हो जाते है। अपने दोपहर के भोजन का डब्बा वह साथ लेकर निकल पड़ते है।भारत एक कृषि प्रधान देश है। खेती भारत का प्रमुख व्यवसाय है। भारतीय कृषि मानसून के बारिश पर निर्भर है। हालांकि भी कृषि क्षेत्र में विज्ञान ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। इसलिए सिंचाई के नए तरीके आ गए है जिसका उपयोग करके खेतो की सिंचाई की जाती है।
कृषि रोज़गार करने का ज़रूरी माध्यम है। किसानो का जीवन साधारण होता है। वह निरंतर कठोर श्रम करते है। वह सवेरे उठकर अपने दैनिक कार्य पूरे करता है। वह सभी मौसमो का सामना करते है चाहे वह तपती धूप हो या कड़ाके की ठण्ड। वह कठोर जीवन जीते है और ईमानदारी से दिन रात परिश्रम करते है।
कभी कभी वर्षा कम होने के कारण और सिंचाई के साधन उपलब्ध ना होने के कारण उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। सीमित कृषि के साधनो की वजह से कृषक साल में कुछ समय के लिए खाली रहते है। उन्हें ढंग का कोई कार्य नहीं मिल पाता है। ऐसे में बेरोजगार हो जाते है और उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
जनसँख्या के दिन प्रतिदिन वृद्धि होने की वजह से धरती पर बुरा प्रभाव पड़ता है और उसके टुकड़े टुकड़े हो जाते है। इसकी वजह से खेतो पर मशीनों का इस्तेमाल नहीं हो पाता है। देश का कृषि उत्पादन बाकी देशो की तुलना में बेहद कम है। सरकार और कृषि विभाग को इस विषय पर ज़ोर देने की ज़रूरत है।
किसानो को हल , कुदाली , फावड़ा , खुरपी , बैल , ट्रेक्टर जैसे कई कृषि साधनो का उपयोग करना पड़ता है। किसानो को फसल उगाने के लिए मिटटी को अच्छे से तैयार करना पड़ता है और उसके लिए जुताई करनी पड़ती है।
मिटटी में रहने वाले केचुएं और छोटे लाभदायक जीव मिटटी की उपजाऊ शक्ति को बढ़ाते है। यह जीव कृषको के दोस्त होते है और मिटटी की उपजाऊ शक्ति को विकसित करते है। खेतो की जुताई हल , कुदाली इत्यादि से किया जाता है।
खतो की बुआई की जाती है। बुआई के दौरान अच्छे गुणवत्ता के बीज बोये जाते है। हल के पीछे ओरणा को बांधकर बीज को धरती में स्थापित करते है। सीड ड्रिल द्वारा बुआई करना फायेदमंद होता है। इससे समय और परिश्रम दोनों कम लगता है। दोनों बीजो के बीच दूरी रखना ज़रूरी है।इससे प्रत्येक पौधे को सूर्य और प्रकाश दोनों मिलते है। बीजो के लिए उर्वरक का इस्तेमाल करना ज़रूरी है। उर्वरक वह पोषक तत्व है जो पौधों के लिए ज़रूरी है। इसमें ज़रूरी रसायन होते है जैसे ऑक्सीजन , नाइट्रोजन , फ़ास्फ़रोस , पोटैशियम , कैल्शियम इत्यादि। कीटनाशकों और रासायनिक उर्वरको का सही मात्रा में उपयोग करना चाहिए। वरना हानिकारक हो सकता है। प्रत्येक तरह के पौधे के लिए विभिन्न मात्रा में उर्वरको का उपयोग किया जाता है।
प्राचीन कृषि
यह एक प्राचीन प्रकार की कृषि पद्धति है, जिसमे किसान अपनी फसल उगाते हैं। किसान अपनी जरूरतों के लिए भोजन का उत्पादन कर सकते हैं न कि उसे बेचने के लिए । भारत में इस तरह की कृषि केरल, तटीय आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में की जाती है।
मिश्रित कृषि
इस तरह की कृषि में पशु पालन और खेती दोनों साथ किया जाता है।
झूमिंग कृषि
इस तरह के कृषि में जंगलो और पौधों को जलाकर कृषि की जाती है। इस तरह के कृषि में धरती को साफ़ करके दो तीन साल तक कृषि की जाती है। उसके बाद अन्य स्थान पर कृषि की जाती है |
कुछ कृषि में चाय , रबड़ जैसे फसल उगाये जाते है। इसे रोपण कृषि कहा जाता है। जब एक ही खेत में एक साल में चार फैसले उगाई जाती है उसे रिले क्रॉपिंग कहा जाता है।
वाणिज्यिक खेती के लिए बड़े क्षेत्र की आवश्यकता होती है। इस तरह की खेती ज्यादातर शहरी क्षेत्रों जैसे महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पंजाब, हरियाणा और गुजरात जैसे राज्यों में में की जाती है।
शुष्क भूमि की खेती में मिट्टी की नमी कम होती है। भारत में इस प्रकार की खेती ज्यादातर गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में की जाती है।
वृक्षारोपण कृषि एक ऐसी खेती है जो कम से कम एक वर्ष के लिए भूमि पर की जाती है। इसे व्यावसायिक खेती के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि इन फसलों का का उपयोग ज्यादातर कारखानों या लघु उद्योगों में किया जाता है। भारत में, बागान कृषि ज्यादातर तमिलनाडु, हरियाणा, कर्नाटक, बिहार में लोकप्रिय है। कुछ उद्योगों की प्रगति कृषि पर निर्भर है। ऐसे कई उद्योग है जैसे जूट , कपास , गन्ना, कपड़ा जो कृषि पर आश्रित है।
निष्कर्ष
देश की उन्नति और अर्थव्यवस्था के लिए कृषि विकास अत्यंत आवश्यक है। देश को सफल जगह पर पहुंचाने के लिए कृषि विकास बेहद ज़रूरी है। किसानो की आर्थिक दशा में सुधार ज़रूरी है। उनके लिए सरकार को बहुत कुछ करना चाहिए ताकि वह आर्थिक समस्याओं से ना गुजरे। हालांकि सरकार ने अपनी तरफ से कृषि विकास के लिए कार्य किये है लेकिन वह पर्याप्त नहीं है। नए और विकसित कृषि उपकरणों की ज़रूरत है जिससे प्रत्येक किसान अच्छे और नए तकनीकों के साथ खेती कर सके।