तिरंगे पर निबंध


पृथ्वी पर जितने भी देश में उन सब देश का अपना-अपना राष्ट्रीय ध्वज है। राष्ट्रीय ध्वज वह होता है, जो उस देश का प्रतीक और शान को दर्शाता है। ऐसे ही हमारे देश भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा है, जो हमारे देश को दर्शाता है। हमारे ध्वज में मुख्यता 3 रंग होते हैं सबसे ऊपर केसरिया रंग होता है और बीच में सफेद रंग होता है और नीचे हरा रंग होता है। 15 अगस्त 1947 में को हमारा देश आजाद हुआ था। तब से लेकर आज तक हम 15 अगस्त को स्वतंत्र दिवस के रूप में मानते है। आज हम इस लेख में तिरंगे पर निबंध लिखेंगे।

भारतीय राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा का इतिहास


प्राचीन भारत से लेकर आधुनिक भारत तक हर काल में एक ध्वज हुआ करता था। प्राचीन भारत में हिंदू शासकों का दवदबा रहता है, उस दौरान ध्वज के रूप में भगवे को पूजा जाता था। हमारे ध्वज को 3 मुख्य भागों में बांट दिया गया है, जिसे भारत देश के शांति प्रियता, विकास और कृषि का सूचक माना जाने लगा। बता दें, भारतीय इतिहास का सबसे पहला झंडा भगिनी निवेदिता द्वारा बनाया गया था। जिसे 1986 कांग्रेस अधिवेशन में कोलकाता में फहराया गया। इस झंडे को लाल पीली और हरी पट्टी से क्षेतिज पट्टी से बनाया गया था। साल 1917 में ध्वज पर 4 हरी पत्तियों को जोड़ा गया और ध्वज के कोने पर आधे चांद को छापा गया। इस वक्त भारत अंग्रेजों से संघर्ष कर रहा था तब डॉक्टर एनी बेसेंट और श्री लोकमान्य तिलक के द्वारा यह फहराया गया था। राष्ट्रध्वज में पांचवा संशोधन सन् 1931 में हुआ। इस साल ही ध्वज को राष्ट्रीय ध्वज कह कर सम्मानित किया गया। जिसमें लाल रंग की जगह पर केसरिया सफेद और हरे रंग को महत्व दिया गया है। जिसके बीच में एक चरखा शामिल किया गया था।

छठी बार तिरंगे का संशोधन सन 1947 में हुआ। जब कांग्रेस पार्टी ने अपने पार्टी सिंबल के रूप में तिरंगे पर के चरखे को हटाकर अशोक चक्र को शामिल किया। इस तरह उस ध्वज को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में जाहिर किया। महात्मा गांधी जी चरखे को हटाकर अशोक चक्र को शामिल करने से बेहद ही नाराज हुए। उन्होंने कहा कि मैं इस झंडे को कभी भी सलामी नहीं दूंगा।


राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा किसने बनाया था?


भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा के निर्माण के लिए अनेक लोगों ने योगदान दिया था। भगिनी निवेदिता से लेकर मैडम एनी बेसेंट तक सभी ने एक बेहतर ध्वज देने की कोशिश की थी। बता दें, जब आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में एक कांग्रेस सम्मेलन हो रहा था, उस वक्त पिंगली वेंकैया ने महात्मा गांधी को वर्तमान राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के बारे में जानकारी दी थी। महात्मा गांधी के आदेश पर पिंगली वेंकैया ने पहली पट्टी में लाल रंग को, बीच में सफेद रंग और एक चरखे को और आखिरी पंक्ति में हरे रंग को गढ़कर राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा का निर्माण किया था।


भारतीय ध्वज में अशोक चक्र का महत्व और विशेषताएं


राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा में अशोक चक्र के महत्व और विशेषताएं बेहद ही अधिक है। सम्राट अशोक धर्म और न्याय की मूर्ति माने जाते थे। उनके शौर्य की गाथाएं दूर-दूर तक फैली हुई थी। तिरंगा झंडा में अशोक चक्र को धर्म चक्र के रूप में भी शामिल किया जाता है। सम्राट अशोक भगवान बुद्ध के ज्ञान से बेहद प्रभावित थे इसलिए उन्होंने इस धर्म चक्र को अपने ध्वज में शामिल किया था।


भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का कोड


भारत के नागरिकों से अपेक्षा की जाती है कि वे देश के राष्ट्रीय ध्वज के सम्मान और सम्मान को बनाए रखें।

खादी या फिर हाथ से काते गए कपड़े के अलावा किसी भी सामग्री से बने तिरंगा फहराना कानूनन दंडनीय है।

ध्वज को हमेशा ऊंचा रखना चाहिए और किसी भी चीज से पहले नीचे नहीं उतारा जाना चाहिए। तिरंगे के ऊपर कोई दूसरा झंडा नहीं लगाया जा सकता है और न ही इसे अपने दाईं ओर रखा जा सकता है। जब भी झंडा किसी हिलते हुए स्तंभ में होता है, तो उपस्थित लोगों को ध्यान की स्थिति में खड़ा होना चाहिए और नमस्कार करके सम्मान देना चाहिए जब यह उनके पास से निकलता है।

शोक व्यक्त करने के लिए ध्वज को आधे मस्तूल पर फहराया जाना चाहिए। राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की ड्यूटी अवधि के दौरान मृत्यु के मामले में इसे पूरे देश में आधा मस्तूल दिया जाता है।

निष्कर्ष


तिरंगा हमारा गौरव है। तिरंगे की गरिमा को हमेशा बनाए रखना चाहिए, चाहे यह हमारे जीवन की कीमत पर हो। देश का इतिहास, सभ्यता, स्वतंत्रता संघर्ष, सांस्कृतिक विरासित का प्रतीक है। यह झंडा हमारी आजादी का प्रतीक है। हमें सदैव ही इसका सम्मान करना चाहिए।

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